मजदूरो को सहायता प्रदान करने के लिए जन साहस और सहयोगी सस्थाओ द्वारा प्रवासी मजदूर सशक्तिकरण कार्यक्रम के अंर्तगत यह हेल्प लाइन नंबर उपलब्ध कराया गया है विवाद या आपदा के समय सहायता अथवा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की जानकारी प्राप्त करने के लिए मजदूर उनके परिवार इसपर निशुल्क जानकारी प्राप्त कर सकते है 180012011211
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नगर में स्वच्छता व्यवस्था इन दिनों दिन पर दिन चरमराती जा रही है नगर के मुख मार्ग से लेकर जगह-जगह चौक चौराहा में और गलियों में कचरे के ढेर देखे जा रहे हैं हालांकि सफाई कर्मचारी अपना काम पूरी कर्तव्य निष्ठा और ईमानदारी से करते हैं लेकिन नगर की सीमा का विस्तार के डेढ़ साल बाद ही सफाई कर्मियों की भारती नहीं होने से स्वच्छता व्यवस्था डगमगा रही है बता दें कि विगत डेढ़ वर्ष पूर्व आसपास की आधा दर्जन ग्राम पंचायत को नगर पालिका की सीमा में शामिल किया गया था पहले नगर पालिका पन्ना में 22 वर्ड होते थे अब 28 वार्ड हो चुके हैं प्रत्येक ग्राम पंचायत में लगभग आधा दर्जन बस्तियां होने से अब नगर में लगभग तीन दर्जन बस्तियां बढ़ चुकी है ऐसे में सैकड़ो सफाई कर्मचारियों की भर्ती की आवश्यकता है लेकिन अब तक इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया जिससे नगर में शामिल की गई बस्तियों में गंदगी का अंबार देखा जा रहा है बताया गया है कि पहले ग्राम पंचायत की सरपंच व सचिव के द्वारा कभी कभार सफाई करवा दी जाती थी लेकिन नगर पालिका में शामिल होने के बाद यहां सफाई पूरी तरह से बंद है अधिकांश बस्तियों में अभी तक सड़क और नालियों का भी निर्माण नहीं हुआ जिससे यहां के लोग गंदगी और दुर्गंध से जूझ रहे हैं
आजादी के 76 सालों बाद भी पन्ना जिले में बंधुआ मजदूरी की कुप्रथा कायम है। मामला तब और गंभीर हो जाता है जब इस प्रकार की कुप्रथा कलेक्टर कार्यालय के पास चल रही हो। मामला पन्ना कोतवाली एवं सिविल लाइन चौकी अंतर्गत ललिया का है। जहां मल्लू विश्वकर्मा पिता स्वर्गीय काशी प्रसाद विश्वकर्मा अपनी पत्नी और एक मानसिक विक्षिप्त भाई के साथ निवास करता है। इसके माता-पिता का बचपन में ही स्वर्गवास हो गया था सभी से वह स्थानीय निवासी भरत यादव और हरि यादव के पास बंधुआ मजदूरी का काम करते थे, अब वह बंधुआ मजदूरी का काम करने से इनकार कर अन्य जगह काम करने लगे तो भरत यादव और हरि यादव के द्वारा 25 हजार रुपए का कर्ज दिखाकर जमीन नाम करवाने का दबाव डाला जा रहा है। मना करने पर मुल्लू विश्वकर्मा और उसकी पत्नी शालू विश्वकर्मा के साथ अश्लील गाली-गलौज करते हुए घसीट घसीट कर मारपीट की गई जिसकी शिकायत सिविल लाइन चौकी और पन्ना कोतवाली में करने पर कार्यवाही नहीं हुई तो आज 7 फरवरी 2024 को पीड़ित पति-पत्नी के द्वारा पुलिस अधीक्षक के नाम शिकायती आवेदन सौंप कर न्याय की गुहार लगाई गई है।
पन्ना जिले में बेरोजगारी की समस्या इस कदर विकराल रूप धारण कर चुकी है कि जिले के बेरोजगार बीवी और बच्चों के साथ दूसरे राज्यों में रोजी-रोटी की तलाश में भटक रहे हैं। इसी का फायदा उठाते हुए कुछ मानव तस्कर भी सक्रिय हो चुके हैं ऐसा ही मामला अमानगंज तहसील अंतर्गत रामपुर का सामने आया है यहां के गरीब बेरोजगार लोगों को जबलपुर में सड़क निर्माण कार्य के नाम पर गुलाब हक्के नाम का व्यक्ति ट्रक में लगभग 65 लोगों को पशुओं की तरह भरकर कर्नाटक ले गया जहां गन्ने के खेत में काम पर लगा दिया गया दिन-रात काम करवाने के बाद भी केवल एक टाइम का खाना देते रहे बीमार होने पर इलाज करवाने की भी छुट्टी नहीं देते थे विरोध करने पर यातना भी देते रहे। परेशान होकर बंधक मजदूरों के द्वारा अपने गांव के लोगों से संपर्क किया गया। जानकारी मिलने पर जन साहस संस्था के सदस्यों ने मामले को गंभीरता से लेकर अमानगंज थाना में एफआईआर दर्ज करवाई और उसके बाद कर्नाटक पहुंचे जहां स्थानीय प्रशासन की मदद से मजदूरों को मुक्त करवाया गया। 11 जनवरी 2024 को जन साहस संस्था के सदस्यों के द्वारा पीड़ित मजदूरों के साथ कलेक्टर को आवेदन सौंप कर मजदूरों के पुनर्वास की मांग उठाई गई है। यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा आदि में मजदूरों को बंधक बनवाकर काम करवाया जाता रहा इस प्रकार के मामले लगातार सामने आने के बावजूद जिले में रोजगार के कोई साधन नहीं होने एवं मनरेगा के अधिकांश काम मजदूरों के बजाय मशीनों से करवाने की वजह से जिले से पलायन जारी है।
जनपद पंचायत शाहनगर की ग्राम पंचायत सर्रा का मामला मजदूरों की जगह मशीन से कराया जा रहा है हो रहा भ्रष्टाचार लाखों रुपए का सचिव सरपंच उपयंत्री की सहमति से नहीं है कोई देखने वाला मजदूर की हालत शाहनगर. पन्ना पन्ना जिले की जनपद पंचायत शाहनगर एक ऐसी पंचायत है जहां पर मजदूरों की जगह मशीनों से कार्य करने की परंपरा कभी बंद नहीं हो सकती हमेशा और दिन पर दिन दुगनी होती जा रही है और मजदूर मजदूरी के लिए दर-दर भटक रहे हैं और क्षेत्र छोड़ अन्य राज्य एवं क्षेत्र को पलायन कर रहे हैं जिसका उदाहरण ग्राम पंचायत सर्रा में देखने को मिला कि पूर्व से बनी ग्राम जमडा में भूपत सिंह गोड़ के घर के पास बाली तलेया में मसीन से कार्य कराया जा रहा है और मजदूर मजदूरी के लिए दर-दर भटक रहे हैं गांव के लोगों ने यह भी बताएं कि यह तलैया में पूर्व में भी कार्य लगा था इसके बाद पुनः दोबारा अन्य जगह के लिए आये परकोलेशन टैंक निर्माड को पुनः मशीन से कार्य करा कर नवीन कार्य दर्शाया जा रहा है जिसकी लागत लाखों रुपए की है और सरपंच सचिव उपयंत्री मिलकर लाखों रुपए का भ्रष्टाचार खुले आम कर रहे हैं इतना ही नहीं ग्राम पंचायत सचिव केदार यादव भी मौके पर खड़े हुए दिखे जहां की तलैया में मशीन से निर्माण कार्य हो रहा है आखिर किसकी सह पर सरपंच सचिव इस तरह का खुला भ्रष्टाचार कर रहे हैं क्या इनको किसी का डर भय है नहीं है या की फिर इनको संबंधित अधिकारियों का खुला संरक्षण है की मशीन से कार्य कराये और मजदूरों को दर-दर भटकने दे क्या यही भाजपा सरकार की नीति है की मजदूर पलायन करे ओर अधिकारी कर्मचारी मशीन से कार्य करा कर अपनी जेबे भरे क्या इस ओर ध्यान दिया जाएगा जनप्रतिनिधियों के द्वारा या की ओर छूट दी जाएगी देखना यह होगा
कटरिया के 22 मजदूर महाराष्ट्र के कोल्हापुर में फंसे पुलिस ने सभी को लाया घर वापस कटनी जिले के ढीमरखेड़ा थाना क्षेत्र अंतर्गत क्षेत्र कटरिया से रोजी-रोटी के लिए गांव छोड़कर महाराष्ट्र के 'कोल्हापुर में मंजदूरी करने पहुंचे 22 मजदूर फंस गए है गांव वापस आने के लिए न तो उनके पास रुपए है और न ही उन्हें आने दिया जा रहा है मजदूरों के परिजनों ने ढीमरखेड़ा थाना पहुंचकर इसकी शिकायत की है परिजनों ने पुलिस से गुहार लगाई है कि सभी मजदूरों को सुरक्षित घर वापस लाया जाए थाना पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम कटरिया के 22 मजदूर गन्ना काटने का काम करने 4 दिसंबर को महाराष्ट्र के कोल्हापुर गए हुए थे सिहोरा बनखेड़ी निवासी चौधरी संतोष चौधरी और एक अन्य महिला के द्वारा मजदूरों को काम करने ले जाया गया था मजदूरों ने फोन करके मारपीट और प्रताड़ना की जानकारी परिजनों को दी जिसके बाद वे पुलिस तक शिकायत लेकर पहुंचे। परिजनों की शिकायत के बाद पुलिस ने मोबाइल नंबर पर मजदूरों से संपर्क किया तो उन्होंने प्रताड़ित करने व मजदूरी न मिलने की जानकारी दी
सरकार हर बार लड़कियों को शिक्षा में प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग योजनाएं लाती है, लेकिन सच्चाई यही है कि इन योजनाओं से बड़ी संख्या में लड़कियां दूर रह जाती हैं। कई बार लड़कियाँ इस प्रोत्साहन से स्कूल की दहलीज़ तक तो पहुंच जाती है लेकिन पढ़ाई पूरी कर पाना उनके लिए किसी जंग से कम नहीं होती क्योंकि लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने और पढ़ाई करने के लिए खुद अपनी ज़िम्मेदारी लेनी पड़ती है। लड़कियों के सपनों के बीच बहुत सारी मुश्किलें है जो सामाजिक- सांस्कृतिक ,आर्थिक एवं अन्य कारकों से बहुत गहरे से जुड़ा हुआ हैं . लेकिन जब हम गाँव की लड़कियों और साथ ही, जब जातिगत विश्लेषण करेंगें तो ग्रामीण क्षेत्रों की दलित-मज़दूर परिवारों से आने वाली लड़कियों की भागीदारी न के बराबर पाएंगे। तब तक आप हमें बताइए कि * -------आपके गाँव में या समाज में लड़कियों की शिक्षा की स्थिति क्या है ? * -------क्या सच में हमारे देश की लड़कियाँ पढ़ाई के मामले में आजाद है या अभी भी आजादी लेने की होड़ बाकी है ? * -------साथ ही लड़कियाँ को आगे पढ़ाने और उन्हें बढ़ाने को लेकर हमे किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ?
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टनल से मजदूरों को बाहर निकालने में लगे 17 दिनों में हर बार की तरह इस बार भी नेताओं से लेकर मीडिया का भारी जमावड़ा आखिरी दिन तक लगा रहा, जो हर संभव तरीके से वहां की पल पल की जानकारी साझा कर रहे था। इन 17 दिनों में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हो गए, क्रिकेट विश्वकप का आयोजन हो गया,