गुजरात राज्य के अहमदाबाद से हमारे एक श्रोता ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि वो सात साल से कंपनी में कार्य कर रहे है। उन्हें 5000 रूपए वेतन मिलता है। वेतन भी बढ़ाया नहीं जाता है। उनका पीएफ भी नहीं कटता है। इसके लिए वो क्या करें?

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अगर आपकी कंपनी में 20 या 20 से अधिक मज़दूर काम करते हैं तो आपकी कंपनी को पीएफ का योगदान देना अनिवार्य है। कंपनी मज़दूरों के पीएफ का पैसा देने से मना नहीं कर सकती, क्योंकि वह मज़दूरों का पैसा है। लेकिन अगर कम्पन्यां ऐसा करती हैं तो आप इसकी शिकायत जरूर करें। ऑनलाइन शिकायत करने के लिए वेबसाइट- http://epfigms.gov.in/ खोलें और स्टेटस में पीएफ सदस्य या ईपीएस पेंशनर चुनें, यदि आप पेंशनर हैं। यदि आपके पास अपना यूएएन नंबर नहीं है या आप ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग करना नहीं जानते, तो आप एक विस्तृत शिकायत पत्र भी लिख सकते हैं, जिसमें आपको अपनी कंपनी का नाम, आपकी कंपनी द्वारा निर्गत परिचय पत्र संख्या और आपके काम करने के दिन जैसे विवरण लिख कर परेशानी का कारण बताते हुए परिचय पत्र, वेतन पर्ची, नियुक्ति पत्र आदि का ज़ेरॉक्स संलग्न करते हुए उसे जमा कर दें। अगर आपकी समस्या का हल नहीं मिलता है तो आप एक लेबर ऑफिस भी जा सकते हैं, जहां लेबर अधिकारी आपके और आपकी कंपनी के बीच सुलह करवाने कि कोशिश करेंगें, और समझौता ना होने पर वे आपका केस लेबर कोर्ट में भेज देंगे। मज़दूरों का शोषण इसलिए होता है क्योंकि कम्पन्यां मज़दूरों को अलग-अलग बाट कर रखना चाहती है, और वे इसमें सफल भी हुऐ हैं, कोई भी मजदूर यूनियनो के साथ नहीं जुड़ते और जिसका सीधा फायदा कम्पन्यां उठाती हैं। दूसरी बात यह है कि मज़दूरों को अपने हकों के बारे में कोई जानकारी नहीं होती और आखिर में जब उन्हें अपना पीएफ-ईएसआई का लाभ चाहिये होता है तब वो कंपनी से सरकारी दफ़्तर और सरकारी दफ़्तर से कंपनी दौड़ते रहते हैं। मज़दूरों में जबतक एकता और अपने हकों के बारे में जानकारी नहीं होगी तब तक उनका शोषण हर तरफ़ से होता रहेगा। एकता कि ताकत को मज़दूर अभी तक नहीं समझ पाए हैं।
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Sept. 7, 2020, 5:36 p.m. | Tags: govt entitlements   int-PAJ   industrial work   workplace entitlements