मंडी का हाल बुरा

एक सीनियर सिटीजन हुई अपनी हीबहु से हिंसा की शिकार

दिल्ली एनसीआर श्रमिक वाणी के माध्यम से रीना परवीन बता रही हैं किसानो की मांग बिल्कुल जायज है। किसानो की मांग भारत सरकार को मान लेनी चाहिए क्योंकि बीते दिनों 2021 में भी किसानों ने अपनी मांगे मंगवाने का काम किया था। क्योंकि उनकी मांगे बिल्कुल जायज थी। अभी भी जो किसान अपनी मांगों को कानून बनाने की बात कर रहे हैं। किसान हमारे देश का अन्नदाता है। अगर किसान खेती नहीं करेगा तो देश भुखमरी की ओर चला जाएगा

दिल्ली एनसीआर श्रमिक वाणी के माध्यम से रीना परवीन की बातचीत सविता से हुई सविता बताती हैं मैं बॉस कंपनी में काम करती हूं प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है यहां पर लेडिस टॉप बनते हैं हमें टारगेट दे दिया जाता है के इतने पीस आपको रोज बनाने हैं अगर हम उन पाइजन में से कुछ काम पीस बनाते हैं तो हमें सुपरवाइजर बहुत ज्यादा परेशान करता है और धमकी भी देता है हमारा पीएफ लगभग 1 साल से ज्यादा हो चुका है हो चुका है नहीं मिल रहा है हम बराबर कंपनी के मैनेजर तलाक से शिकायत कर रहे हैं कि हमारा पीएफ दिया जाए प्लीज कृपया करके हमारा पीएफ दिलवा दिया जाए

दिल्ली एनसीआर श्रमिक वाणी के माध्यम से मोहम्मद शाहनवाज की बातचीत बिरा का काम करने वाले गुलफाम से हुई गुलफाम बताते हैं 2 महीने से तनक नहीं दे रहा है फैक्ट्री मालिक गजेंद्र नाम की है फैक्ट्री टोनी का सिटी में

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लुधियाना (पंजाब)। टेक्सटाइल-हौजरी कामगार यूनियन, कारखाना मज़दूर यूनियन और नौजवान भारत सभा ने 16 अगस्त को मोदी हुकूमत द्वारा पेश बिजली संशोधन बिल को तुरंत रद्द करने की माँग को लेकर लुधियाना के समराला चौक पर रोष प्रदर्शन किया। संगठनों द्वारा बिजली संशोधन बिल की प्रतियाँ जलाई गईं।रोष प्रदर्शन को टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन के अध्यक्ष राजविंदर, कारखाना मज़दूर यूनियन के अध्यक्ष लखविंदर और कलपना, नौजवान भारत सभा के नेता तरण आदि ने संबोधित किया।वक्ताओं ने कहा कि प्रस्तावित बिजली संशोधन कानून के जरिए मोदी हुकूमत देशी-विदेशी पूँजीपतियों के फायदे के लिए बिजली क्षेत्र के निजीकरण के बड़े स्तर पर अंजाम देना चाहती है। इससे जनता को बिजली और ज्यादा महँगी मिलेगी। इस क्षेत्र के सरकारी कर्मचारियों के वेतन-भत्तों आदि सहूलतों में कौटती होगी। उनकी बड़े स्तर पर छँटनी की जाएगी। बिजली का मसला संविधान की समवर्ती सूची में आता है। मोदी हुकूमत इस कानून के जरिए राज्यों से बिजली क्षेत्र संबंधी अधिकार छीनना चाहती है। मोदी हुकूमत की केंद्रवादी नीति का सबसे अधिक नुकसान मेहनतकश जनता को हो रहा है।सभी मेहनतकश लोगों को मोदी हुकूमत के इस जनविरोधी कानून के प्रस्ताव को रद्द कराने के लिए जोरदार संघर्ष के लिए आगे आना होगा।