कोरोना के बढ़ते संक्रमण और उसके जांच से संबंधित कार्यवाई हेतु आईसीएमआर के द्वारा स्वदेशी तकनीक से निर्मित एलिसा टेक्नोलॉजी से रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट को मंजूरी मिल गयी है। जिसे स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोविड कार्य में लगे जिले के फ्रंट लाइन वर्कर्स, हेल्थकेयर वर्कर्स के साथ सरकारी कार्यालयों के कर्मी, बैंक एवं अन्य सार्वजनिक सेवाओं के कर्मियों की जांच की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के इस आदेश पर मुजफ्फरपुर के लिए 200 किट प्रदान किए गये हैं। इस जांच को पटना के आरएमआरआई में किया जाएगा। इस संबंध में आईसीएमआर ने कहा है कि ज्यादा खतरे वाले इलाके, कंटेनमेंट जोन और फ्रंटलाइन वर्कर्स और स्वास्थ्य कर्मचारियों पर ही इस किट का इस्तेमाल किया जाएगा। ऑडियो पर क्लिक कर पूरी जानकारी सुनें।
मुज़फ़्फ़रपुर : यह ख़ुशी की बात है की बिहार के शिशु मृत्यु दर में लगातार सुधार हो रहा है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (2018) के हालिया सर्वेक्षण में बिहार में शिशु मृत्यु दर 32 (प्रति हजार जीवित जन्मे बच्चों में) है। लेकिन राज्य में पोषण से संबंधित संकेतकों में सुधार करने की दिशा में अभी एक लंबा रास्ता तय करना है, विशेष रूप से 5 साल से कम उम्र के बच्चों, किशोरों और गर्भवती महिलाओं के लिए. कॉम्प्रेहेंसिवनेशनल न्यूट्रीसनल सर्वे (सी एन एन एस 2016-18 ) के अनुसार भारत में 57% शिशुओं को जन्म के पहले घंटे में स्तनपान मिलता है और बिहार में यह आंकड़ा 46 % है। भारत में 58 % बच्चों को छह माह तक सिर्फ माँ का दूध दिया जाता है और बिहार में यह आंकड़ा 62.7 % है। ऑडियो पर क्लिक कर पूरी जानकारी सुनें।
आंखें जितनी अनमोल हैं उतनी ही संवेदनशील भी, पर आज के इस तकनीकी युग में बच्चे मोबाइल फोन, क्म्प्यूटर, लैपटॉप और टैबलेट देखने में बिताते हैं। जिसके चलते छोटी उम्र में ही कई गंभीर आंखों की समस्या होने लगती है। इस संबंध में आइजीआइएमएस के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ ज्ञान भास्कर कहते हैं तकनीक के संपर्क में अधिक रहने से बच्चे छोटी उम्र में ही ग्लूकोमा, कंजक्टीवाइटस और आंख के संक्रमण के शिकार हो जाते हैं। यह अगस्त महीना बच्चों के आंखों के बारे में जागरुक होने का महीना है। जिससे हम उनके सुनहरे सपने को एक नई दिशा दे सकें। अभिभावक को चाहिए कि वे बच्चों के हाथों को साफ रखने का प्रयास करें क्योंकि बच्चे इन्हीं गंदे हाथों से अपने आंखों को भी बार -बार छूते हैं। इससे संक्रमण का खतरा बना रहता है। ऑडियो पर क्लिक कर पूरी जानकारी सुनें।
मुजफ्फरपुर : बुधवार की शाम स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत तथा सचिव लोकेश कुमार सिंह द्वारा कोविड-19 से संबंधित रोगियों के लिए एसकेएमसीएच में की गई व्यवस्था का निरीक्षण किया गया था। इस क्रम में प्रधान सचिव द्वारा दिए गए निर्देश के आलोक में कार्य शुरू कर दिया गया है। एसकेएमसीएच में कोविड-19 के मरीजों के लिए 160 बेड की व्यवस्था सुनिश्चित कर ली गई है। दिए गए निर्देश के आलोक में वर्तमान कोविड अस्पताल को 100 बेड वाले पीकू भवन में शिफ्ट किया जा रहा है। ऑडियो क्लिक कर पूरी जानकारी सुनें।
मुज़फ़्फ़रपुर : किसी भी बच्चे के जीवन की शुरुआत स्तनपान से बेहतर नहीं हो सकती या यूं कहें कि इससे सर्वोत्तम कुछ भी नहीं। यह माता और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य, पोषण और भावनात्मक फायदे देता है। साथ ही यह एक स्थायी आहार प्रणाली का हिस्सा बनता है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है लेकिन यह हमेशा आसान नहीं होती । खास कर उन महिलाओं के लिए जो कामकाजी हैं। अक्सर ही ऐसी महिलाएं बच्चों को पूरे समय स्तनपान नहीं करवा पाती। नतीजतन बच्चे को वह प्राकृतिक पोषण भी नहीं मिल पाता। इस संबंध में डब्ल्यूएचओ ने एक पोस्टर जारी किया है जिसमें वह नियोक्ताओं से प्रत्येक मां को स्तनपान कराने से वंचित नहीं रखने को कहता है बल्कि उसे माताओं को स्तनपान को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करना है। ऑडियो पर क्लिक पर पूरी जानकारी सुनें।
मुज़फ़्फ़रपुर : कोरोना आपदा के बीच नवजात शिशुओं के पोषण को ध्यान में रखते हुए 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाना है। स्तनपान का मुख्य उद्देश्य नवजात एवं शिशुओं में बेहतर पोषण को सुनिश्चित कराना है। साथ ही उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर उन्हें संक्रामक रोगों के प्रति सुरक्षित करना है। स्तनपान सप्ताह के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग ने आशा व आंगनबाड़ी सेविकाओं सहित अस्पतालों के स्टाफ नर्स, एएनएम, आरएमएनसीएच प्लस ए काउंसलर, ममता, चिकित्सक एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मी को प्रसूताओं व धात्री महिलाओं को नियमित स्तनपान के फायदों के बारे में बताने के लिए कहा है। ऑडियो पर क्लिक कर पूरी जानकारी सुनें।
कोरोना महामारी के दौरान समाज में अपूरणीय क्षति हुई है। समाज का प्रत्येक तबका इस लॉकडाउन और महामारी से कहीं न कहीं प्रभावित हुआ है। समाज पर हुए इसके प्रभाव का सामाजिक और आर्थिक पक्ष हम आए दिनों सुनते रहते हैं। मुजफ्फरपुर बैरिया के बीमार व्यक्ति के बाहर रहने पर उन्हें दवा की कमी और पति-पत्नी दोनों के संक्रमित होने पर पति की मृत्यु के बाद राशन की कमी जैसी घटनाओं को देखते हुए समाजसेवी सुधीर शुक्ला कहते हैं इन सभी घटनाओं को देखते हुए मन में एक ही सवाल उठता है, क्या हम इतने संवेदनहीन हो गये हैं कि हम अपने आस-पास के लोगों का मुसीबत में ख्याल न रख सकें। ऑडियो पर क्लिक कर पूरी जानकारी सुनें।
मुज़फ़्फ़रपुर : अमूमन प्रत्येक वर्ष मानसून के समय में शहर की गलियां और सड़कें जलमग्न दिखती हैं। यह जलजमाव प्रत्येक वर्ष अपने साथ अनेक तरह की जलजनित बीमारियां भी लाती हैं। इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ एस पी सिंह कहते हैं कि स्वास्थ्य का सीधा संबंध पानी से होता है। पीने के पानी में अगर थोड़ी सी भी असावधानी बरतनें पर हम रोगों की चपेट में आ सकते हैं। बरसात के समय में शहरों में पानी जमने की समस्या से डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, हैजा, दस्त, टायफाइड, पीलिया जैसे जानलेवा रोगों की चपेट में आ जाते हैं। यह बीमारियां हमें घेरे नहीं इसके लिए हम स्वच्छता को अपनाने के साथ हाथ धोने तथा पीने के पानी की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा। ऑडियो पर क्लिक कर पुरी जानकारी सुनें।
मुजफ्फरपुर : कोरोना को मात देने के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति अब निर्णायक लड़ाई के मूड में है। राज्य में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए बड़ी तैयारी की जा रही है। हर जिले में नियंत्रण कक्ष के माध्यम से इस पर नियंत्रण की तैयारी है। राज्य स्वास्थ्य समिति ने सभी जिलों को आदेश दिया है कि जल्द से जल्द टॉल फ्री नंबर के साथ हंटिंग लाइन युक्त चिकित्सीय नियंत्रण कक्ष जिलों में स्थापित किया जाए, जिसे सभी जरूरी सुविधाओं से सुसज्जित किया जाए। आदेश के आलोक में जिले में कवायद तेज कर दी गई है। ऑडियो पर क्लिक कर पूरी जानकारी सुनें।
मुजफ्फरपुर : वैश्विक महामारी कोविड 19 में चिकित्सकों की भूमिका और उनके योगदान को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने विभाग के सभी चिकित्सकों को एक माह के मूल वेतन की राशि को प्रोत्साहन राशि के रुप में देगी। यह फैसला रविवार को विभाग की तरफ से ली गयी। जिसकी प्रतिलिपि भी वित्त विभाग तथा मंत्रालय को दे दी गयी है। यह फैसला लेते हुए विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने कहा कि राज्य के सभी चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों के मनोबल को बनाए रखने के लिए वित्ति प्रोत्साहन के समतुल्य राशि देने का निर्णय लिया गया है। यह प्रोत्साहन राशि वैसे चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी, एवं स्वास्थ्य विभगीय अन्य कर्मी जिनके द्वारा कोरोना वायरस की रोकथाम एवं चिकित्सा में अपने कर्तव्यों का सम्यक निर्वहन किया गया हो। ऑडियो पर क्लिक कर पुरी जानकारी सुनें।