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सरकार के द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में जो बदलाव किए गए हैं।उसके अनुसार अब राशन सिर्फ उन्ही लोगों को दिया जाएगा जिनका राशन कार्ड आधार से लिंक होगा।इस व्यवस्था के होने से आम जनता को नुकसान हो रहा है .क्योंकि अगर घर में अगर 5 सदस्य हैं और सिर्फ तीन सदस्यों का ही आधार राशन से लिंक होगा। तो उन्हें राशन तीन सदस्यों का ही मिलेगा ना की पुरे पाँच सदस्यों का। अभी हाल ही में (PDS) प्रणाली में एक और नया बदलाव किया गया है। झारखंड राज्य के राँची जिला में स्थित नगरी ब्लॉक में परत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) जिसके अनुसार अब नियम ये है, की सरकार लाभुक को पैसा सीधे उसके अकाउंट में देगी और तब लाभुक राशन खरीद पाएंगे। (DBT) के लागू होने से जनता को और नई-नई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है लोगों को पहले बैंक जा कर पासबुक आप टू डेट करवाना पड़ेगा अगर पैसे आ गये होंगे तो प्रज्ञा केंद्र जा कर वहाँ से पैसे लेने होंगे तब जा कर वो राशन खरीद सकेंगे। इतनी लम्बी प्रक्रिया में लोगों की क्षमता और समय दोनों बर्बाद हो रही है। अगर किसी कारणवश किसी जगह काम नहीं हुआ जैसे लिंक फेल हो या कैश खत्म तो इतनी लम्बी कतार में खड़े होने के लिए फिर से समय निकालना पड़ेगा। बैंक में पैसे आने की व्यवस्था से एक और समस्या लोगों को हुई है। लोगों के पास अलग अलग बैंक में अकाउंट हैं आधार से लिंक हैं उन्हें यह मालुम ही नहीं की सरकार ने कौन से अकाउंट में पैसा भेजा है जिसके कारण उन्हें हर जगह जा कर पता करना पड़ता है। इन सब में लोगों को बहुत परेशानी हो रही खास कर बुजुर्गों एवं दिव्यांजनो को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।इसके अलावा पहले लोगों को 1 रूपये प्रति किलोग्र्राम चावल दिया जाता था जो अब लोग 32 रूपये में ख्रीद सकेंगे। सरकार ने व्यवस्था को एक सफल प्रयास समझ कर इसकी जमीनी जाँच किय बगैर ही इसे हर जगह लागू करने का फैसला कर रही है। जब कैश लेश इंडिया की शुरुआत हुई थी उसके कुछ समय बाद ही सरकार ने नगरी ब्लॉक को रांची का पहला कैश लेश प्रखंड घोषित किया था। अब वही सरकार नई व्यवस्था के बाद नगरी प्रखंड को फिर से कैश लेन-देन के लिए बाध्य कर रही है।

झारखण्ड राज्य के पूर्वी सिंघभूम जिले के पोटका प्रखंड से चक्रधर भगत जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि झारखण्ड में बढ़ता कुपोषण का मुख्य कारण यह है कि खाद सुरक्षा योजना जो मुख्य रूप से गरीबों के लिए निकाली गई है वह गरीबों तक आसानी से नहीं पहुंच पाती है वहीँ जो इनके हक़दार नहीं होते हैं उन्हें इसका लाभ आसानी से मिल जाता है। दूसरी ओर बेरोजगारी भी कुपोषण का एक कारण है क्योंकि बेरोजगारों को रोजगार दिलाने हेतु कई योजना निकाली जाती है पर गरीब इसका लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं। साथ ही प्रधान मंत्री आवास योजना का लाभ भी गरीबो को नहीं मिल पाता है। कई पंचायतों में ग्राम सभा नियमित रूप से नहीं की जाती है जिसका परिणाम देश में आज कुपोषण कम होने के जगह बढ़ता जा रहा है।

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झारखंड राज्य के बोकारो जिला से नरेश महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि सोशल ऑडिट मेघालय सरकार की एक अनूठी पहल है।यह सिर्फ मेघालय राज्य और जनता के लिए ही नहीं बल्कि पुरे देश की जनता और सरकार के बीच की दूरी कम करने का काम करेगी।सरकार की ओर से जो भी योजना चलाई जाती हैं,उनका जनता के बीच जा कर के पंचायतो में किए गये कामों का परीक्षण किया जाएगा।मेघालय सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से कानून लागू किये जाने से जनता तक विकास योजनाओं का लाभ निश्चित रूप से पहुँचेगा।देश के चौमुँही विकास के लिए ऐसे कानूनों की बहुत आवश्यकता है।देश में सामाजिक अंकेक्षण का कार्य इसके पहले भी किया जाता था।लेकिन इसमें पारदर्शिता का अभाव होता था।पदाधिकारियों की आपसी मिली-भगत से उचित अंकेक्षण नहीं किया जाता था। जिसकी वजह से विकास धरातल पर नहीं बल्कि खाना-पूर्ति के लिए सिर्फ कागजों पर ही दिखता था।