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जिला धनबाद के बाघमारा प्रखंड से मदन लाल चौहान जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि झारखंड में डायन के नाम पर हो रही हत्याओं का कारण निरक्षरों एवं अंधविश्वासी होना मूल जड़ है। यह सिलसिला सदियों से चलता आ रहा है। धनि मणि लोग ओझा गुणी और डायन बता कर लोगों को उकसा कर अपना स्वार्थ साध लेते हैं।डायन बता कर हत्या और प्रताड़ना के कुल 3 हजार 3 सौ मामले आज भी फाइलों में बंद हैं और ऐसी घटनाएँ अखबारों की सुर्खियों में बनती रहती है। पूर्ण रूप से यह प्रथा ख़त्म करने के लिए सरकार प्रत्येक राजस्व ग्राम एवं पंचायत स्तर पर चौकीदार बहाल करें। जो सरकार के साथ सूचना बहाल करने का कार्य करेगा। डायन बता कर किसी की भी हत्या करने वालो का कठोर से कठोर सजा होनी चाहिए।तथा NGO के माध्यम से निरक्षरों एवं अंधविश्वासियों पर कार्यशाला होना चाहिए। तभी डायन के नाम पर हो रही हत्याओं पर लगाम लगाया जा सकता है।

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जिला धनबाद,प्रखंड बाघमारा से बीरबल महतो जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि जब से पेंशनधारियों को बैंको के द्वारा भूगतान शुरू हुई है, तब से पेंशनधारियों के लिए खास कर वृद्ध एवं विकलांगों के लिए पेंशन की राशि लेना जी का जंजाल बन गया है।सरकार द्वारा वृद्ध,विकलांग एवं असहायों के लिए 1 मई 2009 से पेंशन लागु किया है। उन्होंने बताया कि पहले पोस्ट ऑफिस के माध्यम से पेंशनधारियों को पेंशन का भूगतान कर दिया जाता था।परन्तु अब बैंकों के द्वारा दिया जाने लगा है ,जिससे विकलांगों को शारीरिक एवं मानशिक परेशानी का सामना करना पड़ता है।इसके पीछे एक वजह यह है कि कई जगहों पर बैंक दो मंजिला माकन की ऊपरी तल्ले पर होने के कारण सीढ़ियों के द्वारा वृद्ध एवं विकलांग व्यक्तियों को बैंक जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।जिससे उन्हें शारीरिक कष्ट होता है।इतना ही नहीं कई जगहों पर बैंक कर्मियों द्वारा पेंशनधारियों को हिन् दृष्टि से भी देखा जाता है।इसके आलावा बैंक कर्मियों द्वारा कभी वोटर आईडी कार्ड तो कभी आधार कार्ड की मांग कर भी उन्हें मानशिक कष्ट दिया जाता है।अतः वे सरकार से अपील करते हैं कि सरकार द्वारा दो मंजिला बैंकों में लिफ्ट की सुविधा देना चाहिए एवं पेंशनधारियों के लिए एक अलग काउंटर बनाए जाये ताकि पेंशनधारी वृद्ध,विकलांग,असहाय एवं जरुरत मंद को किसी प्रकार का कष्ट ना हो सके।

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जिला धनबाद बाघमारा से बीरबल महतो जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि तेज गति से डीजे साउंड शारीरिक एवं मानशिक हानिकारक होते हैं। संगीत को सभी वर्ग के लोग पसंद करते हैं जब भी लोग अकेले,दुखी,ख़ुशी या किसी की याद आती है तो संगीत सुन लेते हैं। संगीत की सामान्य आवाज 60 डीबी होती है और 80 डीबी की आवाज हम सभी के लिए हानिकारक होते हैं। अधिक संगीत की आवाज होने पर सुनने की क्षमता बहुत कम हो जाती है। सरकार द्वारा पहले ही उच्च ध्वनि पर रोक लगाई गई है, पर आज के युवा पीढ़ी डीजे साउंड को ही अधिक महत्व दे रहे हैं। इससे ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ सभी वर्ग के लोगो को कई दिक्क्तों का भी सामना करना पड़ता है।छात्र-छात्राओं के पढाई में कई बाधा आ जाती है।अतः सभी वर्ग के लोगों को इसके खिलाफ आवाज उठा कर युवाओं को जागरूक कर डीजे साउंड की आवाज को कम करना चाहिए।

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