हमारे संवादाता रामकरण साझा मंच के माध्यम से एक मज़दूर से बात कर रहें हैं इनका कहना है की सरकारी योजनाएं दफ्तरों के चक्कर लगाने के अड्डे हैं और मजदूरों का नौकरी बदलना ही सही रास्ता लगता है एक ही कंपनी में ज़ियादा दिनों तक टिकने नहीं दिया जाता है मज़दूरों को ताकि उनका पीएफ आदि का प्रवाधान से कंपनी बच सके.