मतदान में मतदान अधिकारी और पीठासीन का महत्व अधिक रहता है। मतदान को लेकर प्रशिक्षण चल रहा है

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से अरविन्द श्रीवास्तव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि समाज जो लड़कियों को स्वीकार नहीं करता है, यह परंपरा अभी भी चली रही है, चाहे कितना भी कार्य किया जाए या नारा दिया जाए कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, ये सभी नारे मिथ्य लगते हैं। इसका कारण यह है कि आज भी समाज में जो है वह प्रसव पूर्व परीक्षण है और बालिका को उसके जन्म से पहले ही मार दिया जाता है। लड़कों की तुलना में लड़कियों को बहुत कम देखा जाता है क्योंकि इस शिक्षित समाज में, जो अब है, लड़के और लड़की के बीच कोई अंतर नहीं है जो लगभग न के बराबर है। लेकिन जहां निरक्षरता है और जहां गरीबी है, लोग अभी भी लड़कों को प्राथमिकता देते हैं। लड़कों के बीमार पड़ने पर यह अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में देखा गया है। इसलिए उन्हें रात में या किसी भी समय तुरंत अस्पताल ले जाया जाता है। अगर उनके स्थान पर कोई लड़की है, अगर वह बीमार हो जाती है, तो उसे अस्पताल ले जाने के लिए सुबह तक प्रतीक्षा करना पड़ता है । लोग आज भी ऐसा करते हैं जिसके कारण अक्सर लड़कियों की मौत हो जाती है। यदि उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया जाता है, तो ऐसी स्थिति पैदा नहीं होती । शिक्षा के क्षेत्र में भी, लड़कियों को पाँच या आठ के बाद की स्थिति में बढ़ावा देने का विचार अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत दुर्लभ है। उनका मानना है कि घरेलू काम में लगी लड़कियों को हमेशा घर के लिए काम करने वाली माना जाता है, जबकि लड़कों को रोजी-रोटी कमाने वाला माना जाता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से आलोक यादव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि लोकसभा में दो हजार चौबीस सीटों के लिए चुनाव चल रहा है। यहाँ, उम्मीदवार स्थान के लिए लड़ रहे हैं। भाजपा उम्मीदवार हरीश द्विवेदी समाजवादी पार्टी के रामप्रसाद चौधरी से हार गए। ये तीन दिग्गज उम्मीदवार हैं, जनता ने उनसे पूछे जाने पर अपनी राय दी। यह पूछे जाने पर जनता ने कुडी चौक के कुछ लोगों ने कहा कि अगर हमें सरकार बनाने का मौका मिला तो हम अपने देश को एक मौका देंगे। हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास एक ऐसी सरकार है जो जानती है कि कैसे आगे बढ़ना है और जो नौकरी चाहने वालों का समर्थन करती है। हम बहुत खुश हैं कि संविधान हमें पांच वर्षों में प्रथम नागरिक के रूप में एक नए सदस्य को चुनने के लिए मतदान करने का अधिकार देता है। वहाँ के लोगों ने, अपने सभी लोगों ने यह राय दी कि जो कोई भी विकास करेगा, हम किसी भी पार्टी को वोट देंगे, चाहे वह भाजपा हो, सपा हो या बसपा।

किसी भी समाज को बदलने का सबसे आसान तरीका है कि राजनीति को बदला जाए, मानव भारत जैसे देश में जहां आज भी महिलाओं को घर और परिवार संभालने की प्रमुख इकाई के तौर पर देखा जाता है, वहां यह सवाल कम से कम एक सदी आगे का है। हक और अधिकारों की लड़ाई समय, देश, काल और परिस्थितियों से इतर होती है? ऐसे में इस एक सवाल के सहारे इस पर वोट मांगना बड़ा और साहसिक लेकिन जरूरी सवाल है, क्योंकि देश की आबादी में आधा हिस्सा महिलाओं का है। इस मसले पर बहनबॉक्स की तान्याराणा ने कई महिलाओँ से बात की जिसमें से एक महिला ने तान्या को बताया कि कामकाजी माँओं के रूप में, उन्हें खाली जगह की भी ज़रूरत महसूस होती है पर अब उन्हें वह समय नहीं मिलता है. महिलाओं को उनके काम का हिस्सा देने और उन्हें उनकी पहचान देने के मसले पर आप क्या सोचते हैं? इस विषय पर राय रिकॉर्ड करें

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से विजय पाल चौधरी , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि आज दस राज्यों में तैयारियां जोरों पर हैं। राज्य की छियानबे लोकसभा सीटों के लिए सत्रह सौ सत्रह उम्मीदवार मैदान में हैं, जिसके लिए आज सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक मतदान होगा। 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी सदस्य जिनकी मतदाता सूची लागू होती है, वे अपने मत का प्रयोग करने के हकदार हैं। यह मतदान सभी 9 स्टेशनों पर होगा। जिसमें सभी को अपना वोट डालना चाहिए और यह पूरे भारत के हर राज्य का चुनाव है। इस तरह से सरकार का गठन होता है और वह सरकार पूरे देश पर शासन करती है।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से विजय पाल चौधरी, मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि मतदान सोच समझ कर दें

दोस्तों, प्रधानमंत्री के पद पर बैठे , किसी भी व्यक्ति से कम से कम इतनी उम्मीद तो कर ही सकते हैं कि उस पद पर बैठने वाला व्यक्ति पद की गरिमा को बनाए रखेगा। लेकिन कल के भाषण में प्रधानमंत्री ने उसका भी ख्याल नहीं रखा, सबसे बड़ी बात देश के पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ खुले मंच से झूठ बोला। लोकतंत्र में आलोचना सर्वोपरि है वो फिर चाहे काम की हो या व्यक्ति की, सवाल उठता है कि आलोचना करने के लिए झूठ बोलना आवश्यक है क्या? दोस्तों आप प्रधानमंत्री के बयान पर क्या सोचते हैं, क्या आप इस तरह के बयानों से सहमत हैं या असहमत, क्या आपको भी लगता है कि चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जाना अनिवार्य है, या फिर आप भी मानते हैं कि कम से कम एक मर्यादा बनाकर रखी जानी चाहिए चाहे चुनाव जीतें या हारें। चुनाव आयोग द्वारा कोई कार्रवाई न करने पर आप क्या सोचते हैं। अपनी राय रिकॉर्ड करें मोबाइलवाणी पर।

2024 के आम चुनाव के लिए भी पक्ष-विपक्ष और सहयोगी विरोधी लगभग सभी प्रकार के दलों ने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिये हैं। सत्ता पक्ष के घोषणा पत्र के अलावा लगभग सभी दलों ने युवाओं, कामगारों, और रोजगार की बात की है। कोई बेरोजगारी भत्ते की घोषणा कर रहा है तो कोई एक करोड़ नौकरियों का वादा कर रहा है, इसके उलट दस साल से सत्ता पर काबिज राजनीतिक दल रोजगार पर बात ही नहीं कर रहा है, जबकि पहले चुनाव में वह बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर ही सत्ता तक पहुंचा था, सवाल उठता है कि जब सत्ताधारी दल गरीबी रोजगार, मंहगाई जैसे विषयों को अपने घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बना रहा है तो फिर वह चुनाव किन मुद्दों पर लड़ रहा है।

हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

कोई भी राजनीतिक दल हो उसके प्रमुख लोगों को जेल में डाल देने से समान अवसर कैसे हो गये, या फिर चुनाव के समय किसी भी दल के बैंक खातों को फ्रीज कर देने के बाद कैसी समानता? आसान शब्दों में कहें तो यह अधिनायकवाद है, जहां शासन और सत्ता का हर अंग और कर्तव्य केवल एक व्यक्ति, एक दल, एक विचारधारा, तक सीमित हो जाता है। और उसका समर्थन करने वालों को केवल सत्ता ही सर्वोपरी लगती है। इसको लागू करने वाला दल देश, देशभक्ति के नाम पर सबको एक ही डंडे से हांकता है, और मानता है कि जो वह कर रहा है सही है।