इस कार्यक्रम में हम जानेंगे कि कैसे गाँव के लोग मिलकर अपने समुदाय को मजबूत बना रहे हैं। जल संरक्षण, ऊर्जा बचत और आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सामूहिक प्रयासों की ताकत को समझेंगे। साथ ही, यह भी जानेंगे कि कैसे छोटे-छोटे कदम मिलकर बड़े बदलाव ला सकते हैं और गाँव के विकास में योगदान दे सकते हैं। क्या आपके समुदाय में ऐसे समूह हैं जो जल संरक्षण, आपदा प्रबन्धन या संसाधन प्रबन्धन पर काम करते हैं? अगर हाँ, तो हमें बताएं कि वे कैसे काम करते हैं? और अगर नहीं, तो इस कार्यक्रम को सुनने के बाद क्या आप अपने समुदाय में ऐसे सामूहिक प्रयास शुरू करने के लिए तैयार हैं?

उत्तेर प्रदेश राज्य के गाज़ीपुर जिले से मोनिका राजभर मोबाइल वाणी के माध्यम से ये बताना चाह रही है कि, मनरेगा साहितियक और सरकारी योजनाओ में हो रहे भ्रस्टाचार को लेकर सौपा गया पत्र। सरकारी योजनाओ में हो रहे भरस्टाचार के खिलाफ धरना प्रदर्शन का अनुमति न मिलने के कारन नेताओ और थाना अधक्ष्य के बीच लम्बी नोक झोक के बाद तनाव की स्तिथि बन गई, बाद में तहसीलदार द्वारा 1 माह की अवधी में समस्या के हल का हवाला देकर मामले की शांत किया गया।

-अनुबंध वार्ता विफल होने के बाद 2,400 से अधिक खनिकों ने हड़ताल की -वॉरियर मेट में कोयला कर्मचारियों की हड़ताल को 2 महीने पूरे हुए

-दो साल के संघर्ष के बाद पेरिस के आईबिस होटल के चैंबरमेड्स ने वेतन वृद्धि की लड़ाई जीती -चरमराई अर्थव्यवस्था और बेरोज़गारी को लेकर ओमान में जारी विरोध प्रदर्शन का चौथा दिन

बात कुछ दिनों पहले की है जब एनसीआर में यह आवाज़ बुलंद होने लगी कि एनसीआर का न्यूनतम वेतन समान होना चाहिए तो। इसी एनसीआर के उत्तर प्रदेश के नॉएडा में एक ऐसे ही शख्स से मुलाक़ात हुई, जो अपनी मेहनत को उन मूल्यों में बदलते देख रहा था जिस मुल्क की मिसाल दी जाती है कि उस देश ने इतनी तरक्की कर ली है कि हर इन्सान वहां बहुत सुख है। और ज्यादातर देश के लोग वहां रहना बसना चाहते है। ऐसी क्या खूबी है की मजदुर भाई रहने और बसने को बेबस हैं जानने के लिए इस ऑडियो पर क्लिक करे।

मज़दूरों की दुश्मन तो यह पूरी व्यवस्था है न कि कोई क्षेत्र, न कोई भाषा. मज़दूरों को खटाने के लिए कम्पनियों ने आज मज़दूर को मज़दूर का दुश्मन बना दिया और मज़दूर सस्ते होते ही कंपनियों में बने सामान की कीमत बढ़ जाती हैं और हम मज़दूर बट बट के इनकी सामानों की क़ीमत को बढ़ाते रहते है - क्योंकि इनके माल का कोई क्षेत्र नहीं, कोई भाषा नहीं, कोई राष्ट्र नहीं,कोई मुल्क़ नहीं कुछ है तो सिर्फ़ पैसा क्योंकि माल तैयार करने के लिये मज़दूर मिलना चाहिए। पूरी बातों को जानने के लिए इस ऑडियो पर क्लिक करे.