किसी भी समाज को बदलने का सबसे आसान तरीका है कि राजनीति को बदला जाए, मानव भारत जैसे देश में जहां आज भी महिलाओं को घर और परिवार संभालने की प्रमुख इकाई के तौर पर देखा जाता है, वहां यह सवाल कम से कम एक सदी आगे का है। हक और अधिकारों की लड़ाई समय, देश, काल और परिस्थितियों से इतर होती है? ऐसे में इस एक सवाल के सहारे इस पर वोट मांगना बड़ा और साहसिक लेकिन जरूरी सवाल है, क्योंकि देश की आबादी में आधा हिस्सा महिलाओं का है। इस मसले पर बहनबॉक्स की तान्याराणा ने कई महिलाओँ से बात की जिसमें से एक महिला ने तान्या को बताया कि कामकाजी माँओं के रूप में, उन्हें खाली जगह की भी ज़रूरत महसूस होती है पर अब उन्हें वह समय नहीं मिलता है. महिलाओं को उनके काम का हिस्सा देने और उन्हें उनकी पहचान देने के मसले पर आप क्या सोचते हैं? इस विषय पर राय रिकॉर्ड करें

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से विजय पाल चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिला और पुरुष में भेदभाव ख़तम करने और महिला जागरूकता के लिए "बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ" योजना को लागू किया गया था। इस योजना से देश की महिलाओं को शिक्षा का पूरा अधिकार मिला और महिलाएं शिक्षित हो रही हैं

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से शहज़ाद अहमद ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि हमारे समाज में महिलाओं को समाजिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। इससे बचने के लिए हमें अपनी बेटियों को अच्छी शिक्षा देनी चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से शहज़ाद अहमद ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की मानव जीवन में जल की अधिक उपयोगिता है, इसलिए हमें जल संरक्षण करना चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से रमजान अली ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जल से ही जीवन का प्रारम्भ हुआ। साथ ही उन्होंने बताया कि नासिक की निवासी मयूरी धूमल जो पानी, स्वच्छता और जेंडर के विषय पर काम करती हैं, उनका कहना है कि नासिक के गाँव की महिलाओं को पानी के लिए हर साल औसतन 1800 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से अरविन्द श्रीवास्तव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि सरकार द्वारा चलाया गया योजना जल जीवन मिशन के तहत कई लोगों को पानी नहीं मिलता है। पानी के कनेक्शन के लिए लोगों से पैसे लिए गये थे लेकिन अभी तक पानी की सुविधा नहीं मिल पाया है।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी पर सवाल उठ रहा है। दवा कंपनियों के बारे में अक्सर शिकायतें आती रहती हैं। जांच एजेंसिया ध्यान नहीं दे रही है।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से अरविन्द श्रीवास्तव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि कोविशील्ड वैक्सीन ने लोगों की बढ़ाई परेशानियाँ। ऐसे लोग हैं जो चलते-फिरते अपनी जान गंवाते रहते हैं और हाल के दिनों में ऐसी हजारों मौतें हुई हैं। यह विचार करने का विषय है क्योंकि न केवल कोविशील्ड बल्कि अन्य दवाएं जो लोग दैनिक दिनचर्या में लेते हैं, वे भी संदिग्ध हैं। क्योंकि लोगों के लिए यह सोचना अनिवार्य हो गया है कि उस दवा से क्या नुकसान हो रहा है और सरकारी एजेंसियां इसकी ठीक से जांच कर रही हैं।

कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

उत्तर प्रदेश राज्य के बस्ती जिले से अरविन्द श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं की मसाले में कीटनाशक पाए जाने पर लोगों से भारत सरकार क्यों नहीं बंद करने की सुचना दिया लोगों को स्वास्थ्य पर हानि हो सकती है अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुनें