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झारखंड राज्य के हज़ारीबाग जिला के ईचाक से टेकनारायण प्रसाद कुशवाहा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि शिक्षा का अधिकार -2009 के अनुसार सभी प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में प्रचार-प्रसार कर विद्यार्थियों को पढ़ाना चाहिए। क्योंकि यहीं से विद्यार्थियों में शिक्षा और जीवन में कुछ करने की सही- गलत के निर्णय लेने की बुद्धि विकसित होती है। इसलिए इन विद्यालयों में नियमित रूप से पठन-पाठन का कार्य होना चाहिए। साथ ही सभी विषयों के शिक्षकों की उपलब्धता विद्यालय में होनी चाहिए। खेल और कम्प्यूटर की जानकारी विद्यार्थियों को निश्चित रूप से देनी चाहिए। साथ ही सभी सरकारी नौकरी करने वालों को अपने बच्चों को सरकारी विद्यालयों में ही पढ़ना चाहिए।

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ ज़िला के चुरचू प्रखंड से मोहम्मद ताजीम अंसारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि आज चरही पंचायत,बेहरा पंचायत में जो भी कोलवारियाँ हैं।वहाँ के कुआँ,तालाब,नदियों में कोयले का धूल ढका हुआ है, जिस कारण इस पंचायत के लोग नदियों के पानी को किसी भी कार्य में नहीं लाते हैं। अतः प्रशासन कोलयरी क्षेत्रों को चिन्हित कर परीयोजना द्वारा लोगों के बीच स्वछ पानी मुहैया कराए। क्योंकि पुरे क्षेत्र में मुआयना करने पर यह देखने को मिला है कि यहाँ के लोग कई बिमारियों के शिकार हो रहे हैं। लोगों ने इसके खिलाफ आवाज उठाया तो प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अतः सीसीएल प्रबंधन अविलम्ब प्रदुषण पर रोक लगाए और लोगों के लिए स्वछ पानी की व्यवस्था करें।

झारखंड राज्य के हज़ारीबाग़ जिले के इचाक प्रखंड से टेकनारायण प्रसाद कुशवाहा जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि इचाक प्रखंड अंतर्गत झारखण्ड सरकार के द्वारा चलाई जा रही शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के आधार पर जो शिक्षा का अधिकार सभी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों मिलना चाहिए । वह बच्चों को नहीं मिल रहा है। और इस तरह से शिक्षा का अधिकार में कटौती की जा रही है । यह देखने को मिलता है, कि कई सरकारी स्कूलों में बच्चे जैसे-तैसे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।चूँकि इन स्कूलों में किसी तरह की व्यवस्था नहीं की गई है।बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके इसके लिए विद्यालयों में विषयवार शिक्षकों का होना अति आवश्यक होता है लेकिन गौर करने वाली बात है कि स्कूलों में शिक्षकों की घोर कमी देखि जाती है।साथ ही हर स्कूल में खेल,कम्प्यूटर एवं संगीत आदि के शिक्षक अलग से मौजूद होने चाहिए। इसके अलावा हर स्कूल में बिजली, पानी एवं मध्यान भोजन की व्यवस्था इत्यादि होना जरुरी है।लेकिन आज स्कूलों को इन सभी व्यवस्था से वंचित रखा जा रहा है।उन्होंने यह भी बताया कि सरकारी स्कूलों के शिक्षक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने के बजाये अन्य निजी स्कूलों में पढ़ाने का काम करते हैं।अत: वे कहते है कि वास्तव में शिक्षा का स्तर में तभी सुधार होगा जब सरकारी स्कूलों में बच्चों को अच्छी शिक्षा दी जाएगी। इसके लिए सरकार को यह पहल करनी चाहिए कि जो शिक्षक सरकारी स्कूल के शिक्षक है उन्हें अपने बच्चों को भी सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाना चाहिए अन्यथा उनकी वेतन में कटौती की जानी चाहिए।