झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला से गीता मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती हैं कि जमीन की सुरक्षा महिला करती है,जमीन को अच्छा रखने का काम महिलाओं का ही है। महिला जमीन को अपने बच्चे की तरह उसको सुरक्षा देती है और साफ सुथरा करती हैं,उसको उर्वरक बनाती है और पेड़ पौधा लगाती हैं। जब पेड़ पौधा बड़ा हो जाता है तो उनको पेड़ पौधा से वंचित कर दिया जाता है।

आपदा राहत के दौरान भी महिलाओं की स्थिति चुनौतीपूर्ण रहती है। राहत शिविरों में कई बार अकेली महिलाओं, विधवाओं या महिला-प्रधान परिवारों की जरूरतें प्राथमिकता में नहीं आतीं। तब तक आप हमें बताइए कि , *--- जब किसी महिला के नाम पर घर या खेत होता है, तो परिवार या समाज में उसे देखने का नज़रिया किस तरह से बदलता है? *--- आपके हिसाब से एक गरीब परिवार, जिसके पास ज़मीन तो है पर कागज नहीं, उसे अपनी सुरक्षा के लिए सबसे पहले क्या कदम उठाना चाहिए?"? *--- "सिर्फ 'रहने के लिए छत होना' और उस छत का 'कानूनी मालिक होना'—इन दोनों स्थितियों में आप एक महिला की सुरक्षा और आत्मविश्वास में क्या अंतर देखते हैं?"

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से गीता सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम बताया कि महिलाओं पर होने वाले अत्याचार के पीछे जमीन एक महत्वपूर्ण कारण है।महिलाओं के नाम जमीन होगा तो वो सशक्त होगी और उनका आत्मबल बढ़ेगा। महिलाओं के नाम से मायके और ससुराल में घर नही होता है। दोनों जगह उन्हें कोई भी और कभी भी भगा सकते हैं।महिलाएं प्रताड़ित होती हैं। घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं

साल 2024 में राष्ट्रीय महिला आयोग को 25743 शिकायतें मिलीं जिसमें से 6,237 (लगभग 24%) घरेलू हिंसा से जुड़ी थीं. इसी रिपोर्ट के अनुसार 54% शिकायतें उत्तर प्रदेश से आईं, जो घरेलू हिंसा से जुड़ी शिकायतों में उत्तर प्रदेश की प्रमुखता को दिखाता है. उत्तर प्रदेश से 6,470 शिकायतें आई थीं, तमिलनाडु से 301 और बिहार से 584 शिकायतें दर्ज की गई थीं.

ज़िन्दगी के कुछ पलों में लड़को को भी रोने का मन करता है और ऐसे समय में रो लेना कितना ज़रूरी है। पर क्या हमारा समाज इतनी आसानी से लड़कों को रोने की आज़ादी दे दे सकता है ? क्या केबल रोने या न रोने से ही साबित होता है की वो इंसान कितने मज़बूत किरदार का मालिक है ? और क्या इसी एक वाक्य से हम बचपन में ही लिंग भेद का बीज बच्चो के अंदर ने दाल दे रहे है जो पड़े होते होते न जाने कितने और लोगो को अपनी चपेट में ले चूका होता है ! आप के हिसाब से अगर लड़के भी दिलका बोझ हल्का करने के लिए रोयें और दूसरों से नरम बर्ताव करे तो समाज में क्या क्या बदल सकता है ? इस सभी पहलुओं पर अपनी राय प्रतिक्रिया और सुझाव जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर। और हां साथियों अगर आपके मन में आज के विषय से जुड़ा कोई सवाल हो तो वो भी जरूर रिकॉर्ड करें। हम आपके सवाल का जवाब तलाश कर आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश करेंगे।

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से राजकुमार मेहता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि घरेलू हिंसा और कार्यस्थल पर उत्पीड़न से सुरक्षा। हिंसा से महिला संक्षण अधिनियम। दूसरा है- यौन अपराधों और तस्करी के खिलाफ कानूनी संरक्षण। तीसरा है- लौंगिक भेदभाव के बिना जीवन जीने का अधिकार।

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से राजकुमार मेहता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि हमारे देश की केंद्र सरकार गरीबी को हटाने के लिए बहुत प्रयास कर रही है। लेकिन गरीबी अभी दूर नहीं हो पा रहा है। न ही कम हो पा रहा है। उच्च शिक्षा और व्यवसाय प्रशिक्षण तक समान पहुँंच जरुरी है।जो बेहतर रोजगार के अवसर पैदा करता है। इससे गरीबी को कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' जैसी योजनाएं और कौशल विकास कार्यक्रम हिलओं के लिए जरुरी है

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला के पदम् ब्लॉक से राज कुमार मेहता मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि गरीबी हटाने के लिए महिलाओं को शिक्षा समपत्ति के अधिकार,समान वेतन ,सुरक्षित कार्यस्थल और निर्णय लेने की प्रक्रिया में भागीदारी जैसे अधिकारों की जरूरत है ताकि वे आर्थिक और सामाजिक रूप में सशक्त हो सके। भूमि के स्वामित्व और ऋण तक पहुंच, कौशल विकास और स्वास्थ्य व सुरक्षा के अधिकार भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये अधिकार उन्हें आत्मनिर्भर बनाते हैं और गरीबी के चक्कर को तोड़ने में मदद करते हैं

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला के पदम् ब्लॉक से राज कुमार मेहता मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि महिला भूमि अधिकार का मतलब है महिलाओं को जमीन पर समान कानूनी अधिकार,नियंत्रण और मालिकाना हक़ मिलना।अधिकार मिलने से महिला आर्थिक रूप से सशक्त बनती है और घर व समाज में उनकी शक्ति बढ़ाता है। हालांकि भारत में भेदभाव पूर्ण कानून और सामाजिक मापदंड अभी भी बाधाएं है।

विष्णुगढ़ प्रखंड मुख्यालय सभागार में समाधान संस्था के द्वारा बाल विवाह रोकथाम हेतु अभिभावकों के साथ विचार विमर्श किया गया इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से रश्मि लता राहुल शीतल नीतू कुमारी महादेव देहाती समेत कई लोग मौजूद थे।