उत्तरप्रदेश राज्य से हमारे श्रोता,साझा मंच के माध्यम से कह रहें हैं कि सभी राज्यो में मज़दूरों की वेतन एक सामान नहीं है और हरियाणा श्रम मसौदा मज़दूरों के लिए बिलकुल भी ठीक नहीं है। यदि कोई मशीन पहले से ही टूटी निकली और मज़दूर पर आरोप लगाया गया की इसे उसी ने तोड़ा है तो मज़दूर कहाँ से मशीन की क़ीमत भरेगा क्योंकि उसकी वेतन सिर्फ गुज़ारे लायक ही होता है। श्रमिक ऐसे ही अपने जीवन में परेशान है ,अगर उनपर बोझ डाल दिया जाएगा तो उन्हें और परेशानी झेलनी पड़ेगी। क़ानून में मालिक वर्ग के लिए सहूलियत दी गई है लेकिन मज़दूर वर्ग के लिए कुछ फ़ायदा नहीं। क़ानून बनाने से पहले इसपर पुनर्विचार करना चाहिए