जल ही जीवन है। यह पंक्तियाँ हम बचपन से सुनते आ रहे हैं। आज के समय में जब दुनिया शुद्ध जल की कमी से जूझ रही है, यह पंक्तियाँ और सार्थक हो जाती हैं। भारत में जल संकट लगातार गहराता जा रहा है। कई राज्य हैं जो भूजल की कमी के चरम बिंदु को पार कर चुके हैं। हर साल 22 मार्च के दिन विश्व जल दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमारे जीवन में जल के महत्व और उसके संरक्षण को समर्पित है।इस विश्व जल दिवस पर पानी की बर्बादी को रोके और जल को प्रदूषित होने से बचाये। मोबाइल वाणी के पुरे परिवार की ओर से आप सभी को विश्व जल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

साथियों गर्मी का मौसम आने वाला है और इसके साथ आएगी पानी की समस्या। आज की कड़ी में लाभार्थी रोहित से साक्षात्कार लिया गया है जो जल संरक्षण पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे है।

साथियों गर्मी का मौसम आने वाला है और इसके साथ आएगी पानी की समस्या। आज की कड़ी में हम आपको बता रहे है कि बरसात के पानी को कैसे संरक्षित कर भूजल को बढ़ाने में हम अपना योगदान दे सकते है। आप हमें बताइए गर्मियों में आप पानी की कौन से दिक्कतों से जूझते हैं... एवं आपके क्षेत्र में भूजल कि क्या स्थिति है....

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सीतापुर। रबी की फसलों की बोआई के बाद अब पहली सिंचाई की दरकार है। तमाम दावों के बाद भी नहरों में पानी नहीं आ पाया है। मजबूरन किसान निजी संसाधनों से सिंचाई कर रहे हैं। उन्हें 300 रुपये प्रति बीघा तक खर्च करने पड़ रहे हैं। किसानों की जेब पर बोझ के साथ फसल की लागत भी बढ़ रही है। जिले में रबी की फसलों की बोआई का लक्ष्य दो लाख 93 हजार 69 हेक्टेयर निर्धारित है। लक्ष्य के सापेक्ष अब तक 87.81 प्रतिशत बोआई कर ली गई है। गेहूं की बोआई लक्ष्य के सापेक्ष 83 फीसदी हो चुकी है। जौ की 98 फीसदी जबकि चना, मटर, मसूर, सरसों, अलसी, तोरिया व मक्का की बोआई शत-प्रतिशत पूरी हो गई है। गेहूं व सरसों आदि की फसलों में किसान पहली सिंचाई कर रहे हैं। लेकिन नहरें सूखी होने से किसानों को निजी संसाधनों का सहारा लेना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि पंपिंग सेट व समरसेबिल से सिंचाई करने पर उन्हें 300 रुपये प्रति बीघा तक खर्च करने पड़ रहे हैं।

सिधौली ग्रामीण उपकेंद्र से जुड़े करीब 100 गांवों में बिजली कटौती ने लोगों को खूब परेशान किया। दिनभर में महज तीन घंटे ही बिजली आई। कारण, ट्रांसफॉर्मर की क्षमता वृद्धि के चलते शटडाउन लिया गया था। दूसरे ट्रांसफॉर्मर से जोड़कर गांवों में कुछ घंटे ही बिजली दी गई। सुबह के समय बिजली न होने से पेयजल संकट भी खड़ा हो गया। बिजली न होने से सिंचाई भी प्रभावित हुई। करीब एक आबादी को परेशानी उठानी पड़ी। सिधौली ग्रामीण उपकेंद्र पर दो ट्रांसफॉर्मर रखे हुए हैं। एक पांच एवीएम व दूसरा 10 एमवीए का है। इस पांच एमवीए ट्रांसफॉर्मर की क्षमता बढ़ाकर 10 एमवीए की जाएगी। इसके लिए रविवार को शटडाउन लिया गया था। ट्रांसफॉर्मर से मास्टरबाग व महमूदाबाद मार्ग के करीब 100 गांव जुड़े हैं। इन गांवों में रविवार को बिजली आपूर्ति बाधित रही। दूसरे ट्रांसफॉर्मर के जरिए इन गांवों में दोपहर के समय महज तीन घंटे ही आपूर्ति दी गई।

बिसवां के विभिन्न दफ्तरों और सार्वजनिक स्थानों के साथ ही सरकारी अस्पतालों में 11 वाटर कूलर लगाए जाएंगे। इससे लोगों को पेयजल की सुविधा उपलब्ध होगी। बिसवां विधायक की निधि से यह वाटर कूलर लगाए जाएंगे। इसके लिए 69 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं। बिसवां क्षेत्र के विभिन्न सरकारी भवनों में प्रतिदिन तमाम लोगों का आवागमन विभिन्न कार्यों के लिए रहता है। इन्हें शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 11 स्थानों पर वॉटर कूलर लगाए जाएंगे। यह पहल बिसवां विधायक निर्मल वर्मा ने की है। उन्होंने अपनी निधि से 69 लाख रुपये जिला ग्राम्य विकास अभिकरण को दिए हैं। संबंधित स्थानों पर वॉटर कूलर लगाने का काम ग्रामीण अभियंत्रण विभाग को दिया गया है। काम समय से पूरा कराने के लिए कार्यदायी संस्था को स्वीकृत धनराशि के सापेक्ष 60 फीसदी धन उपलब्ध कराया गया है।

उत्तर प्रदेश राज्य के सीतापुर ज़िला के जीबजवाई से जागेश्वर भार्गव बतातें हैं कि उनके गावं में पीने के पानी को लेकर है दिक्कत हसा है। बहुत बार शिकायत करने पर भी नल ठीक करने कोई सरकार की और से कोई नहीं आता है