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मां नर्मदा में घाटों के किनारे जगह-जगह गंदगी का फैलाव श्रद्वालुजनों द्वारा निरंतर ही किया जा रहा है। एक ओर जहां सरकार साफ सफाई अभियान चलाकर देश को स्वच्छ बनाने का प्रयास कर रही है, वहीं लोग इस/में अपनी जनभागीदारी न दिखाते हुए गंदगी फैला रहे हैं। मां नर्मदा के बरमान घाट पर जगह-जगह इस तरह के नजारे दिखाई देना आम है। प्रशासन के सख्त निर्देशों को भी इन पर कोई असर नहीं दिखाई दे रह नागरिकों में जागरूकता जरूरी वहां निवास कर रहे दिनेश, राहुल, मनोज ने बताया कि हम यहां पर आने वाले श्रद्घालुओं से गंदगी फैलाने के लिए मना करते हैं तो कुछ तो मान जाते हैं लेकिन कुछ नहीं मानते। नहाते समय लोग साबुन का अधिकतर प्रयोग करते हैं और पालीथिन फेंक जाते हैं जो विचरण कर रहे मवेशी भी खाते हैं। आदेश की उड़ रही धज्जिया और साबुन, डिटर्जेन्ट, वाहन धोने जैसे कार्य नित्य किये जा रहे हैं इससे नर्मदा नदी प्रदूषित हो रही है। वहीं श्रद्घालुओं का कहना है कि लोगों को आदेशों का पालन कराने के लिये प्रशासन को सजग रहना चाहिये। इसके लिये आवश्यक है कि स्थल पर प्रशासन ध्यान दे और गंदगी फैलाने वालों पर कार्रवाई करे। इसके लिये सभी को जागरूक होना भी जरूरी है। Posted By
जैन समाज के लिए रविवार का दिन बेहद कष्टदायक है, क्योंकि जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज ने समाधि ले ली। ऐसे में देश भर में जहां शोक की लहर है, वहीं मध्यप्रदेश सरकार ने भी उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए आधे दिन का प्रदेश में राजकीय शोक घोषित कर दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसकी घोषणा की है। इसके साथ ही प्रदेश में रविवार को होने वाले सभी सांस्कृतिक कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं उल्लेखनीय है कि तीन दिन के उपवास के बाद 'वर्तमान के वर्धमान' कहे जाने वाले जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज ने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ तीर्थ स्थल पर समाधि ले ली। उन्होंने तीन दिन पहले समाधि मरण की प्रक्रिया की शुरुआत की थी, जिसके बाद उन्होंने अन्न-जल का त्याग कर दिया था। शनिवार 17 फरवरी की देर रात 2.35 बजे दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने अपना शरीर त्याग दिया। आचार्य श्री के शरीर त्यागने की खबर मिलने के बाद से देश भर वहीं जिले के जैन समाज ने प्रतिष्ठान बंद किये जैन समाज के लोगों ने अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद कर उनकी अनुमोदना की ओर उनका पुण्य स्मरण कर आत्मकल्याण के मार्ग पर चलने की भावना का पुन: आत्मसात करने का मन बनाया।
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170 बेलगाड़ियों ने लिया भाग