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2024 के आम चुनाव के लिए भी पक्ष-विपक्ष और सहयोगी विरोधी लगभग सभी प्रकार के दलों ने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिये हैं। सत्ता पक्ष के घोषणा पत्र के अलावा लगभग सभी दलों ने युवाओं, कामगारों, और रोजगार की बात की है। कोई बेरोजगारी भत्ते की घोषणा कर रहा है तो कोई एक करोड़ नौकरियों का वादा कर रहा है, इसके उलट दस साल से सत्ता पर काबिज राजनीतिक दल रोजगार पर बात ही नहीं कर रहा है, जबकि पहले चुनाव में वह बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर ही सत्ता तक पहुंचा था, सवाल उठता है कि जब सत्ताधारी दल गरीबी रोजगार, मंहगाई जैसे विषयों को अपने घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बना रहा है तो फिर वह चुनाव किन मुद्दों पर लड़ रहा है।

-जिले के सभी विद्यालयों के पोषक क्षेत्र में मतदाता जागरूकता को लेकर कई कार्यक्रमों का हुआ आयोजन।-----------------------स्वीप गतिविधि के तहत निकली गयी प्रभातफेरी* *मधुबनी : जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिला पदाधिकारी, मधुबनी अरविन्द कुमार वर्मा द्वारा दिए गए निदेश के आलोक में लोकसभा आम निर्वाचन 2024 में मतदान प्रतिशत बढ़ाने को लेकर मतदाता जागरूकता अभियान के तहत मध्य विद्यालय भौआड़ा सह उत्क्रमित उच्च विद्यालय भौआड़ा सहित जिले के सभी विद्यालयों में कई कार्यक्रम आयोजित किया गया।* *भौआड़ा विद्यालय में प्रधानाध्यापक श्री उमेश कुमार के नेतृत्व में सभी शिक्षक, शिक्षिका, शिक्षा सेवक, रसोईया तथा छात्रों के द्वारा विद्यालय पोषक क्षेत्र में प्रभात फेरी निकाली गई। सभी प्रतिभागियों के हाथ में मतदाता जागरूकता से संबंधित नारा लिखे तख्तियां एवं बैनर था। सभी प्रतिभागी मधुबनी ने ठाना है, मतदान प्रतिशत बढ़ाना है। डालें वोट बूथ पर जायें, लोकतंत्र का पर्व मनायें। अप्पन वोट अप्पन अधिकार, मतदान के लेल मधुबनी तैयार। बढ़ाये कदम दिखायें वोट का दम। आदि नारे लगा रहे थे। प्रभात फेरी से आम जनता में जागृति पैदा हुई।लोग मतदान के लिए तत्पर दिखाई दिए।* *तत्पश्चात प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रहिका श्री योगेन्द्र कुमार के द्वारा आज ही विद्यालय परिसर में वोटर सेल्फी प्वाइंट तथा मेरा पहला वोट देश के लिए चलाये जा रहे अभियान के तहत हस्ताक्षर अभियान का भव्य उद्घाटन किया गया।इस मतदाता जागरूकता अभियान का शुभारंभ करते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सभी लोगों को अवश्य मतदान करना चाहिए। मधुबनी में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए विद्यालय स्तर पर प्रधानाध्यापक श्री उमेश कुमार द्वारा संचालित किए जा रहे कई कार्यक्रम सराहनीय कदम है। इससे आम लोगों में मतदान के प्रति जागरूकता पैदा हो रही है।* *जिला शिक्षा पदाधिकारी मधुबनी द्वारा मतदाता जागरूकता अभियान के तहत दैनिक कार्ययोजना के अनुसार जिले के सभी विद्यालयों के पोषक क्षेत्र में प्रभात फेरी निकाली गई।* *मध्य विद्यालय जितवारपुर, में प्रधानाध्यापक श्री सतीश कुमार सिंह के नेतृत्व में विशाल प्रभातफेरी निकाली गई। जिससे क्षेत्र में मतदाता जागरूकता का सकारात्मक प्रभाव पड़ा।

हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

कोई भी राजनीतिक दल हो उसके प्रमुख लोगों को जेल में डाल देने से समान अवसर कैसे हो गये, या फिर चुनाव के समय किसी भी दल के बैंक खातों को फ्रीज कर देने के बाद कैसी समानता? आसान शब्दों में कहें तो यह अधिनायकवाद है, जहां शासन और सत्ता का हर अंग और कर्तव्य केवल एक व्यक्ति, एक दल, एक विचारधारा, तक सीमित हो जाता है। और उसका समर्थन करने वालों को केवल सत्ता ही सर्वोपरी लगती है। इसको लागू करने वाला दल देश, देशभक्ति के नाम पर सबको एक ही डंडे से हांकता है, और मानता है कि जो वह कर रहा है सही है।

दहेज में परिवार की बचत और आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च होता है. वर्ष 2007 में ग्रामीण भारत में कुल दहेज वार्षिक घरेलू आय का 14 फीसदी था। दहेज की समस्या को प्रथा न समझकर, समस्या के रूप में देखा जाना जरूरी है ताकि इसे खत्म किया जा सके। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- दहेज प्रथा को लेकर आपके क्या विचार है ? *----- आने वाली लोकसभा चुनाव में दहेज प्रथा क्या आपके लिए मुद्दा बन सकता है ? *----- समाज में दहेज़ प्रथा रोकने को लेकर हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है और क्यों आज भी हमारे समाज में दहेज़ जैसी कुप्रथा मौजूद है ?

देश में इस समय माहौल चुनावी है और राजनीति हावी है। यह चुनाव अहम है क्योंकि पिछले कुछ साल भारतीय राजनीति के लिए अप्रत्याशित रहे हैं। इस दौरान ऐसा बहुत कुछ हुआ जो पहले लोकतंत्र के लिए अनैतिक कहा जाता था।

*जिला निर्वाचन पदाधिकारी-सह- जिलाधिकारी अरविन्द कुमार वर्मा एवं पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार के नेतृत्व में लोक सभा आम निर्वाचन 2024 के तहत विधि-व्यवस्था संधारण, आदर्श आचार संहिता के अनुपालन आदि को लेकर निकाला गया पैदल फ्लैग मार्च।* *मधुबनी: जिला निर्वाचन पदाधिकारी-सह- जिलाधिकारी, मधुबनी अरविन्द कुमार वर्मा एवं पुलिस अधीक्षक, मधुबनी, सुशील कुमार के संयुक्त नेतृत्व में सोमवार को लोक सभा आम निर्वाचन 2024 की घोषणा के पश्चात जिले में विधि-व्यवस्था के संधारण, आदर्श आचार संहिता के अनुपालन आदि को लेकर समाहरणालय परिसर से पैदल फ्लैग मार्च निकाला गया।* *गौरतलब हो कि लोकसभा आम निर्वाचन 2024 की अधिसूचना जारी होने के पश्चात जिला पदाधिकारी के द्वारा आदर्श आचार संहिता का सख्ती से अनुपालन कराए जाने को लेकर सभी संबंधित पदाधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र में वाहनों की सघन जांच कर राजनीतिक दलों के बैनर-पोस्टर एवं झंडा आदि पाये जाने पर आवश्यक कार्रवाई करने का निदेश दिया गया था। उक्त के आलोक में समाहरणालय परिसर से फ्लैग मार्च थाना मोड़, स्टेशन चौक होते हुए शंकर चौक होते हुए महंथीलाल चौक, चूड़ी बाजार, बाटा चौक होते हुए पुनः समाहरणालय के समीप तक निकाला गया।* *इस अवसर पर जिला निर्वाचन पदाधिकारी-सह-जिला पदाधिकारी द्वारा मीडिया के माध्यम से आम जन से चुनावों में निर्भिक व निष्पक्ष होकर अपने मताधिकार का प्रयोग करने एवं आदर्श आचार संहिता के* *उल्लंघन से संबंधित मामलों को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा शुरू किए गए सीविजिल ऐप पर ऑनलाईन शिकायत दर्ज करवाने की अपील भी किया। उन्होंने कहा शिकायत दर्ज करवाने के पश्चात 100 मिनटों के अंदर संबंधित पदाधिकारियों के द्वारा कार्रवाई करते हुए निराकरण किया जायेगा।* *पैदल फ्लैग मार्च में एसपी सुशील कुमार,अश्विनी कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी, सदर, राजीव कुमार, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, सदर, परिमल कुमार, जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी सहित कई अधिकारी एवं काफी संख्या में पुलिस बल रहे साथ।

गुजरे जमाने के मशहूर समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया कहते थे अगर देश को सही रास्ते पर चलाना है तो मजबूत विपक्ष का आवश्यकता है, वर्ना सरकार निरंकुश हो जाएगी। जिसको हम आज की वर्तमान परिस्थितियों में देख और महसूस कर सकते हैं। देश की एक प्रमुख और सबसे बड़े विपक्षी दल का बैंक खाता सीज कर दिया गया है, जबकि चुनाव की तारीखों की घोषणा हो चुकी है, हां अगर सरकार की मंशा ही है कि उसके अलावा देश के बाकी राजनीतिक दल चुनाव ही न लड़ें तो फिर बात ही अलग है।

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