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बिहार राज्य के मुंगेर जिला से गोरेलाल मंडल मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की जो चुनाव लड़ते है या जो राजनीती करते है, वो किसी के बारे में नहीं सोचते है। उन्हें केवल अपने स्वार्थ की पड़ी रहती है। सांसद, मंत्री और विधायक जिन्हे राज्यसभा में जाना होता है, वे केवल अपने काम के लिए सोचते हैं, वे अपने फायदे के बारे में सोचते हैं। वो सिर्फ वोट लेने के लिए जनता का विश्वास जीतते है
बिहार राज्य के मुंगेर जिला से गोरेलाल मंडल ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बरसात के पानी का जल संरक्षण कर के किसानों को लाभ उठाना चाहिए। पिने का पानी साफ़ रखना चाहिए। ग्रामीण इलाकों में पहले नदी और नहर के पानी को बांध कर के रखा जाता था। बाद में किसान इस पानी से सिंचाई करते थे।अब किसान तकलीफ उठा लेते हैं,मगर पानी जमा करने के बारे में नही सोचते हैं । मनरेगा में जन प्रतिनिधि अपने तरीके से काम करवाते हैं और अपने लोगों को ही सिंचाई की सुविधा देते हैं। बाकि लोगों को सिंचाई करने नही मिलता है
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इस एपिसोड के मुख्य विषय, वर्षा जल संग्रहण, को दर्शाता है। "बूंद-बूंद से सागर" मुहावरा छोटे प्रयासों से बड़े परिणाम प्राप्त करने की भावना को व्यक्त करता है। यह श्रोताओं को प्रेरित करता है कि वर्षा की हर बूंद महत्वपूर्ण है और उसका संग्रहण करके हम बड़े बदलाव ला सकते हैं। क्या आप वर्षा जल को इक्कट्ठा करने और सिंचाई से जुडी किसी रणनीति को अपनाना चाहेंगे? और क्या आपके समुदाय में भी ऐसी कहानियाँ हैं जहाँ लोगों ने इन उपायों का इस्तेमाल करके चुनौतियों का सामना किया है?
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
यह नौकरी उन लोगों के लिए है जो वेस्ट सेंट्रल रेलवे के द्वारा निकाली गयी एक्ट अपरेंटिस के 3317 पदों पर काम करने के लिए इच्छुक हैं। वैसे उम्मीदवार इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिन्होंने किसी भी बोर्ड से दसवीं अथवा बारहवीं पास किया हो , इसके साथ ही उम्मीदवार की न्यूनतम आयु सीमा 15 वर्ष और अधिकतम आयु सीमा 24 वर्ष होनी चाहिए।अधिक जानकारी के लिए आवेदनकर्ता इस वेबसाइट पर जा सकते हैं। वेबसाइट है www.wcr.indianrailways.gov.in/ याद रखिए इन पदों पर आवेदन करने की अंतिम तिथि 04 /09 /2024 है ।
समाज कि लड़ाई लड़ने वाले लोगों के आदर्श कितने खोखले और सतही हैं, कि जिसे बनाने में उनकी सालों की मेहनत लगी होती है, उसे यह लोग छोटे से फाएदे के लिए कैसे खत्म करते हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब कोई प्रभावशाली व्यक्ति ने इस तरह काम किया हो, नेताओं द्वारा तो अक्सर ही यह किया जाता रहा है। हरियाणा के ऐसे ही एक नेता के लिए ‘आया राम गया राम का’ जुमला तक बन चुका है। दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं? आपको क्या लगता है कि हमें अपने हक की लड़ाई कैसे लड़नी चाहिए, क्या इसके लिए किसी की जरूरत है जो रास्ता दिखाने का काम करे? आप इस तरह की घटनाओं को किस तरह से देखते हैं, इस मसले पर आप क्या सोचते हैं?
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"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ श्री जिव दास साहू मूँगफली की खेती के बारे में जानकारी दे रहें हैं। अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.