"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ अशोक झा प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं।विभिन्न कृषि पद्धति अपनाकर अलग अलग फसलों को बिना रसायन के उपजाया जा सकता है और उपज भी अच्छी होती है, इसकी पूरी जानकारी सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा किसानों को बता रहे है कि दुधारू पशुओं को संतुलित आहार दें। अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ जीवदास साहू जैविक खेती के फ़ायदे के बारे में जानकारी दे रहे हैं। ग्रीष्मकालीन फसल में जीवामृत का प्रयोग कैसे करनी चाहिए , इसकी पूरी जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा मुर्गीपालन में रानी खेत बीमारी के सम्बन्ध में जानकारी दे रहे हैं। सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें 

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा बकरी पालन में टीकाकरण के बारे में जानकारी दे रहे है अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें 

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा कृषि में ड्रोन के लाभ तथा उपयोग के बारे में जानकारियाँ दे रहे है अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें 

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा मछली पालन से जुड़ी जानकारियाँ दे रहे है कि किसानों को किस तरह मछली के स्वास्थ्य का ध्यान रखना है । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें 

खगड़िया जिला पंच सरपंच संघ के किरण्डेव यादव ने सी ये काला कानू के खिलाफ मे केंद्र सरकार व बिहार सरकार का पुतला जलाकर किया विरोध प्रदर्सन ।

पिछले 10 सालों में गेहूं की एमएसपी में महज 800 रुपये की वृद्धि हुई है वहीं धान में 823 रुपये की वृद्धि हुई है। सरकार की तरफ से 24 फसलों को ही एमएसपी में शामिल किया गया है। जबकि इसका बड़ा हिस्सा धान और गेहूं के हिस्से में जाता है, यह हाल तब है जबकि महज कुछ प्रतिशत बड़े किसान ही अपनी फसल एमएसपी पर बेच पाते हैं। एक और आंकड़ा है जो इसकी वास्तविक स्थिति को बेहतर ढ़ंग से बंया करत है, 2013-14 में एक आम परिवार की मासिक 6426 रुपये थी, जबकि 2018-19 में यह बढ़कर 10218 रुपये हो गई। उसके बाद से सरकार ने आंकड़े जारी करना ही बंद कर दिए इससे पता लगाना मुश्किल है कि वास्तवितक स्थिति क्या है। दोस्तों आपको सरकार के दावें कितने सच लगते हैं। क्या आप भी मानते हैं कि देश में गरीबी कम हुई है? क्या आपको अपने आसपास गरीब लोग नहीं दिखते हैं, क्या आपके खुद के घर का खर्च बिना सोचे बिचारे पूरे हो जाते हैं? इन सब सरकारी बातों का सच क्या है बताइये ग्रामवाणी पर अपनी राय को रिकॉर्ड करके

CRISIL के अनुसार 2022-23 में किसान को MSP देने में सरकार पर ₹21,000 करोड़ का अतिरिक्त भार आता, जो कुल बजट का मात्र 0.4% है। जिस देश में ₹14 लाख करोड़ के बैंक लोन माफ कर दिए गए हों, ₹1.8 लाख करोड़ कॉर्पोरेट टैक्स में छूट दी गई हो, वहां किसान पर थोड़ा सा खर्च भी इनकी आंखों को क्यों खटक रहा है? आप इस पर क्या सोचते है ? इस मसले को सुनने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें