आचार संहिता लागू होने के बाद में डीएम एसपी एसडीओ एवं अन्य अधिकारियों के साथ पुलिस बल शहर में मार्च किया साथ ही लगे हुए पोस्ट को करवाया गया और आदेश दिया गया कि बिना सहमत के किसी के घर पर पोस्टर लगाना अपराध है

*जिला निर्वाचन पदाधिकारी-सह- जिलाधिकारी अरविन्द कुमार वर्मा एवं पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार के नेतृत्व में लोक सभा आम निर्वाचन 2024 के तहत विधि-व्यवस्था संधारण, आदर्श आचार संहिता के अनुपालन आदि को लेकर निकाला गया पैदल फ्लैग मार्च।* *मधुबनी: जिला निर्वाचन पदाधिकारी-सह- जिलाधिकारी, मधुबनी अरविन्द कुमार वर्मा एवं पुलिस अधीक्षक, मधुबनी, सुशील कुमार के संयुक्त नेतृत्व में सोमवार को लोक सभा आम निर्वाचन 2024 की घोषणा के पश्चात जिले में विधि-व्यवस्था के संधारण, आदर्श आचार संहिता के अनुपालन आदि को लेकर समाहरणालय परिसर से पैदल फ्लैग मार्च निकाला गया।* *गौरतलब हो कि लोकसभा आम निर्वाचन 2024 की अधिसूचना जारी होने के पश्चात जिला पदाधिकारी के द्वारा आदर्श आचार संहिता का सख्ती से अनुपालन कराए जाने को लेकर सभी संबंधित पदाधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र में वाहनों की सघन जांच कर राजनीतिक दलों के बैनर-पोस्टर एवं झंडा आदि पाये जाने पर आवश्यक कार्रवाई करने का निदेश दिया गया था। उक्त के आलोक में समाहरणालय परिसर से फ्लैग मार्च थाना मोड़, स्टेशन चौक होते हुए शंकर चौक होते हुए महंथीलाल चौक, चूड़ी बाजार, बाटा चौक होते हुए पुनः समाहरणालय के समीप तक निकाला गया।* *इस अवसर पर जिला निर्वाचन पदाधिकारी-सह-जिला पदाधिकारी द्वारा मीडिया के माध्यम से आम जन से चुनावों में निर्भिक व निष्पक्ष होकर अपने मताधिकार का प्रयोग करने एवं आदर्श आचार संहिता के* *उल्लंघन से संबंधित मामलों को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा शुरू किए गए सीविजिल ऐप पर ऑनलाईन शिकायत दर्ज करवाने की अपील भी किया। उन्होंने कहा शिकायत दर्ज करवाने के पश्चात 100 मिनटों के अंदर संबंधित पदाधिकारियों के द्वारा कार्रवाई करते हुए निराकरण किया जायेगा।* *पैदल फ्लैग मार्च में एसपी सुशील कुमार,अश्विनी कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी, सदर, राजीव कुमार, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, सदर, परिमल कुमार, जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी सहित कई अधिकारी एवं काफी संख्या में पुलिस बल रहे साथ।

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भारत में शादी के मौकों पर लेन-देन यानी दहेज की प्रथा आदिकाल से चली आ रही है. पहले यह वधू पक्ष की सहमति से उपहार के तौर पर दिया जाता था। लेकिन हाल के वर्षों में यह एक सौदा और शादी की अनिवार्य शर्त बन गया है। विश्व बैंक की अर्थशास्त्री एस अनुकृति, निशीथ प्रकाश और सुंगोह क्वोन की टीम ने 1960 से लेकर 2008 के दौरान ग्रामीण इलाके में हुई 40 हजार शादियों के अध्ययन में पाया कि 95 फीसदी शादियों में दहेज दिया गया. बावजूद इसके कि वर्ष 1961 से ही भारत में दहेज को गैर-कानूनी घोषित किया जा चुका है. यह शोध भारत के 17 राज्यों पर आधारित है. इसमें ग्रामीण भारत पर ही ध्यान केंद्रित किया गया है जहां भारत की बहुसंख्यक आबादी रहती है.दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- दहेज प्रथा को लेकर आप क्या सोचते है ? और इसकी मुख्य वजह क्या है ? *----- समाज में दहेज़ प्रथा रोकने को लेकर हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ? *----- और क्यों आज भी हमारे समाज में दहेज़ जैसी कुप्रथा मौजूद है ?

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दोस्तों, यह साल 2024 है। देश और विश्व आगे बढ़ रहा है। चुनावी साल है। नेता बदले जा रहे है , विधायक बदले जा रहे है यहाँ तक की सरकारी अधिकारी एसपी और डीएम भी बदले जा रहे है। बहुत कुछ बदल गया है सबकी जिंदगियों में, लेकिन महिलाओं की सुरक्षा आज भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है। देश की सरकार तो एक तरफ महिला सशक्तिकरण का दावा करती आ रही है, लेकिन हमारे घर में और हमारे आसपास में रहने वाली महिलाएँ आखिर कितनी सुरक्षित हैं? आप हमें बताइए कि *---- समाज में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ? *---- महिलाओं को सही आज़ादी किस मायनों में मिलेगी ? *---- और घरेलू हिंसा को रोकने के लिए हमें क्या करना चाहिए ?

घरेलू हिंसा सभ्य समाज का एक कड़वा सच है।आज भले ही महिला आयोग की वेबसाइट पर आंकड़े कुछ भी हो जबकि वास्तविकता में महिलाओं पर होने वाली घरेलु हिंसा की संख्या कई गुना अधिक है। अगर कुछ महिलाएँ आवाज़़ उठाती भी हैं तो कई बार पुलिस ऐसे मामलों को पंजीकृत करने में टालमटोल करती है क्योंकि पुलिस को भी लगता है कि पति द्वारा कभी गुस्से में पत्नी की पिटाई कर देना या पिता और भाई द्वारा घर की महिलाओं को नियंत्रित करना एक सामान्य सी बात है। और घर टूटने की वजह से और समाज के डर से बहुत सारी महिलाएं घरेलु हिंसा की शिकायत दर्ज नहीं करतीं। उन्हें ऐसा करने के लिए जो सपोर्ट सिस्टम चाहिए वह हमारी सरकार और हमारी न्याय व्यवस्था अभी तक बना नहीं पाई है।बाकि वो बात अलग है कि हम महिलाओं को पूजते ही आए है और उन्हें महान बनाने का पाठ दूसरों को सुनाते आ रहे है। आप हमें बताएं कि *-----महिलाओं के साथ वाली घरेलू हिंसा का मूल कारण क्या है ? *-----घरेलू हिंसा को रोकने के लिए हमें अपने स्तर पर क्या करना चाहिए? *-----और आपने अपने आसपास घरेलू हिंसा होती देखी तो क्या किया?

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