बिहार राज्य के जमुई ज़िला के गिद्धौर प्रखंड के स्वजना ग्राम से रंजन की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से कुमारी दीपा से हुई। दीपा कहती है कि महिलाओं के नाम जमीन जब ख़रीदाता है तो महिलाओं को आर्थिक परिवर्तन और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है। महिलाएँ आत्मिक रूप से आत्मनिर्भर बनती है। पैतृक संपत्ति में महिलाओं को अधिकार मिलने से समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा मिला है। लेकिन अभी भी परिवार में जागरूकता और सामाजिक मान्यताओं में बदलाव की आवश्यकता है। महिलाओं को जब से जमीन मिलना शुरू हुआ है तब से महिलाओं के जीवन में परिवर्तन हुआ है। उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा जा रहा है। वो खुद में गर्व महसूस करने लगी है। घर में अधिकार मिलने से बच्चों की परवरिश अच्छे से कर सकती है
उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर ज़िला से वीर बहादुर यादव की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से 32 वर्षीय कमलेश कुमार वर्मा से हुई। कमलेश कहते है कि महिलाओं को हर क्षेत्र में अधिकार मिलना चाहिए। राजनीतिक ,सामाजिक ,खेल ,शिक्षा के क्षेत्र में हिस्सा मिलना चाहिए। जमीन में भी हिस्सा मिलना चाहिए। कमलेश की माँ के नाम 15 -16 बीघा खेत बैनामा करवाया गया है। इससे वो सशक्त महसूस करती है। अगर कोई नहीं सहारा देगा तो वो खुद ही अपना बुढ़ापा में भरण पोषण कर सकती है। जमीन एक अचल सम्पत्त है जो जीवन में कहीं न कहीं साथ देगा ही।
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से संस्कृति श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि जब महिला के पास जमीन होती है तो उनका आत्मविश्वास बढ़ जाता है। वो व्यापार शुरू कर सकती है , अपना भविष्य सुरक्षित कर सकती है ,खेती संभाल कर सकती है। जहाँ महिलाओं के पास संपत्ति होता है वहाँ घरेलु हिंसा कम होता है। बच्चों का शिक्षा बेहतर होता है। इसलिए ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि महिलाओं को जमीन देने से हिस्सा कम हो जाएगा। बल्कि यह सोचना चाहिए कि घर का भविष्य मज़बूत होगा। जितना महिलाएँ सशक्त बनेगी उतना देश सशक्त बनेगा
बिहार राज्य के जमुई ज़िला के गिद्धौर प्रखंड के बनाडीह ग्राम से रंजन की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से निकिता से हुई। निकिता कहती है कि जब से महिलाओं के नाम जमीन होने लगा है तब से महिला आत्मनिर्भर हो गयी है। महिला के नाम से जमीन होने पर महिला व्यापार करने लगी है और समाज में सम्मान पाने लगी है। जमीन में महिलाओं का अधिकार होना चाहिए इससे महिलाओं के जीवन में बदलाव आएगा
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से संस्कृति श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि महिलाओं को भूमि अधिकार मिलने पर बात करना ज़रूरी है। ऐसा मान लिया गया है कि महिलाओं का भूमि से कोई नाता ही नहीं है। नहीं ,ऐसा नहीं है महिलाओं का भूमि पर अधिकार है। अगर उन्हें अधिकार मिलेगा तो वो आत्मनिर्भर बन पाएगी ,वो जीवन में अच्छा कर पाएँगी ,उन्हें दूसरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। उनमें आत्मविश्वास आता है कि वो अकेले रह सकती है।
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से संस्कृति श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि शुरू से लड़कों को ही भूमि का अधिकार दिया जाता रहा है। अभी कुछ समय से महिलाओं को भूमि अधिकार देने पर बात उठ रही है ,सरकार ने भी कदम उठाया है। महिलाओं को भी भूमि मिलना चाहिए। भूमि मिलना महिलाओं के लिए आत्मसम्मान की बात है। पहले महिलाओं को पिछड़ा माना जाता था। कुछ अधिकार नहीं था ,पढ़ाई करने का अधिकार नहीं था। तो भूमि अधिकार मिलने से महिलाओं का सशक्तिकरण होता है। महिलाओं को खुद के ऊपर विश्वास आता है। वो समझ पाती है कि वो भी जीवन में कुछ कर सकती है। माता पिता की जमीन में बेटा बेटी दोनों का अधिकार होता है
बिहार राज्य के जमुई ज़िला से रंजन मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि जब से महिलाओं को भूमि का अधिकार दिया जाना प्रारंभ हुआ है तब से महिलाओं के जीवन में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। पुरुष प्रधान समाज में पहले महिलाओं को जमीन अधिकार नहीं मिलता था पर अब महिलाओं को जमीन मिलने लगा है। इससे महिलाओं का सम्मान बढ़ रहा है। इससे महिलाएं समझ रही है कि अगर भूमि महिला के नाम होगा तो इन्हे भी जीने का अधिकार दिया जाएगा। महिलाएं विशेष परिस्थिति में ही उस भूमि को इधर उधर करती है अन्यथा वो कभी भी अपने भूमि के टुकड़े को हटाना नहीं चाहती है। घर की सारी जिम्मेदारी महिलाएं बखूबी निभाती थी और जब से जमीन का अधिकार मिलना शुरू हुआ है तब से महिलाएं और अच्छे से अपनी जिम्मेदारियाँ निभा रही है।
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से 49 वर्षीय राकेश श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि महिलाओं को अपने मायके में जमीन लेने के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पहले तो लड़की के भाई और चाचा ही उसे अधिकार देने से मना करते हैं। इसके बाद माहिलाओं को जमीन रजिस्ट्री के समय भी कई तरह की समस्यायें होती हैं। इसे ठीक करने के लिए महिलाओं के नाम जमीन रजिस्ट्री कर देना चाहिए। इससे खतौनी में भी उसका नाम आ जायेगा। इससे ये प्रक्रिया आसान हो जायेगी
बिहार राज्य के भोजपुर ज़िला के सन्देश प्रखंड के कोरी पंचायत से 24 वर्षीय नीरज कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से यह कहना चाहते है कि नल जल की सुविधा लोगों तक अच्छे से पहुँचे इसके लिए ज़रूरी है कि लोगों द्वारा सुविधा शुल्क दिया जाए। अगर सुविधा शुल्क दिया जाता है तो नल जल चलाने में जो भी समस्या आती है जैसे कही रिपेयरिंग की ज़रुरत हो , कहीं नल ख़राब हो गया हो या फिर कहीं नल या पाइप टूट गया हो तो सुविधा शुल्क से ही इसकी मरम्मत कराने में आसानी होती है। साथ ही नीरज कहते है कि हर एक लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना ज़रूरी है। वार्ड प्रतिनिधियों को भी इस बात का ध्यान देना चाहिए कि हर घर में शौचालय बना हो।गाँव की नाली और गली की सफ़ाई नियमित रूप से किये जाने को लेकर जागरूकता बहुत ज़रूरी है।
बिहार राज्य के भोजपुर ज़िला से हमारे श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि जल संचय श्रोतों का निर्माण कर के जल को बचाया जा सकता है। तालाब ,कुआँ ,गड्ढों का निर्माण कर वर्षा के जल को उसमें पानी संचय किया जा सकता है। गाँव के लोगों को वर्षा जल संचयन को लेकर जागरूक करना होगा ताकि वो भी जल बचाने के लिए गड्ढों का निर्माण करें। ऐसा करने से यह होगा कि अगर भविष्य में कभी जल संकट की स्थिति बनती है तो संचयन किये हुए जल को उपयोग में लाया जा सकता है।
