कुछ महीने पहले की बात है, सरकार ने महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कानून बनाया है, जिससे उन्हें राजनीति और नौकरियों में आरक्षण मिलेगा, सवाल उठता है कि क्या कानून बना देने भर से महिलाओं को उनका हक अधिकार, बेहतर स्वास्थय, शिक्षा सेवाएं मिलने लगेंगी क्या? *----- शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक अवसरों तक महिलाओं की पहुंच में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं *----- महिलाओं को जागरूक नागरिक बनाने में शिक्षा की क्या भूमिका है? *----- महिलाओं को कानूनी साक्षरता और उनके अधिकारों के बारे में जागरूक कैसे किया जा सकता है"
माता-पिता के रूप में जहाँ हम परवरिश की खूबियाँ सीखते हैं, वहीँ इन खूबियों का इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते है।आप अपने बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने और उन्हें सीखाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते है? इस बारे में बचपन मनाओ सुन रहे दूसरे साथियों को भी जानकारी दें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं नंबर 3.
बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता रंजन कोल्हुआ पंचायत क्षेत्र के निवासी पशुराम से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि महिलायें आर्थिक दृष्टिकोण से कमजोर इसलिए रहती हैं। क्योंकि उनका ज्यादा असमय अपने घर - परिवार को सँभालने में जाता है। महिलायें इस बात पर ध्यान नहीं दे पाती हैं की वो भी आर्थिक रूप से मजबूत रहे। पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को आर्थिक आजादी नहीं होती है। इसका कारण है की महिलाओं को कमजोर समझा जाता है। लेकिन अगर महिलाओं को पैतृक संपत्ति में हक मिले और उन्हें परिवार का सहयोग प्राप्त हो तो बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। अधिकारों के साथ महिला का मनोबल बढ़ेगा उनमें कुछ करने की हिम्मत आयेगी। महिलायें खुद आत्मनिर्भर होंगी और अपने बच्चों का भविष्य भी अच्छा बना पायेगी। इसलिए घर के पुरुषों को अपनी घर की महिला को आगे बढ़ने में सहयोग करना चाहिए
बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता नागमणि साव ने जामती देवी से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि समाज में पुरुषों को अधिकार ज्यादा दिया जाता है। अगर महिलाओं को भी अधिकार दिया जाये तो बदलाव देखने को मिल सकता है
बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता नागमणि साव ने कोल्हुआ पंचायत निवासी मंजु देवी से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि समाज में पुरुषों को अधिकार ज्यादा दिया जाता है। घर का खर्च पुरुष ही देखते हैं और करते हैं। महिलाओं को पैसे खर्च करने की आजादी नहीं होती है। अगर महिलाओं को भूमि अधिकार दिया जाए तो महिला उसमे खेती कर आत्मनिर्भर बन सकती हैं। जिससे समाज में बदलाव नजर आ सकता है
बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से रंजन कुमार ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बिंदु देवी से बातचीत किया। बातचीत के दौरान बिंदु ने बताया की महिलाओं के मुकाबले पुरुष का अधिकार ज्यादा है। महिला को अगर संपत्ति का अधिकार दिया जायेगा तो महिलाएं आत्मनिर्भर हो का खेती कर पाएंगी और अच्छे से परिवार चला पाएंगी
बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता नागमणि साव ने कोल्हुआ पंचायत निवासी से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि आर्थिक दृष्टिकोण से महिलायें बहुत कमजोर होती हैं। क्योंकि उन्हें घर से निकलने की आजादी नहीं होती है। आज भी पुरुष प्रधान समाज महिला को घर में ही रखते हैं।महिलाओं को अचल संपत्ति का भी हक़ नहीं दिया जाता है। महिला पुरुष के डर से अपना अधिकार भी नहीं मांगती है। क्योंकि महिलायें कम पढ़ी लिखी होती है, तो पुरुष महिला को कम महत्व देते हैं। महिलाओं को भूमि पर अधिकार मिलेगा तो महिलाएं खेती और व्यवसाय कर के आत्मनिर्भर होंगी। इससे एक अच्छा बदलाव देखने को मिल सकता है
डीएम अभिलाषा शर्मा ने राष्ट्रीय पोषण माह के तहत छह महीने की उम्र पूरी करने वाले बच्चे का अन्नप्राशन करवाया। उन्होंने वहां मौजूद लोगों को बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों में भेजने और गर्भवती महिलाओं और बच्चों का टीकाकरण कराने के लिए प्रेरित किया।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
जमुई जेल में डीएम एवं एसपी ने की छापेमारी जिसके दौरान जेल के सभी वार्डों की जांच की गई। जांच के दौरान किसी भी तरह की कोई आपत्तिजनक सामग्री बरामद नहीं हुई।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
बिहार राज्य के जिला गिद्धौर से रंजन , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि आज भी समाज में पुरुषों का वर्चस्व इतना बढ़ गया है कि महिलाओं को वे सभी अधिकार मिलने चाहिए जो वे चाहती हैं। यह अधिकार महिलाओं को नहीं दिया जा रहा है और महिलाओं को वह अधिकार इसलिए नहीं मिल रहा है क्योंकि महिलाएं कम शिक्षित हैं और वे पुरुषों के डर से अपनी आवाज नहीं उठा पा रही हैं। जबकि घर की पूरी जिम्मेदारी घर की महिलाओं की है, बच्चों की देखभाल करना है, घर चलाना है, खेती-बाड़ी का काम करना है, ये सब जिम्मेदारी महिलाओं की है। लेकिन फिर भी पुरुष प्रधान समाज महिलाओं पर अपने अधिकार जताते रहते हैं, जिसके कारण महिलाओं को अभी भी आर्थिक दृष्टिकोण से बहुत कमजोर माना जाता है। उसे बच्चों के पीछे खर्च करने की स्वतंत्रता नहीं दी जाती है, उसे अपनी पसंद के अनुसार काम करने की स्वतंत्रता नहीं दी जाती है, जिसके कारण महिलाएं अभी भी उसी स्थिति में जी रही हैं जैसे वह पहले जी रही थी।