सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

बिहार राज्य के नवादा जिला के नारदीगंज प्रखंड से तारा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से कांती देवी से बातचीत किया। बातचीत के दौरान कांती देवी ने बताया कि कनाडा और संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में महिला मुक्ति आंदोलन 1960 के दशक में नागरिक अधिकारी आंदोलन वियतनाम युद्ध के प्रति युद्ध विरोधी भावना विकसित हुआ था।

बिहार राज्य के नवादा जिला के नारदीगंज प्रखंड से तारा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से शोभा कुमारी से बातचीत किया। बातचीत के दौरान शोभा कुमारी ने बताया कि महिला आंदोलन ने लैंगिक समानता पर वैश्विक और राष्ट्रीय कार्यवाही को आगे बढ़ाया है। जैसे महिलाओं के सामने आने वाली कमियों को सूर करना और महिला अधिकारों का ज्ञान मिला है

बिहार राज्य के नवादा जिला के नारदीगंज प्रखंड से तारा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से अंजलि राज से बातचीत किया। बातचीत के दौरान अंजलि राज ने बताया कि आजादी के बाद महिलाओं का समाज में सम्मान बढ़ा लेकिन दशकों तक महिला सशक्तिकरण की गति धीमी रही। गरीबी, निरक्षरता महिलाओं के विकास में गंभीर बाधा रही है। गुणवत्ता पूर्व शिक्षा और कौशल के माध्यम से महिलाओं को व्यवसाय की ओर प्रोत्साहित कर इन्हे आर्थिक रूप से दृढ़ किया जा सकता है

बिहार राज्य के नवादा जिला के नारदीगंज प्रखंड से तारा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से अंजलि राज से बातचीत किया। बातचीत के दौरान अंजलि राज ने बताया कि देश में लगभग सभी हिस्सों में सती प्रथा, बाल विवाह, कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएं ख़तम हो चुकी हैं। आर्थिक ,राजनीति और घरेलू क्षेत्र में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाए गए हैं। महिला आंदोलन में महिलाओं के मुद्दा को सामने लाया गया है।

बिहार राज्य के नवादा जिला से बिंदु देवी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से अवधेश कुमार से बातचीत किया। बातचीत के दौरान अवधेश कुमार ने बताया कि महिलाओं को भूमि का अधिकार मिलना बहुत जरूरी है। महिलाओं को यह अधिकार मिलेगा तो उनका शोषण भी कम होगा। अगर महिला के पास भूमि नहीं होता है तो उन्हें बहुत सताया जाता है ,वो प्रताड़ित हो कर अपना नुकसान कर बैठती है

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दोस्तों, भारत के स्वतंत्रता आंदोलन ने महिलाओं के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाया। इसने उन्हें शिक्षा, राजनीतिक भागीदारी, सामाजिक सुधार और आर्थिक सशक्तिकरण के द्वार खोलने का अधिकार दिया। आज भी, स्वतंत्रता सेनानी महिला सशक्तिकरण और समानता के लिए संघर्ष करने वाली असुविधा के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनी हुई हैं। लेकिन इसके बावजूद महिलाओं को भूमि अधिकार प्रदान करना न केवल न्याय और समानता का प्रश्न है, बल्कि यह हमारे समाज के पूर्ण और सही मायनो में विकास और समृद्धि के लिए भी बहुत अधिक आवश्यक है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- महिलाओं के लिए भूमि का अधिकार मिले इसके लिए आप क्या करना चाहेंगे, आपके हिसाब से महिलाओं को भूमि का अधिकार न मिलने से पुरुषों में सबसे बड़ी अड़चन क्या है? और इसे कैसे दूर किया जा सकता है, *----- भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से प्रभावित महिलाओं को किस तरह आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली, और उसके समाज पर उसका क्या प्रभाव आया? *----- आपके हिसाब से महिलाओं के सशक्त होने से समाज में किस तरह के बदलाव देखने को मिल सकते हैं?

दोस्तों, कुछ ख़ास बातों का ध्यान रखकर इस गर्मी में अपने शरीर के साथ साथ घर को भी बनाएं थोडा ठंडा ठंडा, कूल कूल | कैसे? आइये इस कार्यक्रम में जानते है |

बिहार राज्य के जिला नवादा के नारदीगंज प्रखंड से तारा की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से शोभा कुमारी से हुई। शोभा कुमारी यह बताना चाहती है कि महिलाओं को समान अधिकार मिला है। अधिनियम 1918 पारित किया गया जिसने तीस वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को मताधिकार प्रदान किया है ,जो स्थानीय सरकार के निर्वाचक बनने की हक़दार थी।