मैं पल्लवी श्रीवास्तव सीतापुर मोबाइल वाणी से जिले की जल प्रबंधन प्रणाली अब सिंगापुर मॉडल की तर्ज पर दुरुस्त होगी। इसके लिए सीतापुर नगर पालिका के ईओ वैभव त्रिपाठी को प्रशिक्षण के लिए चुना गया है। वह ट्रेन द ट्रेनर प्रोग्राम के तहत नई दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर में आगामी 22 व 23 नवंबर का प्रशिक्षण के लिए जाएंगे। भारत सरकार के इस कार्यक्रम के लिए उत्तर प्रदेश से मात्र दो अधिकारियों को नामित किया गया है। जिसमें से एक सीतापुर नगर पालिका के ईओ वैभव त्रिपाठी हैं। ईओ वैभव त्रिपाठी ने बताया कि भारत सरकार के इस कार्यक्रम का हिस्सा बनना गौरव की बात है। सिंगापुर को उसकी जल प्रबंधन प्रणाली के लिए जाना जाता है। आज सीतापुर व अन्य शहरों में बड़े पैमाने पर जल प्रबंधन संबंधी समस्याएं मौजूद हैं। ऐसी स्थिति कभी सिंगापुर में भी रही है। सिंगापुर ने अपना एक खास जल प्रबंधन मॉडल विकसित किया है।

साथियों, आये दिन हमें ऐसे खबरे सुनने को और देखने को मिलती कि फंलाने जगह सरकारी स्कुल की छत गिर गई या स्कुल की दिवार ढह गई। यहाँ तक कि आजकल स्कुल के क्षेत्र में लोग पशु भी बाँधने लगते है, अभी ऐसी ही खबर दैनिक भास्कर के रांची सस्करण में छपी। रांची के हरमू इलाके में जहाँ कुछ लोग वर्षो सेअपने दुधारू पशु को स्कुल से सटे दीवाल में बाँध रहे है और प्रशासन इस पर मौन है। ये हाल झारखण्ड की राजधानी रांची के एक सरकारी स्कुल का है , बाकि गाँव का हाल तो छोड़ ही दीजिये। क्या आपको पता है कि शिक्षा के अधिकार के नियम के तहत स्कुल में पीने का साफ़ पानी और शौचालय की बुनियादी सुविधा के अनिवार्य रूप से मुहैया करवाने की बात कही गयी है। और ये बेसिक सी चीज़े उपलब्ध करवाना सभी सरकारों का काम है। लेकिन जब 25 से 35 % स्कूलों का हाल ये हो तब किसे दोषी माना जाए ? सरकार को नेताओ को या खुद को कि हम नहीं पूछते??? बाक़ि हाल आप जान ही रहे है। तब तक, आप हमें बताइए कि ******आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में शौचालय और पानी की व्यवस्था कैसी है ? ****** वहां के स्कुल कितने शिक्षक और शिक्षिका पढ़ाने आते है ? ****** साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।

लगातार किसानों की समस्या को देखते हुए यूपी सरकार ने किसानों के लिए निशुल्क बोरिंक की व्यवस्था कर दी। यूपी सरकार का इस योजना का उद्देश्य किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है जिन क्षेत्रों में पानी की कमी होती हैं वहां सरकार पानी की सुविधा देते हैं। इससे किसानो को अपने खेतों की सिंचाई करने में कोई परेशानी नहीं होती आसानी से वे अपने फसल को अच्छे से अच्छा पैदावार कर सकते हैं। जिससे उन्हें खेतों की सिंचाई के लिए कोई परेशानी न हो। यूपी निःशुल्क बोरिंग योजना के लिए इन दस्तावेज़ों की आवश्यकता पासपोर्ट साइज फोटो आधार कार्ड निवास प्रमाण पत्र राशन कार्ड आयु प्रमाण पत्र आय प्रमाण पत्र मोबाइल नंबर इन लोगों को मिल सकता है फायदा इस योजना के लिए आवेदन करने वाला उत्तर प्रदेश का स्थाई निवासी होना चाहिए। आवेदन करने वाला किसान होना चाहिए और उसके पास न्यूनतम 0.2 हेक्टेयर जोत सीमा होनी चाहिए। इस योजना का लाभ वही ले सकता है जो पहले से किसी सिंचाई योजना का लाभ नहीं लिया रहेगा। अगर आपके पास जोत सीमा न्यूनतम 0.2 हेक्टेयर नहीं है तो आप समूह बनाकर भी इसका लाभ ले सकते हैं।

जलवायु की पुकार [ एक नए सफर का अंत ] कार्यक्रम के अंतर्गत हम जानेंगे की कैसे दुनिया भर में तापमान तेजी से बढ़ रहा है जिसके कारण लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ रहा है ।