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बिहार राज्य के नालंदा जिला के नगरनौसा प्रखंड के गोरायपुर पंचायत से पूनम जी जीविका मोबाइल वाणी के माध्यम से अपनी संघर्ष की कहानी साझा कर रही है।जिसमें इन्होनें कहा कि जीविका मोबाइल वाणी पर इन्होने कई बार शौचालय के बारे में सुना और उस समय इन्हे बहुत शर्म आती थी लोगो को बताने में कि इनके घर पर शौचालय नहीं है।इनका कहना है कि पहले इनका घर मिटटी का था,इस कारण ये शौचालय नहीं बना पाईं।इनकी सी.एम प्रतिमा दीदी शौचालय बनवाने को लेकर बार-बार इन्हे प्रेरित करती रही और इन्होनें अपने घर वाले को भी बताया, पर उस समय कोई माना ही नहीं।घरवालों का कहना था कि खाने के लिए कुछ नहीं है और शौचालय कैसे बनाये।तब इन्होनें इस बारे में सी.एम दीदी से बात की और सी.एम दीदी ने बताया कि जीविका से पैसा लेकर इस काम को किया जा सकता है।फिर इन्होनें सी.एम दीदी से पैसे लेकर ईंटे मंगवाई और खुदाई भी शुरू कर दी।दिवार के ऊपर खड़पा लगा हुआ था,जो ये मोबाइल वाणी सुनते-सुनते उतारा करती थी।काम के दौरान ही इन्होनें मोबाइल वाणी पर शौचालय पर जानकारी सुना और तुरंत जाकर अपने पति को भी उस जानकारी को सुनाया।कार्यक्रम को सुनकर इनके पति जागरूक हुए और पूनम जी को शौचालय बनाने में मदद किये।आखिरकार अंत में आज ये शौचालय बनाने में सफल हुई।

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हमारे समाज में महिलाओं को पुरुषों के बराबर समान अधिकार प्राप्त हो सके इस उद्देश्य से भारत सरकार ने विभिन्न कानूनों का प्रावधान किया है। जिसमे महिलाओं को दहेज, घरेलू हिंसा, श्रम में भेदभाव के खिलाफ, सम्पत्ति में हिस्सा, विवाह और तलाक आदि संबंधी कई अधिकार दिए गए हैं। लेकिन इसके बावजूद भी बड़ी संख्या में आज हमारे समाज में महिलाएं भेदभाव की शिकार होती हैं। दोस्तों, आखिर क्या कारण है कि महिलाओं के पक्ष में कानून होते हुए भी वे कानून का लाभ नहीं उठा पातीं? क्या महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक है ? साथ ही एक बात यह भी गौर करने वाली है कि कानून के नज़रों में बेटा और बेटी एक समान होते हैं,पर क्या वास्तव में ये अधिकार बेटों के बराबर बेटियों को मिलता है ? दोस्तों, जब एक बेटी अपनी ससुराल में रहते हुए भी कई बार अपने माता -पिता का जिम्मेदारी उठाती हैं ,तो आखिर वे पिता के सम्पति से अपना हक़ क्यों नहीं मांग सकती ? आखिर क्या वजह है कि हमारे समाज में लोग पिता के सम्पति से बेटियों को हिस्सा देने से कतराते हैं ? श्रोताओं, आप हमे बताएं कि क्या इन क़ानूनी अधिकारों के बारे में महिलाओं को जागरूक किया जाता है ? साथ ही क्या महिलाओं के अधिकारों से जुड़ी विभिन्न कानूनों को सही पालन हो इसके लिए सरकार और आम नागरिकों की क्या भूमिका होनी चाहिए ?

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