उत्तरप्रदेश राज्य के हरदोई ज़िला से मुकेश ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि मैं कुछ भी कर सकती हूँ कार्यक्रम बहुत अच्छा लगता है। कार्यक्रम में सभी किरदार अच्छा लगता है

लैंगिक असमानता का मुख्य कारण, पुराणी कथा, लोगों में असमानता जागरूकता व कड़े कानून का लागू नहीं होना है। लैंगिक असामनता को मिटाने के लिए शिक्षा, जागरूकता और कड़े कानूनों को लागू करना होगा।

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उत्तर प्रदेश राज्य के हरदोई जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता बुद्धसेन सोनी ने जानकारी दी कि महिलाओं को भूमि अधिकार मिलना जरुरी है। क्योंकि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को समान अधिकार नहीं प्राप्त होता है।महिलाओं को सशक्त बनाने में समाज की भूमिका बहुत महत्वपुर्ण है। अगर पूरा समाज जागरूक और एकजुट हो कर महिलाओं को उनका अधिकार दें या दिलाने का प्रयास करें तो स्थिति हर तरह से बेहतर हो सकती है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तर प्रदेश राज्य के हरदोई जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता अनुराग गुप्ता ने जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश में जातीय, धार्मिक और क्षेत्रवाद के प्रभाव में आकर मतदाता वोट करता है। वही महाराष्ट्र में तमाम कामगार संगठन अपने हितों को लेकर वोट करते हैं। यूपी के हरदोई में अभी तक कभी भी नागरिक संगठनों के द्वारा चुनाव के दौरान सियासी दलों के बीच घोषणा पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया। हरदोई में मतदाता अपनी विचारधारा के दल या प्रत्याशी से प्रभावित होकर वोट करता है। क्षेत्रीय समस्याएं तो बहुतायात में यहां होती हैं, लेकिन लोकल स्तर पर नागरिक समूह इन्हें उठाने से कतराते रहते हैं। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के दौरान हरदोई जनपद में एक बड़ी समस्या अन्ना मवेशियों की रही है, इसके अलावा कई अन्य समस्याएं भी है। लेकिन किसी भी नागरिक समूह के द्वारा इन समस्याओं को एक घोषणा पत्र के रूप में परिवर्तित करने की पहल नहीं की जा सकी है । जिसतरह चुनाव के दौरान तमाम राजनीतिक पार्टियां अपना-अपना घोषणा पत्र जारी कर जनता से तमाम वायदे करती हैं। उसी तरह नागरिकों को भी नागरिक समूह बनाकर उसकी ओर से चुनाव के दौरान घोषणा पत्र जारी करना चाहिए, ताकि प्रमुख स्थानीय समस्याओं को सभी राजनीतिक दलों के समक्ष लाया जा सके।

उत्तर प्रदेश राज्य के हरदोई जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता अनुराग गुप्ता ने जानकारी दी कि लिंग के आधार पर घर, समाज दोनों जगहों पर शोषण, अपमान और भेदभाव करना लैंगिक असमानता कहलाता हैं, जो 21 वीं सदी में भी भारतीय समाज में गहराई तक फैला हुआ हैं । हाई सोसायटी में अब लैंगिक असमानता काफी हद तक दम तोड़ती नजर आ रही हैं। लेकिन समाज का एक बड़ा तबका अभी भी लैंगिक असमानता की जद में हैं। लैंगिक असमानता को मिटाने के लिए उत्तर प्रदेश के हरदोई में लोगों को सबसे पहले लिंग के आधार पर भेदभाव को खत्म करना होगा, और इसके लिए लोगों को अपने घर से ही पहल करनी होगी । लड़के और लड़की को एक नजर से देखना होगा । दोनों को बराबर महत्व देना होगा । लैंगिक असमानता को खत्म करने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान पर जोर देना होगा, और इस अभियान से हर एक व्यक्ति और परिवार को अनिवार्य रूप से जोड़ना होगा। समाज में मिशन शक्ति और महिला सशक्तिकरण को लेकर भी जागरूकता फैलानी होगी । तभी लैंगिक समानता भारतीय समाज का हिस्सा बन सकती है। हालांकि उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार मिलकर कई ऐसी योजनाएं चल रही है, जिससे लैंगिक असमानता की दर में कमी आ रही है। हरदोई जनपद की अगर बात की जाए तो यहां लैंगिक असमानता को खत्म करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, सुरक्षा और रोजगार जैसे सही कारणों का समर्थन करना होगा ।

हरदोई जनपद की बात की जाए तो यहां भूमि अधिकार के मामले में लैंगिक असमानता साफ दिखाई देती है। दरअसल हरदोई शैक्षिक दृष्टि से बेहद पिछड़ा जिला माना जाता है। हालांकि गत वर्षो में सरकार और तमाम सामाजिक संस्थाओं के द्वारा जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए। जिसके चलते यहां शिक्षा का स्तर धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

भारत में लैंगिक असमानता का अर्थ वह सामाजिक घटना है जिसमें पुरुष के सापेक्ष महिलाओं के साथ लिंग के आधार पर समान व्यवहार नहीं किया जाता है। नमस्कार आप सुन रहे हैं हरदोई मोबाइल वाणी । दोस्तो राजीव की डायरी लेकर आया हैं एक और ज्वलंत मुद्दा । राजीव की डायरी के कड़ी संख्या 27 लैंगिक असमानता हमारे समाज के लिए एक बड़ी चुनौती। आखिर लैंगिक असमानता के मुख्य कारण क्या हैं ? दरअसल हरदोई जिले में लैंगिक असमानता की बात की जाए तो यहां शिक्षा के क्षेत्र में लैंगिक असमानता चरम पर है। हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी महिलाओं पर पुरुषों द्वारा अपने हित से जुड़े नियम थोपे जा रहे है। हमारे क्षेत्र में आज भी महिलाओं के लिए काम के अवसर कम है, धार्मिक समूहों में महिलाओं की भागीदारी नहीं, महिलाओं से जुड़े रोगों के उपचार के लिए ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का पूर्णतया अभाव है। लड़को की अपेक्षा लड़कियों के मामले में हमारे समाज में बचपन से ही भेदभाव शुरू हो जाता हैं। परिवार में भी लड़के और लड़कियों को देखने का नजरिया अलग अलग होता है, सुविधाओं के लिहाज से भी लड़कियों को भेदभाव का शिकार होना पड़ता हैं। शैक्षिक असमानता की वजह से उनमें जागरूकता की कमी पाई जाती हैं जिसकी वजह से वह हिंसा का भी शिकार होती रहती हैं। आर्थिक आधार पर भी वह पुरुषों पर ही निर्भर रह रही हैं। हरदोई जनपद के नगरीय इलाको में फैलाई जा रही जागरूकता की वजह से लैंगिक असमानता के अनुपात में कमी आ रही है, यह सुखद कल की ओर इशारा कर रहा हैं, हालांकि हरदोई के ग्रामीण इलाकों में अभी भी लैंगिक समानता को लेकर जागरूकता की कमी है। फिलहाल हरदोई जिले में लैंगिक असमानता के मुख्य कारण प्रचलित सामाजिक व धार्मिक मानदंड हैं, जो यह निर्देश देते हैं कि महिलाओं को पुरुषों के अधीन रहना चाहिए । लेकिन आधुनिकता के इस दौर में अब इन मानदंडों में परिवर्तन की और लिंग के आधार पर असमानता को खत्म करने की जरूरत है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला हरदोई से हमारे श्रोता , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है कि स्कूल में पढ़ाई नहीं हो रही है , बच्चे कैसे पढ़ेंगे शिक्षक अच्छे से नहीं पढ़ाते है।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला हरदोई से अमित कुमार, मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि उनको रासन की समस्या है। जनता को भी परशानी हो रही है।