श्रोता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि इनके पापा का पैर से पैरालाइज्ड हैं और इनका ईलाज ईएसआई में करवाते हैं , मगर वहां सुनवाई नही होती है । ये चाहती हैं इनके पापा का ईलाज जल्द से जल्द हो

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श्रमिक विहार से खुशबू ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि ईएसआई में इनका इलाज सही तरीके से नही हुआ।कोई टेस्ट नही किया गया और दवा लिख दिया गया। दवा खाकर तबियत और ज्यादा ख़राब हो गया।कंपनी से 15 दिन की छुट्टी लेकर ईएसआई का इलाज करवाया।मगर कोई लाभ नही हुआ और अब प्राइवेट में अपनी ईलाज करवा रही हैं। ईएसआई कटती है मगर फायदा कोई नही है। 15 दिन की छुट्टी के पैसे भी कंपनी ने नही दिया है। इन सब कारणों से ये बहुत परेशान हैं

श्रमिक विहार से खुशबू ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि ईएसआई में दवा ठीक से नही दिया जाता है। लाईन में खड़े रहने के लिए बोला जाता है। ये ईएसआई से बहुत परेशान हैं।

मीलाड कॉलनी से ख़ातूनची ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पिछले एक साल से इनका ईलाज ईएसआई से चल रहा है।इसके लिए इनको महीने में चार छुट्टी करनी पड़ती है। इन चार छुट्टियों के पैसे कंपनी नही देती है। साथ ही इनके अनुरोध के बावजूद प्राइवेट अस्पताल में रेफर नही किया जा रहा है

सुनैना ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि इनकी मम्मी को रीढ़ की हड्डी में दिक्कत है। इसका इलाज सरकारी अस्पताल में चल रहा है। इसके लिए इनको महीने में चार या पांच छुट्टी करनी पड़ती है ,इन छुट्टियों का पैसा कंपनी नही देती है और ईएसआई डाक्टर इनकी मम्मी को बेहतर ईलाज के लिए दूसरे अस्पताल में रेफर भी नही कर रहे हैं

गौरी देवी ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि ईएसआई में बिना टेस्ट या चेकअप के दवाई देते हैं। दवाई खाने से और तबियत ख़राब हो जाती है। टेस्ट या चेकअप की डेट जल्दी नही देते हैं। कभी डेट लिख देते हैं तो आगे बढ़ाते रहते हैं।ईएसआई ने ये समस्या इतनी आती है कि अंत में दवाई लेना ही बंद कर देते हैं।

रतन कुमार ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि ईएसआई मे पत्नी के पथरी का ईलाज करने का लम्बा डेट [ दो से चार महीना ] दिया था। मज़बूरी में पैसा खर्च कर के प्राइवेट में पत्नी का ईलाज करवाना पड़ा।

श्रोता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जब ये दवाई लेने जाती हैं तो इनको दवाई नही मिलती है

संतोषनगर से श्रोता ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि इनका और इनके बेटे का इलाज अच्छे से नही होता है। ईलाज के लिए जाती हैं तो लम्बा नंबर लगाना पड़ता है। इससे बहुत तकलीफ होती है एक बार तबियत ख़राब में इंतज़ार के दौरान इन्हें चक्कर आ गया और ये गिर गई। बेटा का भी ईलाज अच्छे से नहीं हुआ और मज़बूरी में एम्स ले जाना पड़ा। वहीं उनका ईलाज चलता है। श्रोता मजदूरी कर के गुज़र - बसर करती हैं।