राज्य सरकार द्वारा मनरेगा योजना के तहत निजी भूमि पर पौधे लगाने की योजना चलायी जा रही है। इसके लिए मनरेगा योजना के माध्यम से किसानों को मुफ्त पौधे वितरित किए जाएंगे। उन्हें पौधों की रक्षा के लिए विभाग से उर्वरक भी मिलेगा, जबकि निजी भूमि पर पौधों की सिंचाई के लिए एक इकाई पर चापाकल भी लगाया जाएगा। एक व्यक्ति को पौधों की सुरक्षा के लिए रखा जाएगा और उस व्यक्ति को विभाग द्वारा पांच साल के लिए मजदूर के रूप में पैसा दिया जाएगा।

उत्तरप्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि प्रधानमंत्री ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना शुरू की कई योजनायें भी चलायी गयी कुछ हद तक इसे पुरा भी किये गए। लेकिन इसे सुचारू रूप से नहीं चलाया गया

नई संसद ने एक नया इतिहास रचा है, न केवल महिलाओं का उत्थान, बल्कि महिलाओं के नेतृत्व में विकास का दृष्टिकोण पिछले कुछ वर्षों में राष्ट्र की नीति बन गया है।संसद के विशेष सत्र में केंद्र सरकार के हाथों में महिला आरक्षण के सपने को बदलने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है

उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से मनु सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से जल जीवन मिशन के बारे में जानकारी दे रही है

किसी भी समाज को बदलने का सबसे आसान तरीका है कि राजनीति को बदला जाए, मानव भारत जैसे देश में जहां आज भी महिलाओं को घर और परिवार संभालने की प्रमुख इकाई के तौर पर देखा जाता है, वहां यह सवाल कम से कम एक सदी आगे का है। हक और अधिकारों की लड़ाई समय, देश, काल और परिस्थितियों से इतर होती है? ऐसे में इस एक सवाल के सहारे इस पर वोट मांगना बड़ा और साहसिक लेकिन जरूरी सवाल है, क्योंकि देश की आबादी में आधा हिस्सा महिलाओं का है। इस मसले पर बहनबॉक्स की तान्याराणा ने कई महिलाओँ से बात की जिसमें से एक महिला ने तान्या को बताया कि कामकाजी माँओं के रूप में, उन्हें खाली जगह की भी ज़रूरत महसूस होती है पर अब उन्हें वह समय नहीं मिलता है. महिलाओं को उनके काम का हिस्सा देने और उन्हें उनकी पहचान देने के मसले पर आप क्या सोचते हैं? इस विषय पर राय रिकॉर्ड करें

उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी मोबाइल वाणी के माध्यम से जल जीवन मिशन के बारे में जानकारी दे रही है

उत्तरप्रदेश राज्य के गोंडा जिला से सायरा बानो ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जल जीवन मिशन दो हजार उन्नीस में शुरू किया था। एक योजना है जो हर घर को पानी उपलब्ध कराने के लिए काम करती है। इस योजना को दो हजार चौबीस साल तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, जबकि स्थिति यह है कि अगर आप बड़े शहरों में जाते हैं तो लंबी कतार लग जाती है। जल संकट की गंभीरता का अंदाजा इस तथ्य से भी लगाया जा सकता है कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में दो हजार चौबीस तक महिलाएं अपनी जान जोखिम में डालती हैं।

नासिक में रहने वाली मयूरी धूमल, जो पानी, स्वच्छता और जेंडर के विषय पर काम करती हैं, कहती हैं कि नासिक के त्र्यंबकेश्वर और इगतपुरी तालुका में स्थिति सबसे खराब है। इन गांवों की महिलाओं को पानी के लिए हर साल औसतन 1800 किमी पैदल चला पड़ता है, जबकि हर साल औसतन 22 टन वज़न बोझ अपने सिर पर ढोती हैं। और ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" के नारे से रंगी हुई लॉरी, टेम्पो या ऑटो रिक्शा आज एक आम दृश्य है. पर नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च द्वारा 2020 में 14 राज्यों में किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि योजना ने अपने लक्ष्यों की "प्रभावी और समय पर" निगरानी नहीं की। साल 2017 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में हरियाणा में "धन के हेराफेरी" के भी प्रमाण प्रस्तुत किए। अपनी रिपोर्ट में कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ स्लोगन छपे लैपटॉप बैग और मग खरीदे गए, जिसका प्रावधान ही नहीं था। साल 2016 की एक और रिपोर्ट में पाया गया कि केंद्रीय बजट रिलीज़ में देरी और पंजाब में धन का उपयोग, राज्य में योजना के संभावित प्रभावी कार्यान्वयन से समझौता है।

महिलाओं की लगातार बढ़ती हिस्सेदारी और उसके सहारे में परिवारों के आर्थिक हालात सुधारने की तमाम कहानियां हैं जो अलग-अलग संस्थानों में लिखी गई हैं, अब समय की मांग है कि महिलाओं को इस योजना से जोड़ने के लिए इसमें नए कामों को शामिल किया जाए जिससे की ज्यादातर महिलाएं इसका लाभ ले सकें। दोस्तों आपको क्या लगता है कि मनरेगा के जरिए महिलाओँ के जीवन में क्या बदलाव आए हैं। क्या आपको भी लगता है कि और अधिक महिलाओं को इस योजना से जोड़ा जाना चाहिए ?