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मज़दूरों के वोट के लाभ और नेताओं के ठाठ बनाये रखने के लिए लोकतंत्र फैक्ट्री के ठेकेदार अपने नेतृत्व के माध्यम से नागरिकों को संगठित करने और सकारात्मक परिवर्तनों को प्रेरित करने के लिए उत्साहित कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में सफलता के लिए, सार्वजनिक समानता, न्याय, और सहयोग के सिद्धांतों पर ध्यान दिलाया जा रहा है अब इस त्यौहार में कम्पनियों के वांच खिलने लगी है क्यों कि यही वह मौका है जहां राजनीतिक पार्टियाँ जनता से वादा और कम्पनियों से सौदा करती हैं और बदले में ये सारी कम्पनियाँ राजनितिक पार्टियों को चुनवी चंदे की सौगात से नवाजते हैं ताकि आने वाले दिनों में इनके लिए गए कर्ज़, टैक्स मैन कटौकी और कुछ सरकार के टेंडर, लाइसेंस, मुफ़्त में सेज़ के नाम प्रति फैक्ट्री लगाने के लिए ज़मीन मुहैय्या कराया जाता है ताकि इनकी पूँजी की शक्ति और शक्तिशली बने तब भी मजदूरों का शोषण संभव होगा। तो श्रोताओं क्या आपको लगता है कि हम मज़दूरों की मज़दूरी को काटकर पूंजीपति सरकरों को चंदे के रूम में दान कर रहें हैं ताकि कंपनियों की सरकारों को कंपनियों के हित में कानून बनाने और सस्ते मज़दूर मुहैय्या कराये जा सकें ? अपने विचार और सवाल हमसे जरूर साझा करें नंबर 3 दबाकर और अगर यह डेयरी आपको पसंद आयी है और लोगों से साझा करना चाहते हैं तो दबाएँ नंबर 5 शुक्रिया धन्यवाद्

अपने अधिकारों की रक्षा के लिए विरोध और मुखालफत करना ज़रूरी है, बिना इसके आपको कोई अधिकार नहीं मिलेगा, आपकी नजर में अभी तक क्या कमी रह गई कि सत्ता और पूंजी के इस खेल में पूंजी अभी भी जीतती नजर आ रही है, क्या आपको भी लगता है कि आपके अपने बीच के लोगों ने मजदूर से मालिक बनने के क्रम में अपने साथियों का साथ छोड़ दिया जिससे हक और अधिकार की लड़ाई कमजोर हुई?अपने विचार और सवाल हमसे जरूर साझा करें नंबर 3 दबाकर और अगर यह डेयरी आपको पसंद आयी है और लोगों से साझा करना चाहते हैं तो दबाएँ नंबर 5 शुक्रिया धन्यवाद्।

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