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बिहार राज्य के मुंगेर जिला से पारष कुमार जी साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है की उनके गाँव में मजदूरों को काफी समस्याओं और संघर्ष का सामना करना पड़ता है।मजदूरों को खेत में काम करवाने के लिए ले जाया जाता है तो मजदूरों को 10 से 12 घंट काम कराया जाता है।मजदूरों को उनके इतना मेहनताना का मात्र 100 रूपये ही दिया जाता है।जिससे उनका घर परिवार का जीवन यापन नहीं चलता है। उन्हें कफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

बिहार राज्य के मुंगेर जिला से विक्रम कुमार जी साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि वें और उनके आठ साथी दिल्ली काम करने गए थे।जहाँ पर उन्होंर उन्होंने एक बिल्डर के साथ 4 महीना काम किया।4 महीने का उन्हें अपना जीवन यापन करने के लिए पैसा दिया गया। परन्तु उनका मेहनताने का जो और पैसा बनता था। वो बिल्डर ने उन्हें और उनके साथियों को नहीं दिया। पैसे नहीं देने पर उन्होंने लेबर कोर्ट में बिल्डर के खिलाफ केस दर्ज करवा दियें। वहाँ से वे केस जीत गए परन्तु उन्हें डिस्ट्रिक्ट कोर्ट भेजा गया लेकिन 4 महीने से उनका और उनके साथियों का केस की सुनवाई नहीं हुई। उन्हें केवल कोर्ट के द्वारा तारिक ही दिया जा रहा है।उनका केस 2012 का है परन्तु अभी तक उन्हें और उनके साथियों को इंसाफ नहीं मिल पाया है।

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बिहार राज्य के मुंगेर जिला से विक्रम दास साझ मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि रोजगार की तलाश में बिहार से आठ लोग दिल्ली गए थे। सुपरवाईजर की मदद से आशियाना बिल्ड़र में काम मिला। जहाँ चार माह तक काम करने पर किसी को एक रुपया वेतन के रूप में नहीं मिला। केवल खाने का खर्चा दिया जाता है। चार माह के बाद आठों मजदुर खुद सलाह कर कोर्ट में वेतन मांग को लेकर केस दर्ज किया। किन्तु एक साल गुजर जाने के बाद अबतक कोई सहायता नहीं मिली