एक श्रोता साझा मंच मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि लॉक डाउन में घर जाने पर इन्हें चौदह दिन स्कूल में क्वारंटीन रखा गया था, जहाँ खाने-पीने की अच्छी व्यवस्था थी। लॉक डाउन की अवधि का लगभग पाँच हज़ार रुपया अभी कम्पनी में फँसा हुआ है। खाने-पीने और किराया देने की परेशानी के कारण वापस घर चले आए। काम शुरू होने और गाड़ियाँ चलनी शुरू होने पर वापस आएँगे। गाँव में कोई काम नहीं होने से वापस आना मजबूरी है।