मोबाइल वाणी और माय कहानी का एक ख़ास पेशकस आपके लिए कार्यक्रम भावनाओं का भवर जहाँ हम सुनेंगे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने से जुड़ी कुछ जानकारियां. तो चलिए, आज की कड़ी में जानते हैं कि डिप्रेस्शन यानि की गहरे मानसिक तनाव या अवसाद की स्थिति को कैसे पहचान सकते है और इस परिस्थिति से निपटने के लिए क्या कर सकते हैं । हा तो साथियों,आप हमें बताएं कि हमारे आसपास ऐसे कौन कौन सी परिस्थिति देखने को मिलती है जो एक ब्यक्ति को अवसाद ग्रस्त कर सकती है और अगर आपके किसी अपने में आज के कड़ी में बताये गए लक्षणों में से कोई लक्षण देखने को मिले तो सबसे पहला कदम आप क्या उठाएंगे ? इस तनाव भरी ज़िन्दगी में बच्चो और युवाओं को मानसिक तौर पर मज़बूत बनाने और अवसाद की स्थिति से दूर रखने के लिए माता पिता व परिवार के दूसरे सदस्यों की क्या भूमिका है ? साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। https://www.youtube.com/@mykahaani

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा मिर्च में लगने वाला लीफ कर्ल रोग और इसके उपचार के बारे में जानकारी दे रहे हैं। विस्तारपूर्वक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें .

विश्व विख्यात हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला के अंग्रेजी बाजार स्थित डीएम कैंप में शुक्रवार को जिलाधिकारी के निर्देश पर हरिहर क्षेत्र मेला का अतीत वर्तमान तथा भविष्य मीडिया की नजर में विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन एसडीओ आशीष कुमार भारतीय प्रशासनिक सेवा तथा जिला जनसंपर्क पदाधिकारी रविंद्र कुमार एवं पत्रकारों ने संयुक्त रूप से शुक्रवार को किया ।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

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सोनपुर मेले में मियां मिठाई,पापड़ी की खुशबू का जादू,मेलार्थियों की पहली पसंद बनी मियां मिठाई व पापड़ी मेलार्थियों की पहली पसंद बनी पापड़ी सोनपुर । 32दिनों तक लगने वाली ऐतिहासिक सोनपुर मेले की रंगीनियत और चहल-पहल के बीच एक खास आकर्षण बनकर उभरी है वैशाली जिले के राघोपुर के राम भजन राय सुबोध राय, नितीश कुमार की पापड़ी की दुकान। इसके अलावा यहां दर्जनो दुकान मेले की शोभा बढ़ा रही है। पापड़ी को यहां मियां मिठाई भी कहते हैं। लकड़ी बाजार से चिड़िया बाजार की ओर बढ़ते ही सोंधी-सुंधी खुशबू आने वाले हर राहगीर को अपनी ओर खींच लेती है। यह खुशबू किसी और की नहीं, बल्कि मेले की मशहूर पापड़ी की है, जो मेले में हर उम्र के लोगों को लुभा रही है। दुकान पर पापड़ी के साथ मंसूर,खस्ता खजूरी और ग्लूकोज मिठाई यहां तक की गाजर के साथ अन्य समाग्री मिलाकर घी के बने गाजर के हलुआ भी उपलब्ध है, जो मेले में मिठास घोल रही है।मेले में पापड़ी की सबसे बड़ी खासियत इसकी ताजगी और पारंपरिक स्वाद है। दुकानदार का कहना है कि , "हम इसे शुद्ध सामग्री और पुराने पारंपरिक तरीके से तैयार करते हैं, जिससे इसका स्वाद और खुशबू अनोखी बन जाती है।" यही कारण है कि उनकी दुकान पर आने वाले ग्राहक हर बार कुछ नया अनुभव लेकर जाते हैं। सोनपुर मेले की भीड़ और रौनक के बीच यादव जी की दुकान न सिर्फ मिठाई बेच रही है, बल्कि लोगों को पुराने जमाने के पारंपरिक स्वाद की याद दिला रही है। यहां आने वाले ग्राहक इस मियां मिठाई व पापड़ी को अपने घर ले जाने के लिए बड़े उत्साह से खरीद रहे हैं। यह स्वाद न सिर्फ उनके मेले की यादों में मिठास घोलता है, बल्कि उनके रिश्तों में भी। इस साल अनेको दुकान मेले के सबसे लोकप्रिय स्टालों में से एक बन गई है। हर दिन यहां ग्राहकों की भीड़ उमड़ती है, जो उनके उत्पादों की गुणवत्ता और स्वाद का प्रमाण है। सोनपुर मेले में आए कई पर्यटक और स्थानीय लोग उनकी मिठाइयों की तारीफ करते नहीं थकते। ऐसे में सोनपुर मेले की यह पापड़ी की दुकान न केवल व्यापार का माध्यम बनी है, बल्कि सोनपुर मेले की पारंपरिक और सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूत कर रही है। राघोपुर के निवासी राम भजन राय ने बताया कि मेरे यहां 140 से 300 रूपये तक, खजुरी 100,मंचूरियन मिठाई 160 रूपये जबकि गाजर हलुआ 160 से 200 रूपये किलो बिक्री का है। उन्होंने कहाँ कि मेला मे जितनी भीड़ हो रही है उस हिसाब से बिक्री नहीं है। जमीन व बनाने वाले समानों के दाम मे बढ़ोतरी होने से इस साल हर समान मे मात्र 10%के बृद्धि की गयी है। अपने पुस्तानी धंधे को बरकरार रखते हुए सोनपुर मेला मे आकर बेचते है।

सोनपुर मेला में विज्ञान एवं प्रद्योगिक विभाग के लगायी गयी प्रदर्शनी का विभागीय मंत्री सुमित कुमार सिंह ने फीता काटकर किया उद्घाटन सोनपुर। विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला मे शुक्रवार को सूबे के विज्ञान एवं प्रद्योगिकी सह सारण जिला प्रभारी सुमित कुमार सिंह ने कहा कि बिहार विकास की और बढ़ रहा है। बिहार में इंजीनियरिंग की पढ़ाई मात्र 10 रुपए में और पोलटेक्निक कि पढ़ाई मात्र 5 रुपये में होता है। हिंदुस्तान क्या पूरे विश्व में सस्ता तकनीकी की पढ़ाई नहीं होता होगा। मंत्री सुमित कुमार सिंह ने 32 दिनों तक सरकारी स्तर पर लगने वाली सोनपुर मेले के उद्घाटन के 16 दिनों के बाद सोनपुर मेला में विज्ञान एवं प्रद्योगिक विभाग के लगायी गयी प्रदर्शनी का फीता काटकर उद्घाटन किया। मंत्री ने लगायी गयी प्रदर्शनी को बारीकी से अवलोकन करते हुए मंत्री ने सोनपुर मेला के बारे में बताया पहले के सोनपुर मेला ओर आज के सोनपुर मेला में बहुत अंतर हो गया है। मौके पर विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।

सोनपुर मेले मे ही मात्र बिकती बच्चो को लुभाने वाले मिट्टी के बने धीरनी व सिटी सोनपुर। हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला में घुमने के बाद एक बात समझ में आती है कि मॉल और डिजनीलैंड के इस दौर में हमारी परंपरा और संस्कृति आज भी जीवित व क़ायम है. यहां हाथों से बनी खूबसूरत खिलौने बिक रहे हैं, जिन्हें कभी बचपन में गांव के मेले में देखा जाता था. इन खिलौनों को देख कई लोगों की बचपन की यादें ताजी हो जाती है. सोनपुर मेला में हाथ से बने खिलौने को बेचने वाले लोग इस बार बड़ी संख्या में देखे जा रहे हैं. इसमें बुजुर्ग, युवा और महिलाए भी शामिल हैं. जो आसपास के जिलों के विभिन्न गांवों से मेले में घूम-घूम कर मिट्टी की सीटी और घिरनी बेच रहे हैं. मेले में कई जगहों पर इनकी चलंत दुकानें लगी है. आज जहां हर बच्चे की जुबान पर स्मार्टफोन, लैपटॉप, रिमोट कंट्रोल कार और रोबोट का नाम रहता है, मगर महंगे खिलौने में वह भावनात्मक एहसास नहीं होता जो मेले में आकर महसूस होता है. हाथों से बनी मिट्टी की सीटी और घिरनी आज से नहीं कई दशकों से सोनपुर मेले का आकर्षण बनी हुई है. मेले का स्वरूप बदला,इसकी अवधि में तब्दीलियां हुई सब कुछ बदला मगर मिट्टी की सीटी और घिरनी नहीं बदली, मेले में पहुंचने वाले बुजुर्गों ने बताया कि चाहे कितनी भी आधुनिकता आ जाये लेकिन इस सीटी का रूप नहीं बदला, उनका मानना है कि मेले में पहुंचने वालों की उम्र कितनी भी क्यों न हो जाये, लेकिन लकड़ी की बनी गाड़ीऔर मिट्टी की बनी सीटी व घिरनी आदि की मांग हमेशा बनी रहेगी. डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ते जमाने में भी मात्र सोनपुर मेले में बिक रहे मिट्टी के बने खिलौने हर लोगों को उनके बचपन के दिनों की याद दिलाते हैं। हाथों से बनी मिट्टी की सीटी और घिरनी आज से नहीं कई दशकों से सोनपुर मेले का आकर्षण बनी हुई है। सोनपुर मेले में ही इतनी बढ़ती महगाई मे भी आज भी 10 रूपये मे 4 मिट्टी के बने धीरनी व सिटी बच्चो को मन बहलाने मे काफी है।हर लोग छोटे छोटे बच्चे के लिए इस मेले से मिट्टी के बने घिरनी व सिटी जरूर ले जाते है। सिटी व धीरनी बिक्रेताओं ने बताया कि पीठी दर पीठी से मात्र सोनपुर मेला मे मिट्टी के बने सिटी व धीरनी बिक्री होती है इसलिए हमलोग सोनपुर मेला मे आकर बेच कर किसी तरह से अपना व अपने परिवार के भरण पोषण करते है।

हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले में जुट रही है लोगों की भारी भीड़ सोनपुर। 32 दिनों तक सरकारी स्तर पर लगने हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले में उद्घाटन के बाद से लगातार लोगों की भीड़ जुट रही है. यहां तरह-तरह के झूले व लजीज व्यंजनों का आनंद लोग ले रहे हैं. पूरा मेला परिसर हर दिन लोगों से भर जा रहा है. दर्जनों झूले, सर्कस, जादू,मौत की कुआँ,व लगभग खान पान व घरेलू जरूरी सामान की दुकानों पर लोगों की भीड़ उमड़ रही है. मेले में सजी दुकानों में लोगों की जरूरत का लगभग हर सामान उपलब्ध है. पूरे मेला परिसर में 2500 से भी अधिक छोटी-बड़ी दुकानें लगायी गयी हैं.मेले मे जन जागरूकता के लेकर सरकारी स्तर पर दर्जनों विभाग के प्रदर्शनी लगायी गयी जिससे मेलार्थी उसका लाभ उठा सके। यहां आये मेलार्थी पहले विभिन्न प्रदर्शनी का अवलोकन कर रहे हैं. उसके बाद अपने परिजनों के साथ जमकर खरीदारी करते नजर आ रहे हैं और स्वादिष्ट व्यंजन का लुभत उठाते हुए घर जाते समय मेले से कुछ न कुछ जरूरत समाग्री भी खरीद कर ले जाते है। सोनपुर मेला इस बार पूरे उत्साह के साथ मेलार्थियों का स्वागत कर रहा है. वहीं लोगों की भीड़ को देख स्थानीय दुकानदार भी काफी उत्साहित हैं. मेले में प्रतिदिन 60 से 70 हजार लोग आ रहे हैं. जबकि शनिवार व रविवार को पांच लाख से अधिक लोग जुट रहे हैं. मेले में अब तक 40 करोड़ से अधिक के कारोबार की बात कही जा रही है. 32 दिनों तक चलने वाले इस मेले के अभी 19 दिन ही गुजरे हैं. मेला का समापन 12 दिन शेष रह गए है. ऐसे में उम्मीद जतायी जा रही है कि मेला के समापन होने तक यहां 100 से 120 करोड़ से भी अधिक का कारोबार होने की संभावना है ।