बिहार के मधुबनी जिला से तेजनारायण ब्रम्हर्षि जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि मधुबनी के एन एम स्कूल की प्रशिक्षु सपना कुमारी जी मधुबनी सदर अस्पताल से ,मलेरिया के बारे में बताती की मलेरिया पलज़्मोडियम जीवाणु के द्वारा संक्रमण से फैलता है और मलेरिया मादा एनाफ्लीज़ मच्छर के काटने से भी फैलता है।मलेरिया रोग दूषित पानी और दूषित वातावरण से फैलता है।सोते समय मछरदानी नहीं लगाने और घरों के आस -पास फैली गन्दगी से मलेरिया रोग होता है। इसलिए मलेरिया से बचने के लिए सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए साथ ही घर के आस पास साफ सफाई रखनी चाहिए एवं अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए। मलेरिया रोग जल जमाओ से भी हो सकता है इसलिए डीटीडी छिड़काव करना चाहिए।

टी एन ब्रह्मर्षि,जिला मधुबनी से मोबाइल वाणी के माध्यम से मधुबनी जिले के सदर अस्पताल स्थित ए.एन. एम.स्कूल में प्रशिक्षु एएनएम चंदा कुमारी से मलेरिया सम्बन्धी साक्षात्कार ले रहे है जिसमे चंदा जी का कहना है कि मलेरिया संक्रमित बीमारी है,जो मच्छरों के काटने से फैलता है और उस मच्छर का नाम मादा एनोफ्लिज है.मच्छर आस-पास में हुई गन्दगी से फैलता है.मच्छरों की चार प्रजाति होती है.वही इनका कहना है कि मलेरिया से बचने के लिए कई तरीका अपनाया जा सकता है,जैसे कम पानी खर्च करना,कचड़े एक जगह पर फेंकना है।इस तरह की सावधानी अपनाकर मलेरिया से बचा जा सकता है।

टी एन ब्रह्मर्षि,जिला मधुबनी से मोबाइल वाणी के माध्यम से मधुबनी जिले के सदर अस्पताल स्थित ए.एन. एम.स्कूल में प्रशिक्षु गौतमी कुमारी से मलेरिया सम्बन्धी साक्षात्कार ले रहें हैं जिसमे गौतमी कुमारी जी का कहना है कि मलेरिया मादा एनोफ्लिज मच्छर के काटने से होता है।हमारे वातावरण में फैली गंदगी के कारण,जल जमाव के कारण या आवासीय कमी के कारण मलेरिया बढ़ता है।मलेरिया के चार प्रजाति होते हैं - प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम,प्लास्मोडियम विवैक्स,प्लास्मोडियम क्वाटर और प्लास्मोडियम ओवेल।10-12 दिनों के अंतराल में ही मलेरिया के लक्षण का पता चल जाता है। इसकी पहचान रोगी के सिर में दर्द,कपकपी के साथ बुखार तथा त्वचा लाल हो जाता है।मलेरी से बचाव के लिए डीडीटी पाउडर का छिड़काव करना चाहिए।

बिहार के मधुबनी जिला से तेजनारायण ब्रह्मऋषि जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं मधुबनी जिला के एएनएम स्कूल सदर अस्पताल के परिसर में हैं जंहा एक युवती हमें मलेरिया रोग के बारे मे बताती हैं कि मलेरिया मच्छर के काटने से होता है ,जिसकी चार प्रजातियाँ होती है।जमा हुआ पानी ,कूड़े कचड़ों की गंदगी ,खुले में बिना मच्छरदानी के सोने से मलेरिया रोग हो सकता है। एक घंटे या 15 मिंट तक यदि किसी को कपकपी लगने या दन्त किटकिटाने लगे ,रोगी को सर दर्द होने लगे तो यह मलेरिया के लक्षण हो सकते हैं। मलेरया के उपचार के लिए हमे क्लोरोक्विन दवा का उपयोग करना चाहिए।

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बिहार के जिला मधुबनी,से रामानंद सिंह जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि मधुबनी जिले के विद्युत उपभोक्ताओं को बिजली बिल नहीं मिल पा रहा है या जिनको बिल मिलता था अभी नहीं मिल पा रहा है, इसके अलावा कोई और समस्या हो तो उसके लिए मधुबनी जिला विद्युत विभाग के कार्यपालक अभियंता संतोष कुमार ने एक अलग काउन्टर स्थापित किया है।जहाँ सभी समस्याओं का हल निकाला जायेगा।किन्तु कार्यपालक अभियंता संतोष कुमार ने यह नहीं बताया कि 24 घंटे में आठ से दस बार लोड सेडिग क्यों की जाती है।जो उपभोक्ता समय पर अपना बिजली बिल का भुकतान किया करते है उनको परेशान क्यों किया जाता है और इसके पीछे क्या कारण है।ऐसी स्थिति खासकर गर्मी के समय रात में लाईट काट दिया जाता है और फिर घंटो बाद लाईट दी जाती है।

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प्रखंड खुटौना ,जिला मधुबनी , बिहार से शिवशंकर मंडल जी ने मलेरिया के सम्बन्ध में एक ग्रामीण दिलीप जी से बात की। बातचीत के दौरान दिलीप जी ने मोबाइल वाणी को बताया कि मलेरिया बीमारी से बचने के लिए सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करते हैं , घर में क्वाइल जलाते एवं आस पास साफ सफाई रखते हैं। मलेरिया से बचाव के लिए उन्होंने बताया कि घर की सफाई डेटॉल एवं फिनाइल से करना जरुरी होता है। साथ ही चापाकल के आस पास गड्ढों में जमे पानी में भी डेटॉल एवं फिनाइल का छिड़काव करना चाहिए।