अधिकांश व्यक्तिगत पट्टे पुरुषों के नाम पर होते हैं. सामुदायिक अधिकारों में भी महिलाओं को भी कम प्रतिनिधित्व दिया जाता है. इसके चलते महिलाएं केवल खेत मजदूर बनकर रह जाती हैं. महिलाओं को इसका नुकसान यह होता है कि बैंक, बीमा तथा दूसरी सरकारी सहायता का लाभ नहीं उठा पाती है, जो उनके लिए चलाई जा रही हैं.
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से राजकुमार मेहता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि विधवा को अपने पति की स्व अर्जित और पैतृक सम्पत्ति में अपने हिस्से का दवा करने का पूरा अधिकार है।ठीक वैसे ही जैसे अन्य क़ानूनी वारिस जैसे बच्चों को मिलता है।यदि पति की मृत्यु बिना वसीयत लिखे हो जाती है और कोई वारिस नही है तो विधवा को सम्पत्ति का पूरा अधिकार मिलता है।अन्य वारिस है तो हिस्सा बंट जाता है
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से राजकुमार मेहता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारतीय कानून विधवा महिलाओं को कई अधिकार देता है। जिसमें पति की सम्पत्ति में हिस्सेदारी और पुनर्विवाह का अधिकार।हिंदू विधवा पुनर्विवा अधिनियम 1856 में शुरू किया गया था।इन अधिकारों में भरण - पोषण का अधिकार भी शामिल है। जब वे आय अर्जित न कर सके तब उन्हें गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार है।साथ ही वे अपने बच्चों के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ भी उठा सकती हैं।
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से राजकुमार मेहता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि स्त्रियों की समानता और अधिकारों के लिए किए गए कुछ प्रमुख प्रयास किये गए हैं। पहला है,बाल विवाह। दूसरा है, दहेज निषेध अधिनियम।दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए चलाया गया था।तीसरा है, महिला संहिता सुधार। ये घरेलू हिंसा रोकने के लिए 2005 में घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम चलाया गया था। तो ये सब को स्त्रियों को समानता और अधिकार प्राप्त करने के लिए कुछ प्रमुख प्रयास किए गए थे महिलाओं के द्वारा जो की इन सबसे भी महिलाओं को बहुत लाभ प्राप्त हुआ है
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला से राज कुमार मेहता मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि महिलाओं को विभिन्न अधिकार दिए गए हैं जैसे - शारीरिक अखंडता और स्वायत्तता का अधिकार ,यौन हिंसा से मुक्ति, वोट देने का अधिकार ,सार्वजनिक पद धारण करने का अधिकार ,कानूनी अनुबंधों में प्रवेश करने का अधिकार ,पारिवारिक कानून में समान अधिकार ,काम करने का अधिकार ,उचित मजदूरी या समान वेतन प्रजनन अधिकार ,संपत्ति का अधिकार आदि
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला से राज कुमार मेहता मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि महिलाओं को एकजुट होना चाहिए। महिलाओं को चुनाव लड़ना चाहिए और महिलाओं को वोट देना चाहिए। जिससे उनका विकास होगा और अधिकार मिलेगा। महिलाओं को महिला अधिकार संगठन से जुड़ना चाहिए और उनका मदद लेना चाहिए
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला से राज कुमार मेहता मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि महिलाओं को शिक्षित होना चाहिए ताकि उनको अधिकार मिल सके और वह अपना आवाज़ को उठा सके। उनको एकजुट होना जरूरी है
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला से राज कुमार मेहता मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि महिलाओं को अधिकार के लिए जागरूक होना चाहिए। जागरूक नहीं होने के कारण उनके साथ अन्याय होता जा रहा है। उनको शिक्षित होना चाहिए और स्थानीय संगठनो से जुड़ना चाहिए ताकि उनको अधिकार दिलाने में मदद कर सके
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से राजकुमार मेहता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि विेधवाओं को अक्सर लांछित जीवन जीने और सामाजिक रूप से बहिष्कृत किए जाने का डर होता है। दृष्टि आई एस की एक रिपोर्ट बताती है कि विधवाओं को गरिमा पूूर्ण जीवन जीनेऐ रोका जाता है। और ससुराल वाले क्रूर व्यवहार करते हैं। जमीन के मालिकाना हट के अभाव में विधवाएं पूरी तरह आर्थिक रूप से कमजोर हो जाती है।एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार जमीन ना होने पर उन्हें कम मजदूरी वाले काम करने पड़ते हैं। ऐसे में बच्चों की शिक्षा एवं देखभाल मुश्किल हो जाती है
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से राजकुमार मेहता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से महिला भूमि अधिकार पर अपनी राय साझा किया।राजकुमार मेहता ने बताया कि भारतीय समाज में लोगों की धारणा है कि जमीन और संपत्ति पर पुरुषों का अधिकार है और महिलाएं पुरुषों पर निर्भर हैं।पति की मृत्यु के बाद परिवार के पुरुष सदस्य जैसे में देवर ससुर विधवा को संपत्ति सेसी बेदखल करने की कोशिश करते हैं। आईडीआर की एक रिपोर्ट के अनुसार विधवाओं की भूमि अधिकारों को लेकर हमेशा सवाल उठाया जाता रहा है और उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ता है।हालांकि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम जैसे कानून महिलाओं को संपत्ति में अधिकार देते हैं।लेकिन जमीनी स्तर पर इनका ठीक से पालन नहीं होता है। कानूनी ढांचे और महिलाओं के अधिकारों के वास्तविक प्रयोग के बीच एक बड़ा अंतर है
