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सुनिए इस कहानी को जो बच्चों को प्रेरित करती है दूसरों की मदद करके को लेकर |ये कहानी आपको कैसी लगी? क्या आपके बच्चे ने ये कहानी सुनी? इस कहानी से उसने कुछ सीखा? अगर आपके पास भी है कोई मज़ेदार कहानी, तो रिकॉर्ड करें फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर।

हम सभी रोज़ाना स्वास्थ्य और बीमारियों से जुड़ी कई अफवाहें या गलत धारणाएं सुनते है। कई बार उन गलत बातों पर यकीन कर अपना भी लेते हैं। लेकिन अब हम जानेंगे उनकी हकीकत के बारे में, वो भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में। याद रखिए, हमारा उद्देश्य किसी बीमारी का इलाज करना नहीं, बल्कि लोगों को उत्तम स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना है।सेहत और बीमारी को लेकर अगर आपने भी कोई गलत बात या अफवाह सुनी है, तो फ़ोन में नंबर 3 दबाकर हमें ज़रूर बताएं। हम अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से जानेंगे उन गलत बातों की वास्तविकता, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में।

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नमस्कार दोस्तों , मैं जहां सीमा वाले वानी से दीपक नाठे हूं और दोस्तों , आप सभी का यहाँ की समस्या और सबसे बड़ी समस्या को हल करने के लिए स्वागत है । रांसी में मेडिकल कॉलेज के पीछे गुमनावरा लोहिया के राणा स्टोर के पास नाला जाम है । और लोगों को चिकित्सा उपचार के लिए आगे - पीछे जाना पड़ता है और यहां बहुत से लोग हैं जिन्हें भरी हुई नालियों के कारण आने - जाने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है । पूरा जल निकासी का पानी सड़कों पर भर गया है और लगभग पानी के लिए कोई निकास नहीं है और सड़क पर छह इंच से आठ इंच पानी है । सड़क गड्ढों से भरी है , इसलिए दोस्तों , यह झांसी की समस्या रही है और मैं झांसी के सभी अधिकारियों को बताना चाहता हूं कि यह समस्या उमानावदरा क्षेत्र की है । यहाँ के विधायक श्री रवि शर्मा जी हैं और मैं नगर निगम के सभी अधिकारियों से इस समस्या का समाधान करने का आग्रह करना चाहूंगा ।

उत्तरप्रदेश राज्य के झाँसी जिले के चिरगाव के कन्हिया राजपूत ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की उनके यहाँ नाली की समस्या है

लड़कियों के सपने सच में पुरे हो , इसके लिए हमें बहुत सारे समाजिक बदलाव करने की ज़रूरत है। और सबसे ज्यादा जो बदलाव की ज़रूरत है, वो है खुद की सोच को बदलने की। शिक्षा महिलाओं की स्थिति में बड़ा परिवर्तन ला सकती है लेकिन शिक्षा को लैंगिक रूप से संवेदनशील होने की जरूरत है। गरीब और वंचित समूह के बच्चों को जीवन में शिक्षा में पहले ही सीमित अवसर मिलते हैं उनमें से लड़कियों के लिए और भी कम अवसर मिलते हैं, समान अवसर तो दूर की बात है। सरकारी स्तर पर जितने ही प्रयास किये जा रहे हों, यदि हम समाज के लोग इसके लिए मुखर नहीं होंगे , तब तक ऐसी भयावह रिपोर्टों के आने का सिलसिला जारी रहेगा और सही शौचालय न होने के कारण छात्राओं को मजबूरी में स्कूल छोड़ने का दर्द सताता रहेगा। तब तक आप हमें बताएं कि *----- आपके गांव में सरकारी स्कूल में शौचालय है, और क्या उसकी स्थिति कैसी है? *----- क्या आपको भी लगता है कि सरकारी स्कूल में शौचालय नहीं होने से लड़कियों की शिक्षा से बाहर होने का बड़ा कारण है *----- शौचालय होने और ना होने से लड़कियों की शिक्षा किस प्रकार प्रभावित हो सकती है?

कूड़ा कलेक्शन के 40 जगह अब करेंगे ₹100

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