झारखण्ड राज्य के धनबाद ज़िला से बीरबल महतो झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि झारखंड एक खनिज़ संपदाओं से परिपूर्ण राज्य है।इसके बावज़ूद यहां पर शिक्षा व्यवस्था काफी बदहाल है।यहां पर उच्च शिक्षण संस्थानों की कमी है जिससे यहां के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते हैं और उच्च शिक्षा के लिए अन्य राज्यों का रुख करते हैं।यदि खनिज संसाधनों के दृष्टि से दक्षिण भारतीय राज्य केरल की तुलना झारखण्ड से की जाये तो झारखण्ड खनिज सम्पदा से परिपूर्ण राज्य है परन्तु शिक्षा की दृष्टि से झारखण्ड केरल से काफ़ी पीछे है।शिक्षा के क्षेत्र में राज्य के पिछड़ा होने का एक कारण यह भी है कि झारखण्ड में ऐसा देखा जाता हैं कि मैट्रिक उत्तीर्ण न रहने के बावज़ूद भी कई नेता विधायक के पद पर स्थापित हो जाते हैं। वे कहते हैं कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने हेतु स्थानीय प्रतिनिधियों द्वारा क्षेत्र में स्कूल,कॉलेज व विश्वविद्यालय स्थापित किया जाना चाहिए जिससे उच्च शिक्षा के लिए युवाओं का पलायन पर रोक लग सके।

झारखंड राज्य के बोकारो जिला के चन्द्रपुरा प्रखंड से नरेश महतो और इनके साथ एक अभिभावक जिनका नाम भरत महतो है। वे मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि हर अभिभावक का यह सपना रहता है कि उनके बच्चे अच्छे से पढ़ लिख कर एक अच्छी जगह में जा कर काम करें। अपने बच्चों को कामयाब देखने के लिए अभिभावक हर रूप में बच्चों की मदद करते हैं। जितना पैसा खर्च करना पड़े वे पीछे नहीं हटते हैं। झारखण्ड में कई डिग्री कॉलेज है, जहाँ सरकार के द्वारा सत्तर हजार रूपए फण्ड के रूप में बच्चों की पढ़ाई के लिए दिया जाता है। इसलिए अभिभावक हमेशा यह सोचते हैं कि उनके बच्चे अपने ही राज्य में बेहतर शिक्षा ग्रहण करें। लेकिन आज कई विद्यालयों में अभिभावकों से पुनः नामांकन के नाम पर पैसे माँगे जाते हैं और इसकी जानकारी अभिभावकों को नहीं होती है। मजबूरन अभिभावक इसकी जानकारी अपने क्षेत्र के प्रतियासी को देते हैं, कि आखिर क्यों पुनः नामांकन में अभिभावकों से पैसा लिया जा रहा है। अतः बच्चों को बीएड,पॉलटेक्निक या आईटीआई की शिक्षा उनके क्षेत्र में ही प्राप्त हो इसके लिए उच्च शिक्षण स्थान की सुविधा होना चाहिए।

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला के बिष्णुगढ प्रखंड से राजेश्वर महतो और इनके साथ एक अभिभावक दशरथ महतो हैं। वे मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि हर अभिभावक अपना और अपने बच्चो के भविष्य को उजागर बनाने के लिए हर तरह से कोशिश करते हैं। लेकिन राज्य में शिक्षण संस्थानों की सुविधा नहीं होने के कारण अभिभावकों के साथ-साथ बच्चों के सपने अधूरे रह जाते हैं। साथ ही गरीब परिवार होने के कारण अभिभावक अधिक पैसे खर्च कर अपने बच्चो को अन्य राज्य में शिक्षा प्राप्त करने के लिए नहीं भेज पाते हैं। साथ ही राज्य में कई संस्थान है लेकिन हर कार्य के लिए अभिभावकों से पैसे लिए जाते हैं जिसे पुरा करने में अभिभावक सक्षम नहीं हो पाते है। अतः जो बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए अन्य राज्य में जाते हैं उनके लिए सरकार द्वारा राज्य में ही निःशुल्क उच्च शिक्षण संस्थान की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

झारखण्ड राज्य से जे.एम रंगीला की बातचीत झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से अनंत कुमार पाण्डेय जी से हुई जो एक शिक्षक हैं। बातचीत के दौरान अनंत जी ने बताया कि उनके क्षेत्र में उच्च शिक्षा की व्यवस्था अच्छी नहीं हैं। क्षेत्र के सरकारी विद्यालय में शिक्षक की कमी हैं जिस कारण पारा शिक्षक ही बच्चो को पढ़ा रहे हैं। प्रशिक्षित शिक्षक नहीं रहने से विद्यार्थियों तक शिक्षा का मूल ज्ञान नहीं पहुँच पाता हैं। गैर सरकारी विद्यालय में प्रशिक्षित शिक्षक को मेहनत के अनुसार मान्यता नहीं मिलता। इस कारण शिक्षक सरकारी स्कूल में पंजीकरण कर लेते हैं। शिक्षकों की कमी के कारण विद्यार्थी को सही दिशा निर्देश नहीं मिल पाता हैं। अभिभावकों के मज़बूरी से शिक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा हैं। उच्च शिक्षा में सुधार के लिए समाज को आगे आने की आवश्यकता हैं। शिक्षा समिति को इस समस्या पर खासा ध्यान देने की आवश्यकता हैं।विद्यालयों में प्रशिक्षित शिक्षकों को नियुक्त करना चाहिए ताकि विद्यार्थियों को मूल ज्ञान प्राप्त हो सके। उच्च शिक्षा सम्बन्धी संसाधनों को भी प्रयोग में लाना चाहिए जिससे विद्यार्थियों को लाभ मिले। अंग्रेजी को छोड़ कर मातृ भाषा को महत्व दिया जाना चाहिए। झारखण्ड ख़निज से भरा पूरा हैं। अगर तकनिकी शिक्षा उपलब्ध करवाया जाता तो लाभकारी साबित होगा परन्तु देखा जाता हैं कि महँगी शिक्षा के कारण ग़रीब तबके के विद्यार्थी तकनिकी शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं।

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग ज़िला से राजेश्वर महतो की बातचीत झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से लक्ष्मी कुमारी से हुई। बातचीत के दौरान लक्ष्मी कुमारी ने बताया कि वो बिष्णुगढ़ डिग्री कॉलेज में समाज शास्‍त्र की छात्रा हैं। वो बताती हैं कि कॉलेज का चुनाव करने से पहले यह देखना आवश्यक हैं कि संस्थान भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हो।वो पढ़ लिख कर रांची में जी.डी.ए का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं और प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वो गरीबों व असहाय बुजुर्गों की सेवा करना चाहती हैं। लक्ष्मी कुमारी यह भी बताती हैं कि वो निम्न वर्ग से सम्बन्ध रखती हैं। उनके अनुसार उनके क्षेत्र में ही उच्च शिक्षण संस्थान जैसे मेडिकल कॉलेज,इंजीनियरिंग कॉलेज के साथ इलेक्ट्रीशियन,पत्रकार ,ब्यूटिशियन आदि का भी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि अभिभावकों को ज़्यादा ख़र्च की चिंता न करना पड़े।लक्ष्मी कुमारी के अनुसार अपने राज्य में ही रह कर उच्च शिक्षा प्राप्त करना ज़्यादा अच्छा हैं।

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झारखण्ड राज्य के जिला बोकारो प्रखंड नावाडीह से जे.एम.रागीला झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से दिलिप महतो का साक्षात्कार लेते हुए वे कहते है, कि हर माँ बाप का सपना होता है कि उनके बच्चे पढ़ लिख कर डॉक्टर,इंजीनियर या कोई अधिकारी बने। बोकारो एक औद्योगिक जिला है लेकिन इस क्षेत्र में उच्च शिक्षण संस्थान उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण विद्यार्थियो को दूसरे शहर जाना पड़ता है। वे सरकार से आग्रह करते है कि बेरमो, बोकारो क्षेत्र में भी उच्च शिक्षण उपलब्ध कराई जाए।

अभी भी लाखों भारतीय बच्चे ऐसे स्कूलों में जाते हैं जहां न बिल्डिंग है, न किताबें और न ही अध्यापक। ऐसे भी कहा जाता है कि जिस देश या राज्य कि शिक्षा बदहाल हो जाए , तो उस देश या राज्य की तरक्की रुक जाती है। और यही हाल शायद हमारे राज्य झारखण्ड का भी है , जहाँ सिर्फ 8 फीसदी युवा ही उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज या विवि तक पहुंच पाते हैं। और इसी विषय को लेकर इस बार हमने जनता की रिपोर्ट में बात की झारखण्ड में उच्च शिक्षा की बदहाली की व्यवस्था पर . जिस पर हमारे श्रोताओं ने अपने विचार हमारे साथ साझा किए. तो साथियों आपने सुनी हमारे श्रोताओं की राय. दोस्तों ,राज्य में उच्च शिक्षा की इस तरह की बदहाली पर आप क्या सोचते है ? क्या आप या आपके जान-पहचान लोग है , जो उच्च शिक्षा कारण राज्य से पलायन कर गए ?आपके अनुसार राज्य में उच्च शिक्षा बदहाली पीछे क्या-क्या कारण हो सकते है ?

बेहतर शिक्षा सभी के लिए जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । यह हम में आत्मविश्वास विकसित करने के साथ ही हमारे व्यक्तित्व निर्माण में भी सहायता करती है।जहाँ प्राथमिक शिक्षा विद्यार्थियों को आधार प्रदान करती है, जो जीवन भर मदद करती है, वहीं माध्यमिक शिक्षा आगे की पढ़ाई का रास्ता तैयार kहै और उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरे जीवन में, भविष्य में आगे बढ़ने का रास्ता बनाती है। हमारी शिक्षा इस बात का निर्धारण करती है कि हम भविष्य में किस प्रकार के व्यक्ति बनेंगे। दोस्तों , इस हफ्ते जनता की रिपोर्ट में हम बात करेंगे झारखण्ड में उच्च शिक्षा की बदहाली की व्यवस्था पर श्रोताओं , 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार राज्य में साक्षरता का प्रतिशत 66.41 था. इसमें महिलाओं में साक्षरता दर 52.04% , जबकि पुरुष साक्षरता दर 76.84% थी. लेकिन इसके ठीक विपरीत झारखंड में उच्च शिक्षा की नामांकन दर सिर्फ 8.1 फीसदी है. यानी राज्य में सौ में से सिर्फ 8.1 फीसदी युवा ही उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज या विवि तक पहुंच पाते हैं केंद्रीय मानव संसाधन विभाग ने उच्च शिक्षा और इसे बढ़ावा देनेवाले संस्थानों की रिपोर्ट जारी की है। इसमें झारखंड की स्थिति बहुत बेहतर नहीं है। राज्य में केंद्रीय, राज्य , निजी और डीम्ड सभी मिलाकर कुल 14 विश्वविद्यालय हैं।इस कारण यहां के 50 प्रतिशत छात्र अन्य राज्यों में उच्च शिक्षा के लिए हर साल पलायन कर जाते हैं। और जिसमे सामान्य से स्नातक कोर्स के शिक्षा के साथ तकनिकी क्षेत्र की शिक्षा भी शामिल है । एक गैर-सरकारी आकड़ों के अनुसार इन छात्रों साथ -साथ राज्य से लगभग डेढ़-से दो अरब रूपये शिक्षा के नाम पर दूसरे राज्यों में चले जाते है। ऐसे में झारखंड सरकार को राजस्व की क्षति तो हो ही रही है। इसके साथ यहाँ का विकास और रोज़गार भी परोक्ष रूप से प्रभावित हो रहा है। दोस्तों , राज्य में उच्च शिक्षा की इस तरह की बदहाली पर आप क्या सोचते है ? क्या आप या आपके जान-पहचान लोग है , जो उच्च शिक्षा कारण राज्य से पलायन कर गए ?आपके अनुसार राज्य में उच्च शिक्षा बदहाली पीछे क्या-क्या कारण हो सकते है ? अभी चुनावी मौसम के खत्म होते ही 12 वीं के परीक्षा के परिणाम आ जाएंगे , क्या आपने अपने क्षेत्र के प्रतिनिधि का ध्यान शिक्षा इस बदहाली पर दिलाया है। इन सभी बातों पर आप अपनी राय , प्रतिक्रिया और अनुभव हमारे साथ जरूर साझा करें