झारखण्ड राज्य के जिला हज़ारीबाग से टेकनारायण प्रशाद कुशवाहा झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि हज़ारीबाद जिले के अंतर्गत इचाक प्रखंड में बाजार की स्थिति काफी जर्जर हो गयी है। बरसात के मौसम में देखा गया है कि बाजार में नालियों की गन्दगी भर जाने से बाजार में बदबू भी फ़ैल जाती हैं ,लेकिन इसपर नालियों की साफ़-सफाई का कोई ध्यान नहीं दे रहा है साथ ही लोगों को विभिन्न बिमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है। भारत सरकार द्वारा स्वछता अभियान एवं प्रशासन द्वारा बाज़ारों में साफ सफाई अभियान चलायी जा रही है लेकिन लोगों द्वारा इसे सफल नहीं बनाया जा रहा है। साथ ही साथ बाजार में वाहनों के आवागमन के कारण लोगों के बिच अवरुद्ध की भी समस्या उत्पन्न होती है इसलिए बाजार का सुंदरीकरण एवं चौड़ीकरण कराना भी आवशयक है ताकि लोगों को किसी प्रकार की समस्या का सामना करना ना पड़े।
झारखण्ड राज्य के जिला हज़ारीबाग से टेकनारायण प्रशाद कुशवाहा झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि हज़ारीबाग जिले के अंतर्गत इचाक प्रखंड में इचाक प्रखंड से जरिया जाने वाली सड़क की स्थिति काफी जर्जर हो गई है।इस विषय पर प्रशासन को अवगत कराये जाने के बावजूद सड़क की स्थिति में किसी प्रकार का बदलाव नहीं देखा गया है। सड़क की स्थिति ऐसी है कि गड्ढे ,नालियों में तब्दील हो गए हैं। साथ ही गड्ढों में पानी भर जाने से लोगों को काफी परेशानी होती है । सड़क ख़राब होने के कारण बड़े वाहन एवं बड़े ट्रकों को आवागमन में बहुत समस्या होती है जिस कारण सड़क दुर्घटनाएं भी हो चुकी है।अत: सरकार एवं प्रशासन से आग्रह है कि सड़क की बदहाली को ध्यान में रखते हुए सड़क की मरम्मति की जाये।
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झारखण्ड राज्य से टेकनारायण प्रसाद कुशवाहा झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि हज़ारीबाग ज़िला के इचाक प्रखंड में आद्रा नक्षत्र समाप्ति के कगार पर हैं परन्तु अभी तक धान का बिचड़ा तैयार नहीं किया गया हैं। धान का बिचड़ा पूरे प्रतिशत में नहीं डाले जाने का मुख्य कारण हैं खेत में नमी की कमी। देखा जा रहा है कि पानी सूख जाने के कारण खेतों की नमी घट जा रही है।पिछले साल सुखाड़ होने के कारण किसानों की स्थिति बेहद ख़राब हो गयी थी और प्रशासन द्वारा भी किसानों को फ़सल क्षति का कोई मुआवज़ा नहीं दिया गया। इस साल भी अभी तक सामान्य से कम बारिश होने के कारण खेतों में पानी की कमी हो है। सुखाड़ जैसी स्थिति उत्पन्न होने हो जाने के कारण किसान चिंतित हैं। नदी,तालाब,पोखरें आदि में पानी नहीं होने के कारण ही अभी तक किसानों द्वारा बिचड़ा नहीं डाला जा सका है, जो एक गंभीर समस्या है।
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