तमिलनाडु के तिरुपुर ज़िला से मीना कुमारी की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से मंजू देवी से हुई। मंजू ने बताया कि ठेकेदार ने श्रमिकों से पैसे लेकर उनके लिए बस उनके गृह राज्य भेजवाए ,जहाँ से 40 से 50 मज़दूर वापस आए है। कंपनी में चार साल से कार्य कर रहे है। पहले जिस तरह से कार्य होता था और जितना वेतन मिलता था ,वहीं अभी भी हो रहा है। लॉक डाउन में जो पैसा बकाया था वो ठेकेदार के द्वारा मिल गया है। पहले पीएफ का पैसा कटता था अब काम करते हुए केवल एक ही महीनें हुए है इसलिए इसकी जानकारी नहीं है।उनके पास यूएएन नंबर नहीं है जिससे वो पीएफ का पैसा का योगदान देख सके। ठेकेदार के द्वारा लगभग 60 श्रमिक कार्य कर रहे है जो पीस रेट में है। उन्हें नकद में पैसे मिलते है। श्रमिकों के अनुसार पीस रेट में काम करना ज़्यादा फ़ायदेमंद है इसमें श्रमिकों को आराम मिलता है। अगर कंपनी में श्रमिकों को कुछ परेशानी होती है तो अगर ठेकेदार से बात किया जाता है तो वो सहायता करते है। पहले जो कंपनी में वो शिफ्ट में कार्य कर रही थी वहाँ उन्होंने प्रबंधन से वेतन बढ़ाने की बात की थी परन्तु कोई समाधान नहीं निकलने पर उन्होंने दूसरी कंपनी ज्वाइन कर ली जहाँ वो पीस रेट में कार्य कर रही है।मंजू के अनुसार जिस श्रमिक को काम में समस्या होती है तो उसे ही आगे बढ़ कर अपने लिए आवाज़ उठाना पड़ता है