बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड के कोल्हुआ पंचायत से रंजन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से सुप्रिया कुमारी से बातचीत किया। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि समाज से सभ्यता और संस्कृति गायब हो रहा है। रूढ़िवादी को समाज में आज धर्म का नाम दे दिया गया है। अगर हम गाँव में कहीं हैं और कोई शहर में है, तो पोशाक में अंतर होगा। हमारी संस्कृति को दबाने का मुख्य श्रोत है आधी अधूरी शिक्षा। साथ ही उन्होंने बताया कि शिक्षा में भी भेदभाव किया जा रहा है। इस भेदभव को ख़त्म करने के लिए हमें खुद आवाज़ उठाना होगा

बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड के कोल्हुआ पंचायत से रंजन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से श्वेता से बातचीत किया। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया की महिलाओं को जमीन का अधिकार मिलना चाहिए। इससे परिवार और समाज दोनों का विकास होगा। आज के समय में महिलाएं सभी क्षेत्र में पुरुष की बराबरी कर रही हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि आज भी महिलाओं के साथ समाज में भेदभाव किया जाता है। इसे दूर करने के लिए महिलाओं का शिक्षित होना बहुत जरूरी है। महिलाओं को संस्कृति और सभ्यता के अनुरूप चलना चाहिए। महिलाओं को भूमि अधिकार दिलाने के लिए महिला को एकजुट होना होगा

बिहार राज्य के जमुई ज़िला के धौघट से रंजन की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से निक्की कुमारी से हुई। ये कहती है कि शिक्षा में भेदभाव अभी भी हो रहा है। भेदभाव ज़ारी रहेगा तो समाज आगे नहीं बढ़ेगा। जागरूकता के साथ भेदभाव दूर कर सकते है। महिलाओं में जागरूकता ज़रूरी है। शिक्षा को लेकर प्रोत्साहित करना होगा। स्कूल में साइकिल दिया जाने लगा है तो लड़कियों की उपस्थिति स्कूल में बढ़ी है। महिलाओं को जमीनी अधिकार मिलना ज़रूरी है। लेकिन उन्हें जमीन नहीं मिल रहा है। पुरुष महिला को लेकर गलत सोच रखते है इसीलिए उन्हें जमीन नहीं देते है। महिला के पास संपत्ति नहीं होगा तो किसी भी बुरी परिस्थिति में उन्हें परेशान होगी। महिला शिक्षित होगी तब ही वो अपना हक़ ले सकती है। महिला का पहनावा बहुत ज़रूरी है। समाज की सभ्यता और संस्कृति के अनुसार महिला को रहना चाहिए। जिससे वो सुरक्षित रहे। महिलाओं को इसको लेकर भी समझाना ज़रूरी है

दोस्तों, भारत में विविधता की कोई कमी नहीं है। यहाँ के विभिन्न राज्य, जिलों और गांवों में भिन्न-भिन्न सांस्कृतिक, भाषाई और भौगोलिक विशेषताएं हैं। ये भिन्नताएं जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करती हैं और विशेष रूप से महिलाओं की स्थिति को भी प्रभावित करती हैं।भारत के विभिन्न हिस्सों में शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता में भारी अंतर है। शहरी और विकसित क्षेत्रों में जहां स्कूलों और शिक्षा संस्थानों की संख्या अधिक है और सुविधाएं बेहतर हैं, वहीं ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्कूलों की कमी और सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण शिक्षा प्राप्ति में असमानताएं देखने को मिलती हैं। दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- भारत के अलग-अलग हिस्सों में कई तरह की असमानताएं है, जिसमे खेती किसानी भी एक है। यहाँ आपको किस तरह की असमानताएं नज़र आती है। *----- महिलाओं को कृषि और अन्य ग्रामीण उद्यमों में कैसे शामिल किया जा सकता है?

रोजगार और श्रम के मसले पर भी महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, और इसके पीछे का कारण भी वही हैं जो उन्हें अवसरों का समानता, स्वतंत्र निर्णय लेने में होने वाली परेशानियां है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, भारत में महिलाओं का 81.8 प्रतिशत रोजगार अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में केंद्रित है। ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 के ही अनुसार, औसतन भारतीय महिलाओं को पुरुषों की आय का 21% भुगतान किया जाता था। इस सबके पीछे का कारण यह है कि महिलाओं को उनके परिवार में ही हक और बराबरी के बारे न बताया जाता है और न सिखाया जाता है, जिसके चलते महिलाओं के पास विकल्प कम होते जाते हैं, और वह जो मिल रहा है रख लो वाली सोच की आदि हो जाती हैं, जोकि उनकी क्षमताओं के साथ अन्याय है। *----- दोस्तों महिलाओं के हक, अधिकार और समानता के मसले पर आपका क्या सोचते हैं ? *----- क्या आपको भी लगता है कि महिलाओं को पिता की संपत्ती में अधिकार के साथ उनके साथ समानता का व्यवहार किये जाने की आवश्यकता है? या फिर आप कुछ इससे अलग भी सोचते हैं,

बिहार राज्य के जमुई ज़िला के बरहट प्रखंड के नुमर से आशुतोष पांडेय की बातचीत गिद्धौर मोबाइल वाणी के सामाजिक कार्यकर्ता सुनील कुमार राणा से हुई। ये कहते है कि शिक्षा बहुत ज़रूरी है। ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कों की पढ़ाई पर ध्यान दिया जाता है। इसी कारण महिला पीछे है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। अभी सरकार जितनी सुविधा महिलाओं को हिस्सा दे रहे है ,उसमे महिलाएँ बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही है। महिलाओं को शिक्षित कर महिलाओं को विकसित किया जा सकता है।सरकार द्वारा महिलाओं की प्रगति में प्रयास किया जा रहा है। भूमि में महिलाओं को छूट मिला है ताकि लोग जागरूक हो। अगर और छूट दिया जाएगा तो लोग ख़ुशी से माँ या लड़की के नाम से जमीन लेंगे। पहले की पीढ़ी से महिला को पीछे रखा गया है लेकिन अभी बहुत सुधार हो चूका है ,महिला आगे बढ़ रही है

भारत में भूमि, महिलाओं के सशक्तिकरण और आर्थिक स्वतंत्रता का एक महत्वपूर्ण साधन है। परंतु, सदियों से चली आ रही सामाजिक-सांस्कृतिक रूढ़ियों और कानूनी बाधाओं के कारण महिलाओं की भूमि पर अधिकार सीमित रहा है। यह सीमित पहुंच न केवल महिलाओं के व्यक्तिगत विकास को रोकती है, बल्कि समाज के पुरे विकास को भी रोकती करती है। आज भी महिलाओं के पास पुरुषों की तुलना में भूमि पर बहुत कम अधिकार हैं।यह देखते हुए कि महिलाएं बड़े पैमाने पर कृषि कार्य में लगी हुई हैं और अक्सर घरेलू उपभोग के लिए भोजन की प्राथमिक उत्पादक होती हैं। भूमि पर अधिक नियंत्रण के साथ, महिलाएं अधिक पौष्टिक फसलों, अधिक उत्पादक और टिकाऊ प्रथाओं में निवेश कर सकती हैं . तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- महिलाओं के लिए भूमि अधिकारों तक पहुंच में सुधार के लिए कौन से संसाधन और सहायता प्रणालियां आवश्यक हैं? *----- महिलाओं के लिए भूमि अधिकार को हासिल करने में संसाधनों तक सीमित पहुंच कैसे बाधा बनती है?

बिहार राज्य के जमुई ज़िला के बरहट प्रखंड से आशुतोष ,मोबाइल वाणी के माध्यम से रामचंद्र पंडित से बात कर रहे है। ये कहते है कि महिलाओं को मज़बूत बनाने के लिए शिक्षा ,आत्मबल और आत्मविश्वास ज़रूरी है। महिलाओं को मुख्य भूमिका निभाने नहीं दिया जा रहा है। महिलाओं को घर में बंधन में रखा है। यह ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में है। कुछ ही महिला है जो शिक्षा प्राप्त कर बाहर कार्य कर रही है। इन्ही महिलाओं को देखकर बाकियों को सीखना चाहिए। अन्य लोगों का दायित्व है कि महिलाओं को आत्मविश्वास से भरना चाहिए। बिना महिला के देश नहीं चलेगा। महिला पुरुष दोनों को सम्मान दिया जाए तो सुन्दर समाज से सुन्दर देश का निर्माण होगा। भेदभाव उच्च नीच की भावना से आता है। लोगों की नकारात्मक मानसिकता ही भेदभाव लाता है। मानसिकता सुधरेगी तो भेदभाव मिटेगा। लोगों को जागरूक होना ज़रूरी है

बिहार राज्य के जमुई ज़िला के बरहट प्रखंड से आशुतोष ,मोबाइल वाणी के माध्यम से श्री नुनेश्वर यादव से बात कर रहे है। ये कहते है कि महिलाओं को मज़बूत बनाने के लिए उन्हें शिक्षा मिलना चाहिए। केवल कानून बनाने से नहीं होगा ,जब तक सामाजिक सहयोग नहीं मिलेगा तब तक महिला आगे बढ़ नहीं सकती है। महिलाओं के साथ भेदभाव घर में ही होता है। शिक्षा के कारण ही महिला भेदभाव की शिकार होती है। इसीलिए शिक्षित करना ज़रूरी है। महिलाओं को जमीन में कानूनी अधिकार मिला है पर सरकार द्वारा सही व्यवस्था नहीं है। यह घर वालों पर निर्भर करता है कि महिला को जमीन मिले या नहीं। और पुरुष प्रधान महिला को भूमि नहीं देते है। सरकार लड़का लड़की को बराबर मान रहे है तो भूमि में भी बराबर का अधिकार है। कानून तो बना है पर अमल नहीं हो रहा है

बिहार राज्य के जमुई ज़िला के बरहट प्रखंड से आशुतोष की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से हमारे श्रोता से हुई ,ये कहते कि महिलाओं के प्रति हिंसात्मक घटनाओं को खत्म करने के लिए सरकार ने कई कार्य किये है ,कई कठोर कानून बनाए है ।लेकिन हिंसात्मक घटनाओं को कम करने के लिए समाज ही भूमिका अदा कर सकता है। लोग अपने बच्चों को बाहर शिक्षा के लिए भेज रहे है ,किताबी ज्ञान मिल रहा है पर सांसारिक ज्ञान नहीं दे पा रहे है। महिलाओं के साथ होनी वाली घटना से महिला को डरना नहीं चाहिए। समाज में अभी भी लोग महिला के नाम से जमीन लेने से हिचकते है। क्योंकि महिला गलत राह में जाती है ,यह सोच से परिवार वाले महिला को जमीन नहीं देते है। महिला को विश्वास दिलाने की ज़रुरत है। ताकि पति पत्नी एक साथ चल पाए। सरकार को कुटीर उद्योग चलाना चाहिए। ताकि महिलाओं को रोजगार से जोड़ा जा सके