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झारखण्ड राज्य के धनबाद जिला से खीरु महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से एक लोक गीत की प्रस्तुति कर रहे हैं।
झारखण्ड राज्य के धनबाद ज़िला से जे.एम रंगीला ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बोकारो ज़िला के नावाडीह प्रखंड के अंतर्गत आने वाले गुंजरडीह पंचायत में तीन चार वर्षों से सहिया का पद रिक्त पड़ा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग तथा ग्रामीणों के बीच सहिया ,एक महत्त्वपुर्ण भूमिका निभाती हैं।गुंजरडीह पंचायत की वर्तमान मुखिया जो पहले इसी पंचायत में सहिया रह चुकी थी ,उन्होंने जब से मुखिया का पदभार संभाला हैं तभी से सहिया का पद खाली ही पड़ा हुआ है। हालाँकि इन तीन चार सालों के बीच में सहिया चुनाव को लेकर ग्राम सभा आयोजित की गई लेकिन विवाद उत्पन्न कर मुखिया द्वारा सभा भंग कर दी गई। वर्तमान में स्थिति यह है कि गुंजरडीह के कच्ची सड़कों में झाड़ियाँ उग आई हैं ,जग़ह जग़ह गंदगी का अंबार लगा हुआ है। कई वर्षो से कीटनाशक दवाओं का छिड़काव तक नहीं हुआ है। ग्राम स्वास्थ्य समिति भी बनी हुई हैं परन्तु इस समिति द्वारा कोई भी कार्य अब तक नहीं हुआ है। ग्राम स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष तथा पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा तीन चार सालों से मिल रही सरकारी अनुदान का गबन किया जा रहा है।गांव में शौचालय बनाने में भी बहुत अनियमित्ता बर्ती गई है। सिकाड़ी टोला को एक भी शौचालय का लाभ नहीं मिला है। कई परिवार को शौचालय का अभाव होने के बावज़ूद गुंजरडीह पंचायत को "खुले में शौच मुक्त " घोषित कर दिया गया है।ग्रामीण काफ़ी सुविधाओं के अभाव में हैं इसके बावज़ूद सरकार की यह नीति आश्चर्यजनक है।
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झारखण्ड राज्य के धनबाद ज़िला से बीरबल महतो झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि आज के युग में गरीबों के लिए अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करवाना बहुत ही मुश्किल हो गया है। सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में गड़बड़ी होने के कारण ग़रीब बच्चे पूर्ण रूप से शिक्षा ग्रहण करने से वंचित रह जा रहे हैं। सरकारी स्कूलों में कहीं पँखे का अभाव है, तो कहीं बच्चों के बैठने के लिए बेंचों की सुविधा नहीं है ।इसी व्यवस्था के अभाव में बच्चे अच्छे से पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। ऐसे कई विद्यालय हैं जहाँ शिक्षकों की कमी है। जिस कारण विद्यार्थी अच्छी शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते हैं। इसीलिए प्रशासन द्वारा सरकारी विद्यालयों में बेंच,पाठ्यक्रम के पुस्तकें,पँखे इत्यादि की सुविधा को व्यवस्थित कर विद्यार्थियों को सहूलियत प्रदान करना चाहिए। निजी स्कूल में फीस अधिक रहती है।ग़रीबी के कारण कई बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ाई करने में असमर्थ होते हैं इसलिए प्रशासन सरकारी स्कूलों पर भी ध्यान दे और शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाकर ग़रीब बच्चों को भी अच्छी शिक्षा प्रदान करें।
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