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डिजिटल इंडिया भारत सरकार की एक ऐसी पहल है जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बिना कागज के इस्तेमाल के सरकारी सेवाएं इलेक्ट्रॉनिक रूप से जनता तक पहुँचाना और तमाम सरकारी विभागों को सीधा देश की जनता से जोड़ना है।इस योजना का एक उद्देश्य यह भी है कि ग्रामीण इलाकों को हाई स्पीड इंटरनेट के माध्यम से जोड़ना। डिजिटल इंडिया के तीन मुख्य घटक भी हैं जिसमें डिजिटल आधारभूत ढाँचे का निर्माण करना, इलेक्ट्रॉनिक रूप से सेवाओं को जनता तक पहुंचाना, डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना एवं देश में कैशलेस सेवा बहाल करना आदि शामिल है।और अगर गौर किया जाये तो इन तमाम उदेश्यों को पूरा करने में सरकार पुरे जोर शोर लगी हुई।इसी के तहत झारखण्ड के गांव गांव में को हाई स्पीड ब्रॉडबैंड सेवा मुहैया कराने का काम चल रहा है और कई क्षेत्रों से गाँवों को वाई-फाई से लैस करने की भी खबरें आती रहती है।दोस्तों, हमें बताएं कि वर्तमान समय में क्या वास्तव में ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल सेवा का उपयोग बढ़ा है ? आपके क्षेत्र में इसकी क्या स्थिति है ? क्या ग्रामीण क्षेत्रों में लोग डिजिटल सेवा का उपयोग कर पा रहे हैं ? साथ ही क्या ग्रामीण इलाकों में लोगों को निशुल्क हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा मिल रही है ? ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को डिजिटल सेवा का उपयोग करने में क्या क्या परेशानी आ रही है ? आपके अनुसार लोगों को डिजिटल सेवा का लाभ उठाने में किसी तरह का कोई परेशानी न हो इसके लिए सरकार को क्या पहल करनी चाहिए? साथ ही भारत सरकार का डिजिटलाइजेशन का उद्देश्य किस हद तक कामयाब हुई है ? डिजिटल सेवा का उपयोग बढ़ने से आपके गांव में क्या किसी तरह के कोई बदलाव देखने को मिला है ? इस विषय पर अपन अपनी राय, प्रतिक्रिया , एवं सुझाव मोबाइल वाणी के साथ जरूर साझा करें।
बिरहोर भारत की एक प्रमुख जनजाति हैं यह मुख्यत: छत्तीसगढ़ और झारखंड के कुछ जिले में निवास करती है।पठारी क्षेत्र में बसने वाली बिरहोर जनजाति अपने उत्थान के लिए आज भी संघर्ष कर रही है. मूलभूत सुविधाओं से वंचित बिरहोर परिवार जंगल की लकड़ी और जाल बुनकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. आज कई ऐसे परिवार आदिम जनजाति के हैं,जो नदी के किनारे कच्चे मकान में रहकर अपने बाल बच्चों का लालन पालन करने को मजबूर हैं , आखिर इसकी क्या वजह है...? दोस्तों.. सरकार द्वारा बिरहोर जनजाति के लिए जिले में क्या-क्या योजनाएं चलाई जा रही हैं...? क्या इन परिवार को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पता है..? आज सरकार कई योजना गरीब तबके के लोगों के लिए निकालती है, तो इसका लाभ किन्हे दिया जाता है...? इन्हें रोजगार देने या स्वावलंबी बनाने के लिए सरकार क्या योजना निकाली है? आखिर क्यों हर सुख सुविधा से इन परिवार को वंचित रखा जाता है..?
जीएसटी लागू करने का सरकार का यह फैसला क्या सही था क्या इसके लिए सही समय था आम आदमी के हितों को ध्यान रखकर यह फैसला लिया गया आज हर चीज पर महंगाई है!
प्लान इंडिया,चेतना विकास,नव भारत जाग्रति केंद्र,यूनिसेफ,scpcr और मोबाइल वाणी के साझा प्रयास से बाल विवाह मुक्त झारखण्ड अभियान की नवीं कड़ी में आइये हम सुनते हैं बाल विवाह से जुडी एक कहानी जिसका नाम है "बबली का सफर" इस कहानी की आठवीं कड़ी में हमने सुना कि बबली की माँ उसका दाखिला ग्यारवीं में करवाने के लिए उसके पिता जी से बात करने को राज़ी हो गई... आइये आज की नवीं कड़ी में हम सुनते हैं कि बबली की माँ के समझाने पर बबली के पिता जी उसे पढ़ाने को तैयार हो जाते हैं लेकिन बबली को स्कूल जाने से मना कर देते है और घर पर तैयारी कर पढ़ाई करने को कहते हैं। सुनीता अपनी आगे की पढाई स्कूल में जा कर करती है।कई दिनों के बाद सुनीता बबली से मिलने उसके घर आती है और बबली को नए स्कूल के बारे में सब कुछ बताती है। सुनीता रोज स्कूल जा कर काफी समझदार हो गई है, साथ ही उसे कई सारी बातों की जानकारी भी हो गई है।लेकिन बबली के माता-पिता जी के एक फैसले से उसका नर्स बनने का सपना शायद अधूरा ही रह गया। तो साथियों आपके अनुसार क्या बबली के माता-पिता जी का बबली को घर पर पढ़ाने का फ़ैसला सही है...? क्या उनकी तरह आपको भी लगता है कि लड़कियों को ज्यादा पढ़ाने की जरुरत नहीं है...?
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बाल अधिकार दिवस पर झारखण्ड की महामहिम राज्यपाल श्री मति द्रौपदी मुर्मू जी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से समाज और बच्चों के लिए यह सन्देश दी हैं कि आज यदि बच्चे सुरक्षित होंगे तभी हमारा देश सुरक्षित हो सकेगा। इसलिए केवल एक जगह ही नहीं बल्कि सभी विभाग में सही तरीके से लागु किया जाए साथ ही बच्चों को भी क़ानूनी जानकारी उनका अधिकार के बारे में दिया जाना चाहिए जिससे बच्चे जागरूक हो सकें और खुद को सशक्त करें
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