तिरपुर, तमिलनाडु से आठवीं पास प्रीतम मंडल साझा मंच मोबाईल वाणी के माध्यम से अरूण से बात कर बता रहे हैं कि इनके गाँव में मनरेगा का काम चलता है साल में सौ दिन। इनके रिश्तेदार तिरपुर में हैं, इसलिए ये भी यहीं आकर हेल्पर का काम कर रहे हैं। लॉक डाउन में कम्पनी से एक बार और सरकार से दो बार राशन मिला, जो तौलकर नहीं दिया गया था, लेकिन अनुमानित रूप से पंद्रह किलो चावल, एक किलो दाल और एक लीटर दाल एक पैकेट में था। कोरोना-संक्रमण की बढ़ती हुई रफ़्तार को देखते हुए दुबारा लॉक डाउन लागने का डर लग रहा है, इसलिए अब घर जाना चाहते हैं। लॉक डाउन के बाद कहाँ जाना है, उस समय तय करेंगे। किसके नसीब में क्या है, कौन जानता है!