सुनिए इस कहानी को जो बच्चों को प्रेरित करती है दूसरों की मदद करके को लेकर |

सीतापुर। गांवों में घरों से निकलने वाले कूड़े के निस्तारण के लिए ग्राम पंचायतों में चयनित किए गए स्थलों पर 525 कूड़ा निस्तारण केंद्र (आरआर सेंटर) का निर्माण कराया जाएगा। 370 ग्राम पंचायतों में निर्माण पूरा हो गया है। जिले की 895 ग्राम पंचायतों को ओडीएफ प्लस योजना के तहत चयनित किया गया है। इन्हें लकालक करने की कार्य योजना शासन ने स्वीकृत करते हुए आबादी के आधार पर धनराशि भी स्वीकृत की है। इससे सभी कार्य इसी वित्तीय साल में कराए जा सकें। चयनित गांवों में कई कार्य कराए जाने हैं। प्राथमिकता आरआर सेंटर की है, जिससे एकत्रित कूड़े का निस्तारण किया जा सके। इसके लिए स्थल चयन किया जा रहा है, ताकि वहां आरआर सेंटर का निर्माण तय समय में कराया जा सके। ठोस, द्रव्य एवं अपशिष्ट प्रबंधन योजना के जिला प्रबंधक अखिलेश गौतम ने बताया कि अब तक 370 आरआर सेंटर बन गए हैं। अब 525 ग्राम पंचायतों में आरआर सेंटर का निर्माण होना है।

राजीव की डायरी को सुनने के बाद जिज्ञासा से सीतापुर की कुछ गॉव में जाकर मिडडे खाने के बारे में जानकारी ली। तो लोगों से बात की लोगों से बात करके यह पता चला कि स्कूलों में जो मिडवे यानी कि यह स्कूलों में जो खाना दिया जाता है, वह कितना स्वास्थ्य होता है या स्वास्थ्य लाभ इसकी जानकारी के लिए स्कूल के प्रधानाचार्य से बात की और साक्षात वहां पर देखा तो सीतापुर की कई स्कूलों में स्थिति काफी अच्छी है| खाना पौष्टिक रहता है और जो समय-समय पर दिया जाता है,वह भी अच्छा होता है| कई शिक्षक मिडिल का ही खाना खाते हैं, जिससे उनको स्वाद का भी पता चलता है कि बच्चों को कैसा खाना दिया जा रहा है| सबसे अच्छी बात यही है कि टीचर और प्रिंसिपल दोनों ही क्योंकि खाने को लेकर बहुत ही सजक रहते हैं|

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मैं पल्लवी श्रीवास्तव सीतापुर मोबाइल वाणी से जहांगीरा बाद के सरकारी स्कूल में पीने का पानी तो आता है, लेकिन यहां शौचालय ही ढंग से नहीं बना है तो पानी कहां से आएगा। शौचालय में पानी की व्यवस्था बहुत ही गंदी हैं। बच्चों को अगर शौचालय जाना पड़ता है तो छात्राएं अपने घर जाना ज्यादा पसंद करतीं हैं। शौचालय गंदे होने की वजह से दूर-दूर तक बदबूं तक आती है। अब तो यहां बच्चे और टीचर दोनों ही इस चीज के लिए अब आदी हो चुके हैं। इसलिए कोई भी स्कूल में सभी लोग जब शौचालय के पास से निकलते हैं तो नाक पे कपड़ा लगा कर ही निकलना ज्यादा पसंद करते हैं। मेरे हिसाब से पहले विद्यालय के शिक्षक और हेड मास्टर के पास जाकर उनसे पूछताछ करनी चाहिए। वहां से अगर बात न बने। तो जिले में एक बेसिक शिक्षा विभाग का मुखिया जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी होता है ब्लॉक में खंड शिक्षा अधिकारी भी बैठते हैं दोनों में किसी से भी शिकायत कर सकते हैं अगर वहां से भी कोई बात नहीं बन रहीं तो, स्कूल कमेटी के मैनेजर से भी कह सकते हैं। उनसे भी अगर समस्या का समाधान नहीं हो रहा है तो डीएम से शिकायत कर सकते हैं। यहां अपनी राय भी आसानी से दे सकते हैं कि कैसे शिक्षा को और बेहतर बना सकते हैं।

मच्छर जनित बीमारियों से बचाव के लिए की जा रही नालियों की साफ सफाई

सीतापुर में 12 सितंबर को बंद रहेंगे स्कूल