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झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग ज़िला के इचाक से टीकनारायण प्रसाद मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि झारखण्ड खनिजों से परिपूर्ण हैं। तब भी राज्य के नौजवान बेरोज़गारी में इधर से उधर भटक रहे हैं।अगर कही कमाने के लिए भी जाते हैं तो अपनी शरीर को ख़राब कर वापस आ जाते हैं। जिस उम्र में उन्हें माता पिता का प्यार मिलना चाहिए वो उस प्यार से वंचित रह जाते हैं। झारखण्ड कोयला उत्पादक राज्य हैं। यहाँ अधिक मात्रा में कोयला पाया जाता हैं। देखा जाता हैं की राज्य से कोयला दूसरे राज्य में निर्यात होता हैं और वहा निर्यात कोयले के जरिए काल-कारखानों आदि स्थापित कर कई रोज़गार के अवसर निकल जाता हैं। परन्तु झारखण्ड में ऐसा नहीं हैं।यहाँ से सारा कोयला दूसरे राज्य निर्यात कर दिया जाता हैं और यहाँ राज्य में कोयले बस जलाने तक के काम में आते हैं। टीकनारायण जी के अनुसार कोयले को ही माध्यम बना कर राज्य में ही रोज़गार के अवसर को बढ़ाना चाहिए।सरकार को कई ऐसे कारख़ाने,ईट-भट्टे स्थापित करना चाहिए जिसमें कोयला को उपयोग में लाया जा सके। और बेरोजगारों के लिए रोज़गार उपलब्ध करवाना चाहिए।
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला के इचाक से टेकनारायण प्रसाद कुशवाहा मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि कुम्हार पर्यावरण को सुरक्षित रखने का काम करते हैं।गाँव देहातों में यह देखा जाता था कि लोग अपने घरों में कुम्हारों द्वारा निर्मित मिटटी के दिये में करंज का तेल या सरसों का तेल डालकर अपने घरों में रोशनी बिखरते थे।उस दिए से जो सुगन्ध और प्रकाश निकलता था वो कीड़ा मारने युक्त होता था। जिससे हमारा पर्यावरण शुद्ध होता था। परन्तु आज यह देखने को मिलता है कि लोग मिट्टी के दिए की जगह मोमबत्ती और चायनीज लाइट बत्ती का प्रयोग करते हैं। पर दीपावली पर्व का उद्देश्य केवल लाइट बत्ती जलाना ही नहीं बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य मिट्टी के बर्तन में दीपक जलाने के बाद उसकी रोशनी से एक विशेष प्रकार का सुगन्ध निकलता है उससे हमारा पर्यावरण शुद्ध करने का था। अतः लोगों को हमेशा दीपावली में कुम्हारों द्वारा बनाए दिए का ही प्रयोग करना चाहिए।
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झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला के इचाक प्रखंड से टेकनारायण प्रसाद कुशवाहा जी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से किसान पर आधारित गीत की प्रस्तुति दी। इस गीत के माध्यम से किसान भाई की कठिन संघर्ष को दर्शाया की इतना मेहनत करने के बाद भी किसान लाचार है। वे अपने परिवार का भरण -पोषण भी करने को सक्षम नहीं है।
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झारखंड राज्य के हज़ारीबाग जिला के इचाक प्रखण्ड से टेक नारायण प्रसाद कुशवाहा मोबाइल वाणी के मध्यम से बताते हैं की हमारा पर्यावरण पेड़ पौधों पर ही निर्भर है जिससे हमे धूप छाया बारिश फूल फल प्राप्त होता है .पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए धरती पर पेड़ों की आवश्यकता है .क्योकि पेड़ो से हमे विभिन्न तरह के लाभ मिलते हैं जो हमारे जीवन के लिए काफ़ी उपयोगी होते है यह देखा जाता है की कई क्षेत्रों मे इमारती वृक्ष से लोगों को फल फूल पत्ता तथा इमारती लकड़ियों की पूर्ति पेड़ पौधों से होता है साथ ही लोग इसका व्यपार कर लाखों रुपए की आमदनी भी कमाते हैं ओर आत्मनिर्भर भी होते हैं ग्रामीण क्षेत्रों मे लोग वनो से ओषधि,जड़ी बूटी, अन्य आवश्यकताओ की पूर्ति करते हैं. साथ ही जंगलो मे कई तरह के जीव जन्तु अपना भी कर निवास करते हैं
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