इस कार्यक्रम में हम जानेंगे जल संरक्षण और ऊर्जा बचत से जुड़ी सरकारी योजनाओं के बारे में। साथ ही, यह कार्यक्रम बताएगा कि आप इन योजनाओं का लाभ कैसे उठा सकते हैं और अपने गाँव के विकास में कैसे योगदान दे सकते हैं। स्वच्छ पानी और सतत ऊर्जा के महत्व को समझते हुए, हम एक बेहतर कल की ओर कदम बढ़ाएंगे। क्या जल सरंक्षण की योजनाओं के बारे में आपने भी सुना है, क्या आप इन योजनाओं का लाभ आपने भी उठाया है, क्या आपके गाँव में जल सरंक्षण की कोई प्रेरणादायी कहानी है ?
यह एपिसोड बताता है कि हम अपने रोज़मर्रा के जीवन में कैसे छोटे-छोटे बदलाव करके बिजली और पानी बचा सकते हैं। इससे न सिर्फ हमारा खर्च कम होगा, बल्कि हम अपनी धरती की भी रक्षा कर पाएंगे। आसान तरीकों से हम सभी मिलकर पर्यावरण को बचाने में मदद कर सकते हैं।क्या आपने भी अपनी ज़िन्दगी में कुछ ऐसे बदलाव किए हैं? अगर हाँ, तो हमें बताइए।
बिहार राज्य के मुंगेर जिला से गोरेलाल मंडल मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि बढ़ती जनसंख्या में पर्यावरण को संतुलित करना बहुत जरूरी है। इसके लिए सभी लोगों को वृक्ष लगाना चाहिए। अभी जो फुल पौधे लगाए जाते हैं इससे पर्यावरण संतुलित नहीं हो पाता। इसलिए कभी बहुत अधिक बारिश होगी, कभी सूखा पड़ेगा, और किसानों की समस्या भी होगी। वे अपने घर के पास की जमीन पर आम का एक पौधा लगा रहे हैं, जो प्रदुषण बचाव के साथ-साथ मनुष्य के लिए भी छायादार होगा.सभी को वृक्ष लगाना चाहिए ताकि पर्यावरण संतुलित सके
इस एपिसोड के मुख्य विषय, वर्षा जल संग्रहण, को दर्शाता है। "बूंद-बूंद से सागर" मुहावरा छोटे प्रयासों से बड़े परिणाम प्राप्त करने की भावना को व्यक्त करता है। यह श्रोताओं को प्रेरित करता है कि वर्षा की हर बूंद महत्वपूर्ण है और उसका संग्रहण करके हम बड़े बदलाव ला सकते हैं। क्या आप वर्षा जल को इक्कट्ठा करने और सिंचाई से जुडी किसी रणनीति को अपनाना चाहेंगे? और क्या आपके समुदाय में भी ऐसी कहानियाँ हैं जहाँ लोगों ने इन उपायों का इस्तेमाल करके चुनौतियों का सामना किया है?
यह एपिसोड बदलते मौसम और असामान्य बारिश के कारण कृषि क्षेत्र पर पड़ने वाले विभिन्न प्रभावों की व्यापक चर्चा करता है। फसल उत्पादन, मिट्टी की गुणवत्ता, पानी प्रबंधन और किसानों की आजीविका पर पड़ने वाले असर का विस्तृत विवरण दिया गया है। साथ ही, इन चुनौतियों से निपटने के लिए किसानों द्वारा अपनाए जा रहे समाधानों और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया है।
बिहार राज्य के मुंगेर केहवेली से गोरेलाल मंडल मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की, सरकार ही नहीं बल्कि आम जनता को भी पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए।
यह कार्यक्रम मौसम में आ रहे बदलावों और उनसे हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ने वाले प्रभावों पर केंद्रित है। इसमें बारिश के अनिश्चित पैटर्न से उत्पन्न चुनौतियों और उनके संभावित समाधानों पर चर्चा की गई। कार्यक्रम में यह भी बताया जाएगा कि कैसे ये बदलाव किसानों से लेकर शहरी नागरिकों तक, सभी के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं। आपने और आपके आसपास के लोगों ने बदलते बारिश के पैटर्न के बारे में क्या अनुभव किया है? क्या आपको या आपके जानने वालों को इससे कोई चुनौती झेलनी पड़ी है?
बिहार राज्य के मुंगेर जिला से गोरेलाल मंडल ने मोबाईल वाणी के मधुम से बताया कि पहले बारिश अच्छे से होती थी और नदियों में पानी भरा रहता था। जंगल में घने पेड़ - पौधे होते थे। वर्तममान में जनसंख्या अधिक हो गया है और जंगलों की कटाई तेजी से हो रही है।प्रदुषण भी बहुत बढ़ गया है। प्रदुषण को नियंत्रित करने के लिए अधिक वृक्ष लगाना होगा और धुआँ रहित गाड़ियां चलना होगा। बारिश नही होगा तो पानी की समस्या उत्पन्न हो जाएगी। प्रदुषण , पानी और मौसम की समस्या पर नियंत्रण के लिए अधिक मात्रा में पेड़ लगाने चाहिए। खासकर पीपल जैसे बड़े पेड़ पर्यवरण के लिए लाभदायक होते हैं
बिहार राज्य के मुंगेर जिल से गोरेलाल मंडल मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की इस धरती पर अगर जल नहीं रहेगा , तो जीवन भी नहीं होगा और न ही हरयाली भी होगी। वृक्ष लगाना बहुत जरुरीं है मनुष्य के लिए। एक आदमी कम से कम 10 पौध लगाएगा तभी लाभ मिल पायेगा और हम जलवायु परिवर्तन पर नियंतत्रण कर पाएंगे
इस एपिसोड में जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों को एक किसान परिवार की कहानी के माध्यम से दिखाया गया है। बदलते मौसम पैटर्न, अनियमित वर्षा, और कृषि पर पड़ने वाले प्रभावों पर चर्चा की गई है। साथ ही, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए समुदाय-स्तर पर कार्रवाई करने का आह्वान किया गया है।