सारण जिले से अजय कुमार की रिपोर्ट।।एनिमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के रैंकिंग में सारण जिला को पूरे बिहार में मिला तीसरा स्थान • जिले में एनिमिया के दर को कम करने के लिए चलाया जा रहा है कार्यक्रम • एचएमआईएस डाटा के आधार पर जारी हुआ रैंकिंग • स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुफ्त में दी जाती है दवा • एनिमिया मुक्त भारत के इंडेक्स में 99.1 प्रतिशत छपरा। जिले में हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचे इसके लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ किया जा रहा है। इसका साकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहा है। एनिमिया मुक्त भारत कार्यक्रम की राज्यस्तरीय रैंकिंग में सारण जिला को तीसरा स्थान हासिल हुआ है। मालूम हो कि जिले में अनीमिया के दर को कम करने के लिए अनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम संचालित है. इस कार्यक्रम के तहत विभिन्न आयु समूहों के लाभार्थियों को संबंधित विभागों के द्वारा आयरन फोलिक एसिड का सिरप, गुलाबी एवं नीली गोली का अनुपूरण कराया जा रहा है। यह कार्यक्रम केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य योजना है, जिसका उद्देश्य सभी आयु समूहों में आयरन की कमी से होने वाले अनीमिया को कम करना है। सारण जिले में इस कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न आयु समूहों को आयरन-फोलिक एसिड की दवा जैसे सिरप, गुलाबी, नीली और लाल गोलियां नियमित रूप से मुफ्त दी जा रही हैं। राज्य स्तरीय रैकिंग में मिला तीसरा स्थान: सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि एचएमआईएस पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-25 में जिले का अनुपूरण अच्छादन बेहद संतोषजनक रहा है। 6 से 59 माह के बच्चों में यह 39.9%, 5-9 वर्ष के बच्चों में 108.8%, 10-19 वर्ष के किशोरों में 96.7%, और गर्भवती महिलाओं में 99.1% रहा। अनीमिया मुक्त इंडेक्स के अनुसार जिले को 93.2% स्कोर मिला, जिससे उसे राज्य में तीसरी रैंक मिली है। सिविल सर्जन ने बताया कि अब लक्ष्य है कि जिले को अगले मूल्यांकन में पहला स्थान दिलाया जाए। इसके लिए जनजागरूकता, नियमित अनुपूरण, और स्कूल आधारित निगरानी को और सुदृढ़ किया जाएगा। एनिमिया की दर को कम करने का प्रयास: जिला स्वास्थ्य समिति के डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि जिले में एनिमिया की दर को कम करने के लिए एनिमिया मुक्त भारत कार्यक्रम संचालित है। इसमें आईएफए सिरप 6-59 महीने के बच्चों को दो बार प्रदान किया जाता है, आईएफए गुलाबी गोलियां 5-9 साल के बच्चों को प्रदान की जाती हैं, आईएफए नीली गोलियां 10-19 साल के किशोरों को प्रदान की जाती हैं, प्रजनन आयु समूह की महिलाओं को साप्ताहिक रूप से आईएफए लाल गोलियां और गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 180 दिनों के लिए प्रतिदिन आईएफए लाल गोलियां प्रदान की जाती हैं। सरकार और स्वास्थ्य विभाग की यह पहल इस उद्देश्य को लेकर है कि हर व्यक्ति तक पोषण और स्वास्थ्य सुविधा पहुंचे। जिले में स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, और आशा-सेविकाओं के माध्यम से इस कार्यक्रम को जमीनी स्तर पर क्रियान्वित किया जा रहा है। क्या है एनिमिया: विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया की लगभग एक चौथाई आबादी अनीमिया से पीड़ित है जिसमे प्रीस्कूल आयु के लगभग आधे बच्चे शामिल हैं। आयरन की कमी से होने वाला अनीमिया सबसे आम है। बच्चों में अनीमिया से कई बीमारियाँ हो सकती हैं। इनमे थकान एवं कमजोरी, त्वचा का पीला पड़ना, सांस लेने में तकलीफ, विकास संबंधी समस्याएँ आदि हो सकती हैं। अनीमिया की स्थिति गंभीर होने पर यह जानलेवा साबित हो सकता है।

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