समाज कि लड़ाई लड़ने वाले लोगों के आदर्श कितने खोखले और सतही हैं, कि जिसे बनाने में उनकी सालों की मेहनत लगी होती है, उसे यह लोग छोटे से फाएदे के लिए कैसे खत्म करते हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब कोई प्रभावशाली व्यक्ति ने इस तरह काम किया हो, नेताओं द्वारा तो अक्सर ही यह किया जाता रहा है। हरियाणा के ऐसे ही एक नेता के लिए ‘आया राम गया राम का’ जुमला तक बन चुका है। दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं? आपको क्या लगता है कि हमें अपने हक की लड़ाई कैसे लड़नी चाहिए, क्या इसके लिए किसी की जरूरत है जो रास्ता दिखाने का काम करे? आप इस तरह की घटनाओं को किस तरह से देखते हैं, इस मसले पर आप क्या सोचते हैं?

भारत में जहां 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं। इन चुनावों में एक तरफ राजनीतिक दल हैं जो सत्ता में आने के लिए मतदाताओं से उनका जीवन बेहतर बनाने के तमाम वादे कर रहे हैं, दूसरी तरफ मतदाता हैं जिनसे पूछा ही नहीं जा रहा है कि वास्तव में उन्हें क्या चाहिए। राजनीतिक दलों ने भले ही मतदाताओं को उनके हाल पर छोड़ दिया हो लेकिन अलग-अलग समुदायो से आने वाले महिला समूहों ने गांव, जिला और राज्य स्तर पर चुनाव में भाग ले रहे राजनीतिर दलों के साथ साझा करने के लिए घोषणापत्र तैयार किया है। इन समूहों में घुमंतू जनजातियों की महिलाओं से लेकर गन्ना काटने वालों सहित, छोटे सामाजिक और श्रमिक समूह मौजूदा चुनाव लड़ रहे राजनेताओं और पार्टियों के सामने अपनी मांगों का घोषणा पत्र पेश कर रहे हैं। क्या है उनकी मांगे ? जानने के लिए इस ऑडियो को सुने

सरकार भले ही आदिवासियों के कल्याण के लिए अनेकों योजनाएं चला रही हो लेकिन सरजमीन पर हकीकत कुछ और ही है विशेषकर आदिवासी समाज की महिलाओं की स्थिति आज भी सदियों पुरानी राह पर ही चलकर जीवन निर्वहन करने को मजबूर हैं गरीबी की चक्की में पिस रही ऐसी महिलाएं आज भी पत्ते चुनकर किसी तरह गुजर बसर कर रही हैं दिन भर जंगल में एक पेड़ से दूसरे पेड़ के नीचे शाल का पत्ता चुनकर दिवस व्यतीत कर रहे हैं जहां परिवार के बाल बच्चों के साथ बैठकर पत्तल बनाते हैं दिन भर में दो-तीन सौ पत्तल बना लेते है इतने के बाद भी बाजार की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण इन मेहनतकश महिलाओं को उचित दाम भी नहीं मिल पाता है। प्रखंड समद धपरी डांगरा आदि आदिवासी गांव की महिलाएं आज भी उपेक्षित हैं। डांगरा गांव के सीता देवी बनाते हुए बताया कि परिवार चलाने के लिए कुछ तो काम करना पड़ेगा। इस जंगली क्षेत्र में पत्तल बनाना एक मात्र रोजगार है। जिसमें परिवार के सभी लोग लगे रहते हैं। पत्तल बनाने के बाद बाजार से कई साइकिलवाले आते हैं और 25-30 रुपये सैंकड़ा के हिसाब से पत्तल खरीद कर ले जाते हैं। जिससे परिवार की गाड़ी किसी तरह चलती है।टेटिया बंपर प्रखंड के क्षेत्र के आदिवासी गांव की 20से अधिक महिलाएं अब पत्तल बना कर अपनी जिदगी संवार रही हैं। महिलाओं द्वारा तैयार किए गए पत्तल की शादी सहित अन्य समारोह में काफी डिमांड है। गांव की महिलाएं सुबह में जंगल से सखुआ का पत्ता चुन कर लाती हैं। इस कार्य में घर के पुरुष सदस्य भी मदद करते हैं। इसके बाद पत्ते से भोज में उपयोग किए जाने वाला पत्तल तैयार करती हैं। गांवों में पत्तल तैयार करने का काम आदिवासी समुदाय की महिलाएं करती हैं। महिलाएं बारीक सींक से सखुआ के पत्तों को एक दूसरे से टांक कर पत्तल तैयार करती हैं।

कृषि विज्ञान केंद्र मुंगेर में धरहरा प्रखंड के बंगलवा क्षेत्र के आदिवासी महिलाओं को जैविक कृषि प्रणाली एवं सब्जी उत्पादन हेतु वैज्ञानिक मुकेश कुमार द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है श्री मुकेश द्वारा बताया गया कि आज किसानों की आर्थिक तंगी एवं बेरोजगारी दूर करने में समेकित खेती प्रणाली जरूरी है एवं प्रशिक्षण प्राप्त कर के नए कृषि प्रणाली को अपनाने का जरूरी है कृषि प्रणाली जल संरक्षण मिट्टी संरक्षण जैविक उत्पादन को बढ़ावा देती है कम लागत एवं गुणवत्तापूर्ण उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं प्रशिक्षण में लगभग 25 महिलाओं ने भाग लिया।

बिहार राज्य के जिला मुंगेर से विजय कुमार मुंगेर मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि गुरुवार को मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के अंतर्गत चयनित एसटी,एससी उद्यमियों का 15 दिवसीय प्रशिक्षण की शुरुआत अग्रणी जिला प्रबंधक अमिताभ प्रामाणिक, उद्योग विभाग की जिला महाप्रबंधक एस मुजफ्फर रजी, और यूको आर सिटी के निर्देशक गौतम कुमार, द्वारा संयुक्त रूप से दीप जलाकर विधिवत उद्घाटन किया गया मुंगेर 27 फरवरी बिहार में अनुसूचित , जाति अनुसूचित,जनजाति अति पिछड़ा वर्ग और महिलाओं को स्वरोजगार के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरू की गई है ।महत्वकांक्षी मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के अंतर्गत आज यूको ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान मुंगेर में 15 दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हो गया इस प्रशिक्षण में पूरे जिले से 35 अनुसूचित जाति जनजाति महिलाओं उद्यमी प्रशिक्षण में भाग ले रहे हैं। महाप्रबंधक द्वारा बताया गया कि मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के अंतर्गत 10 लाखऋण का प्रावधान है जिसमें 5 लाख अनुदान और शेष 5 लाख बिना शुद्ध का ऋण वापस करने की व्यवस्था है ।उन्होंने चयनित उद्यमियों को मुख्यमंत्री उद्यमी योजना से प्राप्त होने वाली राशि से उद्योग लगाकर आत्मनिर्भर बनने के लिए कहे।

एससी एसटी एक्ट मामले के नामजद आरोपी गिरफ्तार

एससी एसटी अधिनियम मामले के नामजद अभियुक्त भेजें गए जेल

लंबित कांडों को त्वरित निपटान हेतु एपीपी/पीपी/डीपीओ एवं थानाध्यक्षों के साथ की गयी बैठक। न्यायालय में लंबित विभिन्न प्रकार के कांडों/परिवादों के त्वरित निपटान हेतु जिला दंडाधिकारी के अध्यक्षता में संग्रहालय सभागार में आज थानावार कांडों का गहन समीक्षा बैठक की गयी। अभियोजन पक्ष से जिला अभियोजन पदाधिकारी, सहायक अभियोजन पदाधिकारी, विशेष पीपी, एपीपी, सभी थानाध्यक्ष, सभी अनुमंडल पदाधिकारी उपस्थित थे। विधि प्रभारी श्री कुंदन कुमार ने कांडों के स्वरूप को अलग अलग सूचीबद्ध कर समीक्षा की रूपरेखा को रखी। आम्र्स एक्ट में लंबित कांड, जधन्य अपराध कांड, अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार संबंधित कांड, पाॅक्सो कांड, उत्पाद संबंधित कांड आदि स्वरूप के विभिन्न कांडों में अलग अलग कांडवार संबंधित पीपी एवं थानाध्यक्ष से अद्यतन स्थिति की समीक्षा की गयी। जिला दंडाधिकारी ने बताया कि आज कल यदि कांडों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई पर गिरफ्तारी या कनविक्शन कम हुई है। त्वरित कार्रवाई हेतु सभी आवश्यक कदम उठाने का निदेश दिया गया। उन्होंने कहा कि अनुसंधान में देरी गवाही का समय पर उपस्थित न होना आदि कांड निष्पादन में देरी का कारण बनता है। उन्होंने कांडवार लक्ष्य के साथ कार्य करने का निदेश दिया। थानावार प्रतिवेदन तैयार करने की बात कही। उन्होंने कहा कि अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी एवं पीपी संयुक्त रूप से साप्ताहिक बैठक करे। उन्होंने कांडवार पंजी संधारित करने का निदेश दिया। जिसकी माॅनिटरिंग जिला पदाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक स्तर पर की जाती है। बैंकों में सुरक्षा को लेकर विभिन्न उपायों पर भी निदेश दिये गये है। नियमानुसार सभी बैंकों में सीसीटीवी, अलार्म लगाने का निदेश दिया गया। एलडीएम 20 दिनों के अंदर सभी बैंकों में इस व्यवस्था को सुनिश्चित करायेगे। ग्राहक सेवा केन्द्र थाना एवं बैंक मिलकर नियमित रूप से बैठक करेगे। इसके अतिरिक्त अभियोजन पक्ष के वकीलों के पास लंबित कांडों का विस्तृत समीक्षा की गयी। समीक्षा के क्रम पोस्टमार्टम एवं इंज्यूरी रिपोर्ट में देरी होने की बात सामने आयी। सिविल सर्जन को निदेश दिया गया कि सात दिनों के अंदर संबंधित प्रतिवेदन अवश्य आ जाय। इसकी सतत माॅनिटेरिंग करते रहे। बैठक में सदर अनुमंडल पदाधिकारी श्रीमती खुशबू गुप्ता, अपर समाहर्ता श्री विद्यानंद सिंह उपस्थित थे।

हसनगंज में समीर कुमार के निवास स्थान पर मंगलवार को पिछड़े का संवैधानिक अधिकार तथा वर्तमान में जाति जनगणना का महत्व विषय पर संगोष्ठी आयोजित हुए ।कार्यक्रम की अध्यक्षता सार्जन यादव हरिओम ने किया, जबकि मुख्य अतिथि भागलपुर विश्वविद्यालय के प्राचार्य डॉ प्रोफेसर विलक्षण रविदास थे।

आवास के लिए अंचल कार्यालय परिसर पहुंचे दर्जनों महादलित परिवार