किसान संजय कुमार बताते है,की वो 6बीघा पर खेती करते है,लेकिन उसमें 15 कठा उनका जमीन है,बाकी वो नगदी लेकर खेती करते है,सुखार से तो उनको हानी हुआ लेकिन उसका फायदा जमीन उनका नही रहने के कारण नही हुआ।
बिहार की सबसे बड़ी त्रासदी प्राकृतिक आपदाएं बारिश के मौसम में बिहार के अधिकांश जिले पर आया हर साल बाढ़ की चपेट में आकर तबाह हो जाते हैं इस वर्ष बिहार में बाढ़ की तबाही और त्रासदी की नौबत नहीं आई तो सुखाड़ किसानों के सिर पर चढ़ गया हमारे बिहार राज्य में 38 में से 26 जिले सूखा की चपेट में आ गई
किसान रामानुज जी बताते है कि जो रैयत जमीन था उस पर सरकार द्वारा घोषणा की गई सूखा अनुदान तो प्राप्त हुआ लेकिन जो गैर रैयत जमीन था जिसके खेती में नुकसान उठाना पड़ा सूखा के कारण,उसका कुछ भी छति पुर्ती नही मिला,खेती में हमे नुकसान उठाना पड़ा और पैसा उन्हें मिला जो ज़मीन मालिक है,जो वास्तव में खेती किया ही नह
कृषि समन्वयक मोहन जी बताते है की सूखा घोषित होने के बाद किसानों को क्या सुबिधा मील रही है और उसके लिए उन्हें क्या-2 जरूरी कदम उठाने पड़ते है।
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बिहार राज्य के जमुई जिला के सिकन्दरा प्रखंड से विजय कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है ,कि जब कोई माँ अपने बच्चे को जन्म देती है, तो उसके लिए बड़े-बड़े सपने संजोते है।अपितु उस सपने को साकार करने वाला शिक्षक ही होता है।बच्चों का भविष्य शिक्षक रूपी शिल्पकार के हाँथो में ही तैयार होता है। प्राचीन काल में गुरुकुल परम्परा थी। जिसमें माता -पिता बच्चे को सिर्फ जन्म देती थी। बच्चे उन्ही के कुटिया में भविष्य को निखारते थे साथ ही गुरु को अपने दीक्षा के बदले में यथा शक्ति दक्षिण मिलता था।उसी में वे खुश रहते थे।समय बदला और आधुनिक युग में गुरूओं का भी रूप बदला।शिक्षकों को अब दक्षिण से काम नहीं चलता है, वे अब मोठे पैसे की ख़्वाहिश रखते है।
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बस स्टॉप , मेट्रो स्टेशन , रेलवे स्टेशन , एअरपोर्ट , बाज़ार , हात ,घर मंदिर , ग्रुद्वारा , चौक चौराहा , स्कूल , कालेज , यूनिवर्सिटी , हॉस्पिटल , सड़क , गली मोहल्ले , कहीं भी महिलाएं सुरक्षित महसूस नहीं करती जब वह अकेली होती हैं , सुरक्षा प्रदान करने मैं इस अभियान का हिस्सा बनें .
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