दुनिया भर में हर साल 15 मार्च को उपभोक्ता के हक की आवाज़ उठाने और ग्राहको को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक बनाने के लिए "विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस" मनाया जाता है। 15 मार्च, 1983 में उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाने की शुरूआत कंज्यूमर्स इंटरनेशनल नाम की संस्था ने की थी।आपको बता दे की हर साल विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के लिए एक थीम बनाई जाती है कंज्यूमर्स इंटरनेशनल ने इस साल की थीम " उपभोक्ताओं के लिए निष्पक्ष और जिम्मेदार एआई "को चुना है। मोबाइल वाणी के पुरे परिवार की ओर से आप सभी को "विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस"की बहुत बहुत शुभकामनाएं।

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर "इन्वेस्ट इन वुमन- एक्सीलेरेट प्रोग्रेस" पर होगा कार्यक्रम महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया होंगी शामिल ================================================ महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में रवींद्र भवन में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगी। इस वर्ष यूएन द्वारा "इन्वेस्ट इन वुमन- एक्सीलेरेट प्रोग्रेस" की थीम रखी गई है। कार्यक्रम में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के माध्यम से समावेशी और न्यायसंगत समाज बनाने पर कैसे कार्य किया जाए, इस पर विशेषज्ञ अपनी राय रखेंगे। साथ ही प्रमुख पांच क्षेत्र स्वास्थ्य, पोषण, सुरक्षा, शिक्षा और आर्थिक संबल में महिलाओं को आगे लाने के लिए संयुक्त प्रयासों पर कैसे कार्य किया जाए, इस पर अपनी रणनीति सांझा करेंगे। कार्यक्रम में पोषण प्रदर्शनी, नुक्कड़ नाटक, कठपुतली-शो, सुरक्षित पर्यटन स्थल, स्किल डेवलपमेंट, एनीमिया पर आधारित गतिविधियाँ होंगी। इसमें पोषण विशेषज्ञ एवं विभागीय अधिकारी शामिल रहेंगे। महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया विभाग द्वारा डीबी मॉल में सायं 4 बजे फिल्म "लापता लेडीज" का विशेष शो देखने जायेंगी।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस श्रीमती चित्रा बल्कि से विशेष बातचीत

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विश्व चिंतन दिवस. वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ गर्ल गाइड्स एंड गर्ल स्काउट्स (WAGGGS) हर साल 22 फरवरी के दिन विश्व चिंतन दिवस मनाता है. इस दिन को मनाने की वजह लड़कियों के बीच सिस्टरहुड और महिला सशक्तिकरण को बढ़ाने की कोशिश है. साथ ही, दुनिया के 150 से ज्यादा देशों में एक करोड़ से अधिक गर्ल स्काउट्स के लिए फंड्स बढ़ाना भी इस दिन का मकसद है. विश्व चिंतन दिवस गर्ल स्काउट्स (Girl Scouts) के आपसी रिश्तों को मजबूत बनाते हुए सम्मान और वफादारी की भावना को बढ़ाने का दिन है. इस साल विश्व चिंतन दिवस की थीम है 'हमारा विश्व, हमारा शांतिपूर्ण भविष्य'. विश्व चिंतन दिवस का इतिहास और महत्व । चिंतन दिवस को मनाने की जरूरत फोर्थ फीमेल स्काउट इंटरनेशनल कोंफ्रेंस ने 1926 में महसूस की थी. इसके बाद ही कोंफ्रेस इस नतीजे पर पहुंची कि हर साल 22 फरवरी के दिन विश्व चिंतन दिवस मनाया जाएगा. इसके अलावा बॉय स्काउट्स के फाउंडर लोर्ड बेडेन-पॉवेल (Lord Baden-Powel) और उनकी पत्नी लेडी ओलेव बेडेन-पॉवेल, जिन्होंने संगठन के पहले ग्लोबल हेड गाइड के रूप में कार्य किया था, का जन्म भी 22 फरवरी के दिन ही हुआ था. सातवीं वर्ल्ड कोंफ्रेंस जोकि पोलैंड में 1932 में हुई थी के दौरान इस बात को उल्लेखित किया गया कि उपरोक्त जन्मदिवसों को देखते हुए और उपकार प्रदान करने स्वरूप लड़कियां चिंतन दिवस के दिन फंड्स (Funds) के लिए दान दे सकती हैं. दान की प्रथा आज भी चल रही है. 1999 में चिंतन दिवस का नाम बदलकर विश्व चिंतन दिवस रख दिया गया जिसमें 30वीं वर्ल्ड कोंफ्रेंस के दौरान विश्व के अनेक देशों से प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. विश्व चिंतन दिवस मनाने के महत्व की बात करें तो यह दिन लड़कियों को एक बड़े मंच पर अपने विचार रखने, वाद-प्रतिवाद करने और अपनी चिंताओं को व्यक्त करने का मौका देता है. साथ ही, यह गर्ल स्काउट्स के बीच सिस्टरहुड के महत्व पर प्रकाश डालने का भी अच्छा दिन है ।

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देश के किसान एक बार फिर नाराज दिखाई दे रहे हैं। इससे पहले साल नवम्बर 2020 मे किसानो ने केन्द्र सरकार के व्दारा लिए गए तीन कृषि कानूनों के रद्द करने के लिए दिल्ली में प्रदर्शन किया था। और इसके बाद अगले साल 19नवम्बर 2021 को केन्द्र सरकार के तीनो कानून वापस ले लिए थे। आज हमारे साथ लोकंतात्रिक समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ और वरिष्ठ पत्रकार जावेद उस्मानी सर के साथ मोबाइलवाणी पर अपनी प्रतिक्रिया साझा की।

देश के अनेक हिस्सों में किसान अपनी मांगों को लेकर अब दिल्ली को सहित अन्य अपने-अपने प्रदेशों में धरना प्रदर्शन और दिल्ली कोच की और अग्रसर हो रहे हैं और देश की राजधानी दिल्ली में किस न पहुंचे इस हेतु सड़कों पर बैरिकेटिंग व कटीली तारों सहित अन्य बढ़ाएं सड़कों पर लगा दी गई है प्रशासन भी सड़क पर लगा हुआ है ताकि किसान दिल्ली ना पहुंचे किसान को रोकने उनकी मांगों को लेकर चल रही और चर्चा अभी तक बेनतीजा ही रहे हैं। आज हमारे साथ गांधी व लोहीयावादी विचारक डॉ अनुप सिंह सर के साथ मोबाइलवाणी पर वर्तमान में किसान आंदोलन और सडकों पर बैरिकेटीग सहीत लोकतंत्र में आन्दोलन कहा देखते हैं जानकारी मोबाइलवाणी पर साझा की।

सरकार को भारत रत्न देने के अलावा किसानों को उनके अधिकार भी देने चाहिए , आखिर उनकी मांग भी तो बहुत छोटी सी है कि उन्हें उनकी फसलों का बेहतर मूल्य मिले। हालांकि किसानों की इस मांग का आधार भी एम एस स्वामीनाथन समिति की सिफारिशें हैं जो उन्होंने आज से करीब चार दशक पहले दी थीं। इन चार दशकों में न जाने स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करने का वादा करके न जाने कितनी सरकारें आईं और गईं, इनमें वर्तमान सरकार भी है जिसने 2014 के चुनाव में इन सिफारिशों को लागू करने का वादा प्रमुखता से किया था। -------दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, क्या आपको भी लगता है कि किसानों की मांगो को पूरा करने की बजाए भारत रत्न देकर किसानों को उनके अधिकार दिलाए जा सकते हैं? --------या फिर यह भी किसानों को उनके अधिकारों को वंचित कर उनके वोट हासिल करने का प्रयास है.

हमारे देश में सभी को शिक्षा का अधिकार है लेकिन लड़कियों को इसके लिए कहीं अधिक संघर्ष करना पड़ता है। कई बार घर के काम के बोझ के साथ स्कूल के बस्ते का बोझ उठाना पड़ता है तो कभी लोगों की गंदी नज़रों से बच-बचा के स्कूल का सफर तय करना पड़ता है। जैसे-तैसे स्कूल पहुंचने के बाद भी यौन शोषण और भावनात्मक शोषण की अलग चुनौती है जो रोज़ाना उनके धैर्य और हिम्मत की परीक्षा लेती है। ऐसे में लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन के साथ साथ समाज की भी है। तब तक आप हमें बताइए कि * -----लड़कियों के स्कुल छोड़ने के या पढ़ाई पूरी ना कर पाने के आपको और क्या कारण नज़र आते है ? * -----आपके हिसाब से हमें सामाजिक रूप से क्या क्या बदलाव करने की ज़रूरत है , जिससे लड़कियों की शिक्षा अधूरी न रह पाए।