यूं तो पूरी दुनिया ने बीते कुछ सालों में बहुत कुछ देखा है पर कामकाजी मजदूर वर्ग ने जो जिया है वो शायद ही समाज के किसी और तबके ने जिया हो. लॉकडाउन, बेरोजगारी, महंगाई, खाने की मारा मारी, योजनाओं के नाम पर मिला छलावा और कंपनी प्रबंधन की मनमानियां! इन सबके बाद भी काम तो करना ही है... पर कैसे? अधिकारों को तांक पर रखकर कोई भला कैसे काम कर सकता है? जब प्रबंधन नहीं सुनता है तो मजदूरों का एक हो जाना जरूरी है.. फिर ये एकता धरने के रूप में ही सामने क्यों ना आए! दोस्तों, अगर अपने ने भी अपने साथियों के साथ मिलकर अन्याय और शोषण के विरोध में धरना प्रदर्शन या फिर आंदोलन में भाग लिया है तो अपना अनुभव हमारे साथ साझा करें. अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.