नए नए आजाद हुए देश के प्रधानमंत्री नेहरू एक बार दिल्ली की सड़कों पर थे और जनता का हाल जान रहे थे, इसी बीच एक महिला ने आकर उनकी कॉलर पकड़ कर पूछा कि आजादी के बाद तुमको तो प्रधानमंत्री की कुर्सी मिल गई, जनता को क्या मिला, पहले की ही तरह भूखी और नंगी है। इस पर नेहरु ने जवाब दिया कि अम्मा आप देश के प्रधानमंत्री की कॉलर पकड़ पा रही हैं यह क्या है? नेहरू के इस किस्से को किस रूप में देखना है यह आप पर निर्भर करता है, बस सवाल इतना है कि क्या आज हम ऐसा सोच भी सकते हैं?
कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?
कोई भी राजनीतिक दल हो उसके प्रमुख लोगों को जेल में डाल देने से समान अवसर कैसे हो गये, या फिर चुनाव के समय किसी भी दल के बैंक खातों को फ्रीज कर देने के बाद कैसी समानता? आसान शब्दों में कहें तो यह अधिनायकवाद है, जहां शासन और सत्ता का हर अंग और कर्तव्य केवल एक व्यक्ति, एक दल, एक विचारधारा, तक सीमित हो जाता है। और उसका समर्थन करने वालों को केवल सत्ता ही सर्वोपरी लगती है। इसको लागू करने वाला दल देश, देशभक्ति के नाम पर सबको एक ही डंडे से हांकता है, और मानता है कि जो वह कर रहा है सही है।
एडीआर संस्था ने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक पार्टियों की कमाई और खर्च का उल्लेख है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां अपने विस्तार और सत्ता में बने रहने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सत्ता धारी दल ने बीते वित्तीय वर्ष में बेहिसाब कमाई की और इसी तरह खर्च भी किया। इस रिपोर्ट में 6 पार्टियों की आय और व्यय के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई एम और बीएसपी और एनपीईपी शामिल हैं। दोस्तों, *---- आपको क्या लगता है, कि चुनाव लडने पर केवल राजनीतिक दलों की महत्ता कितनी जरूरी है, या फिर आम आदमी की भूमिका भी इसमें होनी चाहिए? *---- चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई खर्च की सीमा के दायेंरें में राजनीतिक दलों को भी लाना चाहिए? *---- सक्रिय लोकतंत्र में आम जनता को केवल वोट देने तक ही क्यों महदूद रखा जाए?
तमाम गैर सरकारी रिपोर्टों के अनुसार इस समय देश में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं सरकारें हर छोटी मोटी भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए उम्मीदवारों को नियुक्त पत्र देने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी आमंत्रित कर रही हैं, जिससे की बताया जा सके कि युवाओं को रोजगार उनकी पार्टी की सरकार होने की वजह से मिल रहा है।
कायदे में रहो एसपी से बोल पार्किंग ठेकेदार का कर्मचारी अवधेश वसूली का
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कांग्रेस महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने कहा - कि भाजपा सरकार में अपराध, भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। प्रदेश में बहन-बेटियों के साथ आपराधिक घटनाएं बढ़ रही हैं। किसानों की आय नहीं महंगाई दोगुनी हो गई है। पार्टी कार्यालय में । पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि खेती की लागत बढ़ गई है। किसानों को फसलों की कीमत नहीं मिली। जो लोग ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की बात करते हैं। उन्होंने नौजवानों को डिलीवरी ब्यॉय बना दिया है। भाजपा सरकार के पास महंगाई, बेरोजगारी पर कोई जवाब नहीं है। केंद्र न सरकार ईडी, सीबीआई, केन्द्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। कांग्रेस महानगर अध्यक्ष ने भाजपा सरकार पर लगाए आरोप कहा, प्रदेश में अपराध बेलगाम, बहू-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं संविधान के साथ खिलवाड़ कर रही है। उत्तर प्रदेश युवा कांग्रेस आउटरीच प्रकोष्ट के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद आदिल ने कहा की देश में युवा नौकरी के लिए भटक रहा है। फार्म भरने में उनके और परिवार के हजारों रुपये बर्बाद हो रहे हैं। ज्यादातर छात्र गरीबी रेखा के नीचे हैं। छात्र जब सेंटर पर पहुंचता है तो परीक्षा रद्द हो जाती है। परीक्षा देने के बाद उसे पता
अफसर अब कह रहे कि सचिव से लेंगे निर्माण की जानकारी गाजीपुर। एक तरफ सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं वहीं दूसरी तरफ अधिकारी हैं कि भष्ट्राचार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। दिव्यांगों के लिए शौचालय का निर्माण अभी तक पूरा नहीं हुआ, फिर भी धनराशि निकल गई। जबकि कागजों में शौचालय का निर्माण पूरा दिखाया जा रहा है। करीब एक वर्ष बाद भी अधिकारियों की नजर इस तरफ नहीं पड़ी। इससे दिव्यांग छात्र-छात्राओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यह है पूरा मामला - मनिहारी विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय चकमहताब में दिव्यांग शौचालय में न तो अभी शीट बैठी है। और न ही दिव्यांगो के लिए रेलिंग लगी है। ग्राम पंचायत के निधि खाते से एक लाख 36 हजार रुपये ग्राम प्रधान अखिलेश कुमार शांत द्वारा पैसा उतार लिया गया है। इस पूरी बात को सूनते ही ग्राम विकास अधिकारी प्रमोद कुमार घबड़ाने लगे की अब तो पोल खुल जाएगी लेकिन सच्चाई तो सच्चाई ही है। कुछ वार्ता के पश्चात ग्राम विकास अधिकारी ने खुद कबूल किया और कहा कि बहुत जल्द दिव्यांग शौचालय का कार्य पूरा कराया जाएगा। जिसकी पुष्टि ग्राम विकास अधिकारी प्रमोद कुमार ने मीडिया से खुद किया। सरकारी धन की हुई बंदर बांट- चकमहताब ग्राम सभा के प्राथमिक स्कूल में शौचालय अधूरा पड़ा है। अभी तक दिव्यांग शौचालय में सीट नहीं बैठी है। और न ही स्टील की रेलिंग लगी है। अभी शौचालय अपने पूरा मानक को पूरा नहीं किया है। ग्राम सभा में जमकर सरकारी धन की बंदर बांट हुई है। दिव्यांग बच्चों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। *कठोर कार्यवाही की जाएगी -* जब इस संबंध में सहायक विकास अधिकारी पंचायत उदित नारायण यादव से बात हुई तो उन्होंने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। यदि ऐसा हुआ है तो बहुत ग़लत है। मामले की जांच कराकर दोषियों के ऊपर कठोर कार्यवाही की जाएगी।
उत्तर-प्रदेश राज्य के गाजीपुर जनपद से मनोज कुमार गाजीपुर मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं की हिन्दुस्तान कम्पनी ने उनसे काम तो कराया मगर मजदूरी मांगने पर आना कानी कर रही है साथ ही पीछले दो महीने का वेतन नहीं दिया है |